आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पेश किए गए 'क्रिमिनल नेता बिल' पर तीखा हमला बोला है. AAP नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि ये विधेयक असंवैधानिक है और इसका असली मकसद भ्रष्टाचार से लड़ना नहीं, बल्कि विपक्षी नेताओं को जेल में डालना और गैर-भाजपा सरकारों को गिराना है.
राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि मोदी सरकार एक असंवैधानिक विधेयक ला रही है. इस विधेयक का उद्देश्य विपक्षी नेताओं को जेल में डालना और विपक्षी दलों की सरकारों को गिराना है. इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार से निपटना नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाना है, जिससे देश में लोकतंत्र की नींव कमजोर हो रही है. साथ ही कहा कि ये बिल खरीद फरोख्त करने के मकसद से लाया जा रहा है.
AAP नेता ने कहा कि इस बिल का वास्तविक उद्देश्य भ्रष्टाचार को खत्म करना नहीं है, क्योंकि भाजपा 'भ्रष्टाचार और भ्रष्ट लोगों से प्रेम करती है' और इस कानून का इस्तेमाल राजनीतिक बदला लेने के लिए करना चाहती है. साथ ही कहा कि इस विधेयक की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित की जा रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में आम आदमी पार्टी शामिल नहीं होगी.
अमित शाह ने दिया था ये तर्क
बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस विधेयक का बचाव करते हुए विपक्षी दलों पर इसके विरोध का आरोप लगाया. उन्होंने AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का जिक्र करते हुए कहा था कि अगर उन्होंने जेल में रहते हुए ही इस्तीफा दे दिया होता, तो इस बिल को लाने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ती. अरविंद केजरीवाल को 2024 में कथित दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार किया गया था और उन्होंने पद छोड़ने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद भाजपा ने उन पर जेल से सरकार चलाने का आरोप लगाते हुए तीखी आलोचना की थी.
विपक्षी दल आए बिल के विरोध में
वहीं, तमिलनाडु के डिप्टी सीएम उदयनिधि स्टालिन ने भी इस बिल की आलोचना की और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया. चेन्नई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य सरकारों की शक्तियां छीनने की कोशिश कर रही है और कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन इस विधेयक को कभी कानून नहीं बनने देंगे.
सरकार ने संसद में ये बिल पेश किए
केंद्र ने तीन बिल संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 इस सप्ताह की शुरुआत में संसद में पेश किए थे. अमित शाह ने इन बिलों को भ्रष्टाचार-विरोधी कदम बताया और विस्तृत जांच के लिए इन्हें संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने के लिए लोकसभा में एक प्रस्ताव पेश किया. जेपीसी में लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य शामिल होंगे.