संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को भी ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर चर्चा हुई. लोकसभा में वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा- 'अगर पाकिस्तान के पास आत्मसमर्पण के अलावा कोई चारा नहीं था, तो यह युद्ध क्यों रुका? अमेरिकी राष्ट्रपति ने युद्धविराम की घोषणा क्यों की? मैं आतंकवाद पीड़ितों के दर्द पर बोल रही हूं, क्योंकि मैं उस दर्द को समझती हूं. जब आतंकवादियों ने मेरे पिता को मार डाला, तो मेरी मां रो पड़ी थीं.'
उन्होंने कहा कि यह सरकार सिर्फ श्रेय लेना चाहती है, जिम्मेदारी नहीं. यह सोने का ताज नहीं, कांटों का ताज है. प्रियंका ने पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा मारे गए 25 भारतीयों के बारी-बारी से नाम लिए. वायनाड सांसद जब नाम पढ़तीं तो भाजपा सांसद कहते 'हिंदू', जिसका जवाब विपक्षी सांसदों ने 'भारतीय' से दिया. उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पहलगाम हमले से पहले सुरक्षा अधिकारियों ने इन आतंकवादियों को चिह्नित क्यों नहीं किया? 26 नागरिक इस सरकार की जिम्मेदारी पर बैसरन गए थे और सरकार ने उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया.
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टीआरएफ ने कश्मीर में 25 हमले किए: प्रियंका
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'गृह मंत्री ने यूपीए शासन के दौरान हुए लगभग 25 आतंकवादी हमले गिनाए. टीआरएफ ने 2020 से 2025 के अंदर कश्मीर में अकेले 25 हमले किए हैं. पूरी लिस्ट है इन हमलों की. 2020 से लेकर 22 अप्रैल 2025 तक टीआरएफ ने 41 सुरक्षाकर्मियों की हत्या की, 27 नागरिकों को मारा, 54 लोगों को घायल किया. भारत सरकार ने टीआरएफ को कब आतंकवादी संगठन घोषित किया? 2023 में किया, तीन साल बाद. कश्मीर में तीन सालों तक यह संगठन आतंकवादी गतिविधियां करता रहा. ये सब सरकार के संज्ञान में था. खुफिया एजेंसियां क्या कर रही थीं?'
प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, 'महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने 26/11 के हमलों के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था और सभी आतंकवादियों को मौके पर ही मार गिराया गया था. पहलगाम आतंकी हमले के बाद क्या किसी ने इस्तीफा दिया. क्या गृहमंत्री ने नैतिक जिम्मेदारी ली? आप अतीत की बात करते हैं, हम वर्तमान की बात करते हैं. आप 11 सालों से सत्ता में हैं, कुछ जिम्मेदारी तो लीजिए.'
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द रजिस्टेंस फ्रंट क्या चाहता है?
द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) पाकिस्तान स्थित टेररिस्ट ग्रुप लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ही एक मुखौटा संगठन है. दिल्ली स्थित थिंक टैंक साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (SATP) के अनुसार, भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के कुछ दिनों बाद- 12 अक्टूबर, 2019 को एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म टेलीग्राम के जरिए द रजिस्टेंस फ्रंट ने अपने गठन की घोषणा की. टीआरएफ खुद को जम्मू-कश्मीर स्थित एक प्रतिरोध समूह बताता है और कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ना चाहता है. वह जम्मू-कश्मीर को आजाद प्रांत मानता है और भारत सरकार को उपनिवेशवादी शासन बताता है.
टीआरएफ स्थानीय समर्थन हासिल करने के लिए अपना नैरेटिव लोकल इश्यू के इर्द-गिर्द रखता है. लश्कर-ए-तैयबा के विपरीत टीआरएफ अपनी प्रेस रिलीज में इस्लामिक प्रतीकों के उपयोग से बचने का स्पष्ट प्रयास करता है. 'द डिप्लोमैट' की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस आतंकी संगठन में कुछ सौ आतंकवादी शामिल हैं, जो जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में सक्रिय हैं. शेख सज्जाद गुल टीआरएफ का वर्तमान प्रमुख है, जबकि अहमद खालिद प्रवक्ता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मुहम्मद अब्बास शेख टीआरएफ का संस्थापक था और अगस्त 2021 में जम्मू-कश्मीर में एक आतंकवाद-रोधी अभियान में मारा गया था.
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टीआरएफ का लश्कर से संबंध
टीआरएफ का हाफिज सईद के लश्कर-ए-तैयबा से गहरा संबंध है और उसके साथ एलईटी के कई शीर्ष कमांडर जुड़े हुए हैं. टीआरएफ ने खुद को यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का हिस्सा बताते हुए इसे अपना अम्ब्रेला ग्रुप बताया है. जम्मू-कश्मीर की एनकाउंटर रिपोर्ट्स के मुताबिक टीआरएफ का जैश-ए-मोहम्मद (JeM), हिजबुल मुजाहिदीन (HM) और पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट (PAFF) जैसे अन्य आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध पाया गया है. जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा, दोनों ही यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के सदस्य हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक पीएएफएफ, जैश-ए-मोहम्मद का एक मुखौटा संगठन है. टीआरएफ को गृह मंत्रालय ने यूएपीए के तहत टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया था. हाल ही में अमेरिका ने द रजिस्टेंट फ्रंट को पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार माना और इसे वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया.
टीआरएफ कैसे करता है काम?
टीआरएफ ने सोशल मीडिया पर अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी है और इस तरह के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के प्रभावशाली उपयोग के कारण जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के बीच अलग स्थान रखता है. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों द्वारा ब्लॉक किए जाने से पहले, इस समूह की ट्विटर (@resistfront) और टेलीग्राम हैंडल के जरिए व्यापक डिजिटल उपस्थिति थी. भारतीय एजेंसियों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, इस समूह ने टैम टैम (Tam Tam) नामक रूसी मूल के एक एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल शुरू कर दिया.
टीआरएफ ने 1 मई, 2022 को एक बयान में कहा, 'यह हमारी सरजमीं है (जम्मू और कश्मीर), और हम इसे बचाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे. अब भी समय है, हमारी सरजमीं छोड़ दो, अन्यथा हम तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो जाएंगे... हथियार उठाने का उद्देश्य जीत या हार नहीं है... हम कभी क्रूर शासकों और काफिरों के गुलाम नहीं बनेंगे.'
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जम्मू और कश्मीर में उपस्थिति
यह आतंकी समूह मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग, शोपियां, बांदीपोरा, कुलगाम, बडगाम, पुलवामा, बारामूला और श्रीनगर जिलों में सक्रिय है. श्रीनगर टीआरएफ की गतिविधियों का एक केंद्र है. एसएपीटी के मुताबिक 2019 से अब तक टीआरएफ से जुड़ी 131 गिरफ्तारियां और एनकाउंटर हुए हैं.
बड़े आतंकी हमलों में भूमिका
टीआरएफ ने 25 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला किया. आतंकवादियों ने पर्यटकों का धर्म पूछा और 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी. इससे पहले 20 अक्टूबर, 2024 को टीआरएफ ने गांदरबल जिले में 7 लोगों (एक डॉक्टर और छह अन्य) की हत्या कर दी थी. पिछले वर्ष 9 जून को इस समूह ने रियासी जिले में तीर्थ यात्रियों को वैष्णो देवी लेकर जा रही एक बस पर गोलीबारी की थी, जिसमें 9 नागरिक मारे गए थे. टीआरएफ ने 2 फरवरी, 2020 को श्रीनगर के लाल चौक इलाके में हमला किया, जिसमें 4 नागरिक और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 2 जवान मारे गए.