भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के एक अधिकारी शाह फैसल के इस्तीफे का मामला सरकार के पास ढाई साल से अधिक समय से लंबित है. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा (जिसे आईएएस परीक्षा के रूप में जाना जाता है) 2010 में टॉप करने वाले शाह फैसल पहले कश्मीरी बने थे. हालांकि उन्होंने जनवरी 2019 में सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया.
इसके बाद उन्होंने एक राजनीतिक दल, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) की स्थापना की और अनुच्छेद 370 को खत्म करने के सबसे तीखे आलोचकों में से एक बन गए. पलटवार करते हुए सरकार ने कड़े पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत शाह फैसल को हिरासत में ले लिया था. हालांकि बाद में फैसल ने जेकेपीएम अध्यक्ष का पद छोड़ दिया.
पिछले साल अगस्त में RTI
आईएएस से उनके इस्तीफे की आधिकारिक स्थिति का पता लगाने के लिए आजतक/इंडिया टुडे ने अगस्त 2020 में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) से सूचना का अधिकार (RTI) के तहत सवाल पूछा.
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हमने उनके त्यागपत्र, उसकी स्थिति और किसी आईएएस अधिकारी के किसी भी इस्तीफे को स्वीकार करने की प्रक्रिया की एक प्रति मांगी. सितंबर 2020 में अपनी प्रतिक्रिया में, डीओपीटी ने यह कहते हुए कुछ भी बताने से इनकार कर दिया, "मामला विभाग में विचाराधीन है." हालांकि इसने इस्तीफा स्वीकार करने की प्रक्रिया की एक प्रति प्रदान की.
क्या कहता है नियम
डीओपीटी की ओर से हमें आईएएस अधिकारियों के इस्तीफे की प्रक्रिया के लिए दिशा-निर्देश साझा किए गए. सामान्य नियम कहता है कि सेवा से किसी सदस्य का इस्तीफा विशिष्ट परिस्थितियों में स्वीकार किया जाना चाहिए. उनमें से एक है कि जब अधिकारी पहले से ही निलंबन में हो. पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, फैसल के मामले में यह शर्त लागू नहीं होती है. निलंबन की कोई सूचना नहीं है.
संबंधित प्राधिकारी द्वारा इसकी स्वीकृति से पहले इस्तीफा भी वापस लिया जा सकता है. गाइडलाइंस कहता है कि यदि सर्विस का कोई सदस्य, जिसने इस्तीफा दे दिया, सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकार किए जाने से पहले अपने इस्तीफे के पत्र को वापस लेने के लिए लिखित रूप में एक सूचना भेजता है, तो इस्तीफा स्वचालित रूप से वापस ले लिया गया माना जाएगा और इस्तीफा स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं है.
चूंकि शाह फैसल का इस्तीफा आज तक स्वीकार नहीं किया गया है, इसका तकनीकी रूप से मतलब है कि वह एक बार फिर सिविल सेवाओं में शामिल हो सकते हैं. आजतक/इंडिया टुडे ने जब इसको लेकर एक और अपील दायर की, तो डीओपीटी ने इस साल 19 जुलाई को फिर से अपना रुख दोहराया.
यह जांचने के लिए कि डीओपीटी ने ऐतिहासिक रूप से अन्य आईएएस अधिकारियों के इस्तीफे स्वीकार करने में कितना समय लिया है, हमने इस साल मार्च में एक और आरटीआई दाखिल किया.
2010 से इस्तीफा देने वाले IAS अफसरों की संख्या
आरटीआई के जरिए पूछा गया कि पिछले 10 सालों में कितने आईएएस अधिकारियों ने इस्तीफा दिया है. हमने आरटीआई के तहत उनके नाम, इस्तीफे की तारीख और इस्तीफे की स्वीकृति की तारीख भी मांगी.
सरकार ने हमें पिछले 10 वर्षों में इस्तीफा देने वाले 23 आईएएस अधिकारियों की सूची प्रदान की, जिस तारीख को उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया था, न की जिस तारीख को उन्होंने इस्तीफा दिया था.
इस सूची से पता चलता है कि वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार के शुरुआती छह सालों के दौरान 12 आईएएस अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया, जबकि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के अंतिम तीन वर्षों में 11 आईएएस ने इस्तीफा दे दिया. यहां अधिकारियों के नाम और जिस तारीख को उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया था, उसके नाम यहां दिए गए हैं.