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J&K: NIA ने 20 ओवरग्राउंड वर्कर्स को किया शॉर्टलिस्ट, पहलगाम से राजौरी तक जुड़े हो सकते हैं आतंकी मॉड्यूल

जांच एजेंसियों के सूत्र के अनुसार पहलगाम, बैसरन घाटी और उसके आसपास सटे 20 KM दायरे में 20 अप्रैल से सक्रिय रहे विभिन्न मोबाइल फोन की टावर लोकेशन और कॉल डिटेल भी खंगाल रही हैं ताकि आतंकियों के मूवमेंट और संपर्क सूत्रों का पता लगाया जा सके.

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एनआईए की टीम लगातार पहलगाम हमले की जांच में जुटी  हुई है (File Photo)
एनआईए की टीम लगातार पहलगाम हमले की जांच में जुटी हुई है (File Photo)

पहलगाम के बैसरन घाटी में हाल में हुए आतंकी हमले की जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपनी जांच तेज़ कर दी है. सूत्रों के अनुसार, NIA ने 20 से अधिक ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की पहचान की है, जिनसे पूछताछ की जा रही है.

जांच एजेंसियों का ध्यान अब जम्मू की कोट भलवल जेल में बंद लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े दो ओवर ग्राउंड वर्कर- निसार अहमद उर्फ हाजी और मुस्ताक हुसैन पर है. NIA की टीम इनसे जल्द पूछताछ कर सकती है.

एक ही आतंकी मॉड्यूल से जुड़े तार!

इन दोनों OGWs को 2023 में भाटा धुरिया और तोतागली में सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमलों में आतंकियों की मदद करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. सूत्रों के अनुसार, राजौरी-पुंछ और पहलगाम के हमलों में शामिल आतंकी नेटवर्क आपस में जुड़े हो सकते हैं या फिर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से एक ही आतंकी मॉड्यूल से जुड़े हो सकते हैं.

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सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि हमलावर पिछले 10 दिनों से पहलगाम के जंगलों में स्थित प्राकृतिक गुफाओं और हाइडआउट्स का सहारा लेकर छिपे हुए हैं. यही कारण है कि सुरक्षा बल बैसरन घाटी, तारनू हपतगुंड, डावरू और आस-पास के इलाकों में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चला रहे हैं.

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कॉल डिटेल भी खंगाल रही है एनआईए

जांच एजेंसियों के सूत्र के अनुसार पहलगाम, बैसरन घाटी और उसके आसपास सटे 20 KM दायरे में 20 अप्रैल से सक्रिय रहे विभिन्न मोबाइल फोन की टावर लोकेशन और कॉल डिटेल भी खंगाल रही हैं ताकि आतंकियों के मूवमेंट और संपर्क सूत्रों का पता लगाया जा सके.

यह भी पढ़ें: पहलगाम हमले के बाद फिर एजेंसियों के रडार पर आया भारत का ये दुश्मन, US ने रखा है 10 मिलियन डॉलर का इनाम

सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियों को घटना के वक्त के दो बार अल्ट्रा स्टेट के सिग्नल मिले हैं, जिसके द्वारा मोबाइल को कनेक्ट करके ऑडियो और वीडियो कॉल या फिर मोबाइल SMS होता है. इसमें किसी भी प्रकार के सिम कार्ड की जरूरत नहीं पड़ती. एजेंसियां बैकलॉग डेटा कॉल डिटेल और बैंक अकाउंट भी चेक कर रही हैं. ओजीडब्ल्यू की धरपकड़ में जांच एजेंसियों ने पूरे जम्मू-कश्मीर में हुरियत के कई गुटों और जमात ए इस्लामी के समर्थकों के यहां छापेमारी भी की है.

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