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प्राचीन भारतीयों ने संस्कृति का प्रचार किया, धर्मांतरण नहीं किया, बोले मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि प्राचीन भारतीय दुनिया भर में संस्कृति और विज्ञान फैलाने गए, लेकिन उन्होंने कभी किसी पर विजय या धर्म परिवर्तन नहीं किया. दिल्ली में 'आर्य युग विषय कोश' के लोकार्पण पर उन्होंने कहा कि भारत को आक्रमणकारियों ने लूटा, पर अंतिम आक्रमण मनोवैज्ञानिक था जिसने भारतीयों का आत्मविश्वास छीना.

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मोहन भागवत का कहना है कि प्राचीन भारतीय विज्ञान और सद्भावना का संदेश लेकर गए. (File Photo)
मोहन भागवत का कहना है कि प्राचीन भारतीय विज्ञान और सद्भावना का संदेश लेकर गए. (File Photo)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत के प्राचीन लोग दुनिया भर में गए, लेकिन उन्होंने कभी किसी पर विजय नहीं पाई और न ही किसी का धर्म परिवर्तन कराया. वे केवल संस्कृति, विज्ञान और सद्भावना का संदेश लेकर गए.

मोहन भागवत दिल्ली में आयोजित 'आर्य युग विषय कोश' विश्वकोश के लोकार्पण कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, "हमारे पूर्वज मेक्सिको से लेकर साइबेरिया तक गए और उन्होंने दुनिया को विज्ञान और संस्कृति की शिक्षा दी लेकिन उन्होंने न किसी को जीता और न किसी को बदला. वे सद्भावना और एकता का संदेश लेकर गए थे."

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मोहन भागवत ने कहा कि इतिहास में कई आक्रमणकारियों ने भारत को लूटा और गुलाम बनाया, पर "आखिरी आक्रमणकारियों ने हमारे मनों को लूटा. हम अपनी शक्ति, अपनी परंपराओं और उस ज्ञान को भूल गए जो हम दुनिया को दे सकते थे."

भागवत ने आगे कहा, "आध्यात्मिक ज्ञान आज भी जीवित है. हम आर्यावर्त के वंशज हैं - हमारे पास विज्ञान है, अस्त्र-शस्त्र हैं, शक्ति और सामर्थ्य है, श्रद्धा और ज्ञान है."

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कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को फिर से पहचानने और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है.

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