राष्ट्रीय राजमार्गों पर अतिक्रमण की शिकायतों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों को फटकार लगाई है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि वह 30 सितंबर तक नेशनल हाईवे पर अतिक्रमण के बारे में शिकायत दर्ज कराने के लिए नागरिकों के लिए एक पोर्टल और टोल फ्री नंबर बनाए. पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग (भूमि एवं यातायात) नियंत्रण अधिनियम, 2002 के अस्तित्व में होने के बावजूद अधिकारी अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे में मंत्रालय एक पोर्टल बनाने का प्रयास करे जिस पर नागरिक राजमार्गों पर अतिक्रमण के बारे में शिकायत दर्ज करा सकें. पोर्टल पर नागरिकों के लिए अतिक्रमण वाले हिस्से की तस्वीरें और स्थान विवरण अपलोड करने की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए. मंत्रालय सभी राष्ट्रीय राजमार्गों और मीडिया में पोर्टल और टोल फ्री नंबर की सुविधा का व्यापक प्रचार करे. शीर्ष अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 अक्टूबर की डेट निर्धारित करते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को 3 सप्ताह के भीतर हलफनामे के जरिए अतिक्रमण के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देने के लिए कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सडक परिवहन मंत्रालय से कहा है कि वह 18 मार्च 2020 के सर्कुलर के मुताबिक की गई कार्रवाई के आंकड़े कोर्ट में पेश करे. जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑग्स्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने फिलहाल ये आदेश राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए दिया है और आगे की सुनवाई के दौरान वह राज्य सरकार (स्टेट हाईवे) के राजमार्गों पर भी आदेश जारी करेगा. इस मामले पर अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी.