दिल्ली के 13000 करोड़ रुपए के ड्रग्स मामले में ऋषभ बसोया के खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया है. ऋषभ इंटरनेशनल ड्रग तस्कर वीरेंद्र बसोया का बेटा है और दिल्ली के पिलनजी गांव का रहने वाला है. साल 2024 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 13000 करोड़ का ड्रग्स पकड़ा था.
पुलिस का दावा था कि यह ड्रग्स विदेश में बैठे वीरेंद्र बसोया ने भेजा था. इसी सिंडिकेट से जुड़े जस्सी को पंजाब के अजनाला से गिरफ्तार किया गया था. जस्सी की SUV से कुछ ड्रग्स बरामद हुए थे और वह गाड़ी ऋषभ की थी, जो उसने जस्सी को दी थी. इसके बाद से ऋषभ विदेश भाग गया था.
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पुलिस के अनुसार, इस SUV को पंजाब के अजनाला इलाके के नेपाल गांव में रोका गया था, जहां तलाशी के दौरान 5 अक्टूबर को लगभग 1 किलोग्राम कोकीन/मेफेड्रोन बरामद की गई. जांच दस्तावेजों में बताया गया कि ऋषभ और जतिंदर को दिल्ली के हुडको प्लेस और पंचशील एन्क्लेव इलाके के एक होटल में सीसीटीवी फुटेज में साथ देखा गया, जिससे दोनों के बीच सक्रिय संपर्क की पुष्टि हुई.
ऋषभ बसोया फरार, पुलिस कर रही तलाश
पुलिस का कहना है कि आरोपी ऋषभ फरार है और उस पर एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज एक बड़े मामले में गिरफ्तारी और अभियोजन से बचने का आरोप है. इस मामले में पहले ही चार्जशीट दायर की जा चुकी है.
स्पेशल सेल की जांच में यह भी सामने आया कि इस ड्रग्स रैकेट में कई फार्मास्युटिकल और शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया जा रहा था. ये कंपनियां दक्षिण अमेरिका से लाई गई कोकीन को देश के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई करती थीं.
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पहले ड्रग स्टॉक किया जाता और फिर बेचा जाता था
गिरोह के सदस्य ड्रग्स की डिलीवरी के लिए गूगल कोऑर्डिनेट्स साझा करते थे और फिर इन कंसाइनमेंट को स्टॉक करके दिल्ली, पंजाब, मुंबई, हैदराबाद और गोवा में म्यूजिक कॉन्सर्ट्स और रेव पार्टियों में बेचते थे.
पुलिस के मुताबिक, ड्रग्स को अक्सर केमिकल्स या कार्डबोर्ड बॉक्स में रखी शर्ट्स और नमकीन के पैकेट्स के बीच छिपाकर भेजा जाता था. जांच में यह भी सामने आया कि यह पूरा कार्टेल पाकिस्तान और दुबई से संचालित किया जा रहा था, जबकि इसके सदस्य थाईलैंड, मलेशिया और यूनाइटेड किंगडम में फैले हुए हैं.