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'हर किसी को प्रदर्शन करने का अधिकार लेकिन...', हड़ताली डॉक्टरों से आमरण अनशन खत्म करने की CM ममता की अपील

जूनियर डॉक्टर दो हफ्ते से आमरण अनशन पर हैं. वे अपने मृतक सहकर्मी के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं और राज्य के स्वास्थ्य सेवा ढांचे में व्यवस्थागत बदलाव की मांग कर रहे हैं. अब तक, स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण भूख हड़ताल पर बैठे छह डॉक्टरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि आठ अन्य अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं.

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बंगाल सीएम ममता बनर्जी (फाइल फोटो)
बंगाल सीएम ममता बनर्जी (फाइल फोटो)

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों से आमरण अनशन खत्म करने की अपील की. ​​उन्होंने कहा कि उनकी अधिकांश मांगों पर विचार किया जा चुका है, जबकि उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य सचिव को हटाने की मांग को खारिज कर दिया.

पीटीआई के मुताबिक मुख्य सचिव मनोज पंत और गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती द्वारा एस्प्लेनेड में विरोध स्थल का दौरा करने के दौरान फोन पर डॉक्टरों से बात करते हुए बनर्जी ने कहा, "हर किसी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर नहीं पड़ना चाहिए. मैं आप सभी से अपना अनशन समाप्त करने का अनुरोध करूंगी."

जूनियर डॉक्टर अन्य मुद्दों के अलावा राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को हटाने की मांग कर रहे हैं.

जवाब में बनर्जी ने उनकी निराशा को स्वीकार किया, लेकिन कहा, "आप जानते हैं कि मैंने स्वास्थ्य सचिव को क्यों नहीं हटाया. एक बार में सभी को एक विभाग से हटाना संभव नहीं है. हमने पहले डीएचएस और डीएमई को हटा दिया था. कृपया राजनीति से ऊपर उठें और काम पर वापस लौटें."

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उन्होंने सवाल किया, "आप कैसे तय कर सकते हैं कि किस अधिकारी को हटाया जाएगा या नहीं? क्या यह तर्कसंगत है?"

बता दें कि जूनियर डॉक्टर दो हफ्ते से आमरण अनशन पर हैं. वे अपने मृतक सहकर्मी के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं और राज्य के स्वास्थ्य सेवा ढांचे में व्यवस्थागत बदलाव की मांग कर रहे हैं. अब तक, स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण भूख हड़ताल पर बैठे छह डॉक्टरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि आठ अन्य अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं. उनकी मांग है कि राज्य सरकार गतिरोध को हल करने के लिए 21 अक्टूबर तक रचनात्मक कार्रवाई करे.

सीएम ने जोर देकर कहा कि डॉक्टरों को अपनी हड़ताल वापस ले लेनी चाहिए और अपनी मांगों पर आगे चर्चा करने के लिए सोमवार को राज्य सचिवालय नबन्ना में उनसे मिलना चाहिए. बनर्जी ने स्पष्ट किया, "मैंने पुलिस आयुक्त (सीपी), चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) और स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) को हटा दिया है, लेकिन मैं विभाग में सभी को नहीं हटा सकती. आपकी कुछ मांगों के लिए नीतिगत निर्णय की आवश्यकता है. हम यथासंभव सहयोग करेंगे, लेकिन यह स्वीकार्य नहीं है कि आप सरकार को निर्देश दें कि क्या किया जाना चाहिए." 

उन्होंने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर हड़ताल के प्रभाव पर जोर देते हुए उनकी जिम्मेदारी की भावना की अपील की. ​​

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अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए रविवार को एक बड़ी रैली की योजना बनाई गई है, और अगर कोई समाधान नहीं निकलता है तो 22 अक्टूबर को राज्यव्यापी और संभावित रूप से राष्ट्रव्यापी हड़ताल का खतरा मंडरा रहा है.

बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार ने डॉक्टरों की शिकायतों को दूर करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं. उन्होंने बताया कि राज्य में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए 113 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें 43 मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल शामिल हैं, लेकिन इन सुविधाओं के लिए और अधिक डॉक्टरों की आवश्यकता है. उन्होंने डॉक्टरों को यह भी आश्वासन दिया कि उनके कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा और संरक्षण बढ़ाने के लिए कदम उठाए गए हैं.

उन्होंने कहा, "कृपया सामान्य स्थिति बहाल करें और हम यथासंभव पूर्ण सहयोग करेंगे. यह आप पर निर्भर है कि आप सामान्य स्थिति बहाल करना चाहते हैं या नहीं," उन्होंने डॉक्टरों से उनकी मांगों पर विचार किए जाने तक काम पर लौटने का आग्रह किया.

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