सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ स्टेट बीजेपी नेता की तरफ से दायर याचिका को खारिज कर दिया. चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हम बार-बार कह रहे हैं कि अदालत को सियासी अखाड़ों में न बदला जाए. उन्होंने तेलंगाना बीजेपी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर आप एक राजनेता हैं तो आपके पास सहन करने के लिए मोटी चमड़ी होनी चाहिए.
रेवंत रेड्डी के खिलाफ याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने सीएम रेवंत रेड्डी के खिलाफ मानहानि के मामले को खारिज करने वाले हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ बीजेपी की याचिका को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया. भारतीय जनता पार्टी (तेलंगाना) के महासचिव के. वेंकटेश्वरलू ने आरोप लगाया कि रेड्डी ने बीजेपी को बदनाम करने वाला भाषण दिया था.
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बीजेपी नेता की याचिका को सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने तेलंगाना हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें रेवंत रेड्डी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही की मांग वाली शिकायत को खारिज कर दिया गया था.
'राजनेता हैं तो मोटी चमड़ी होनी चाहिए'
चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि हम बार-बार कह रहे हैं कि इस अदालत का इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाई के लिए न करें. बेंच ने कहा कि अगर आप राजनेता हैं तो आपकी चमड़ी मोटी होनी चाहिए. इस पर बीजेपी की ओर से वकील ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने अपने ही तर्क का खंडन किया है.
रेड्डी की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर यह मानहानि है तो इस पर कोई राजनीतिक बहस नहीं हो सकती. इस बीच बीजेपी के वकील ने कहा कि तेलंगाना हाई कोर्ट ने अपना ही विरोधाभास पेश कर दिया है, लेकिन बेंच ने इस याचिका पर आगे विचार करने से इनकार कर दिया.
हाई कोर्ट ने नहीं माना मानहानि
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान रेड्डी के भाषण के बाद, वेंकटेश्वरलू ने मानहानि की शिकायत के साथ मजिस्ट्रेट की अदालत का रुख किया और अदालत ने आईपीसी और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज करने का निर्देश दिया. चुनाव प्रचार के दौरान रेवंत रेड्डी ने कथित बयान में कहा, 'अगर भारतीय जनता पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में 400 सीटें जीतती है तो वह अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण को खत्म कर देगी.'
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तेलंगाना हाई कोर्ट ने अगस्त में इसे खारिज करते हुए कहा कि कथित बयान बीजेपी के खिलाफ थे और तेलंगाना यूनिट को सीआरपीसी की धारा 199(1) के तहत 'पीड़ित व्यक्ति' नहीं माना जा सकता. अदालत ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी व्यक्तिगत हैसियत से शिकायत दर्ज कराई थी और शिकायत में कहीं भी यह जिक्र नहीं था कि बीजेपी का सदस्य होने के कारण उन्हें पीड़ित व्यक्ति माना जाना चाहिए.