
पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर की हर अपडेट देश को मुहैया कराने में डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन यानी DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने अहम भूमिका निभाई थी. वह उन तीन अफसरों में शामिल थे, जो सेना की तरफ से ऑपरेशन की जानकारी देने के लिए हर दिन प्रेस ब्रीफिंग करते थे. अब सरकार ने सोमवार को उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारी देते हुए डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटेजी) के पद पर नियुक्त किया है.
राजीव घई को अतिरिक्त जिम्मेदारी
इंडियन आर्मी के सैन्य अभियान महानिदेशक राजीव घई ने पाकिस्तान के साथ सीजफायर में भी बड़ी भूमिका निभाई थी और पाकिस्तान के हवाई ठिकानों पर जब भारतीय सेना हमले किए तो पड़ोसी मुल्क ने राजीव घई से ही सीजफायर की गुहार लगाई. रक्षा मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान के मुताबिक सेना के उप प्रमुख का पद भारतीय सेना में सबसे अहम नियुक्तियों में से एक माना जाता है. इससे पहले बीती 4 जून को ही लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तम युद्ध सेवा पदक (UYSM) से सम्मानित किया था.
ये भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग में लेफ्टिनेंट राजीव घई ने विराट कोहली का किया जिक्र, एशेज सीरीज का सुनाया किस्सा
सैन्य अभियानों के लिहाज से आर्मी में डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटेजी) का पद काफी अहम है. अब राजीव घई पर भारतीय सेना के ऑपरेशन एंड इंटेलिजेंस डायरेक्टोरेट और अन्य महत्वपूर्ण शाखाओं की देखरेख की जिम्मेदारी होगी. डिप्टी चीफ (स्ट्रैटेजी) के रूप में राजीव घई सैन्य रणनीतियां बनाने के साथ-साथ विभिन्न विभागों के बीच कॉर्डिनेशन में केंद्रीय भूमिका अदा करेंगे. इसके अलावा सेना की तीनों शाखाओं थल सेना, नौसेना, वायुसेना और खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल सुनिश्चित करने में उनका अहम रोल रहेगा, जो जंग की हालात में काफी अहम हो जाता है.
ऑपरेशन सिंदूर में निभाया अहम रोल
डीजीएमओ राजीव घई ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमलों की रणनीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए और पाकिस्तान के 11 एयरबेस को निशाना बनाया गया. यह सफलता युद्ध की तैयारियों में उनकी विशेषज्ञता को बताने के लिए काफी है. भारतीय सेना ने एलओसी पर भी पाकिस्तान की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया था, जिसमें पड़ोसी मुल्क को भारी नुकसान हुआ था.
पाकिस्तान के साथ सीजफायर वार्ता राजीव घई के कूटनीतिक कौशल की मिसाल है. पाकिस्तान के डीजीएमओ ने ऑपरेशन सिंदूर में हुए नुकसान के बाद सीजफायर के लिए राजीव घई से ही संपर्क किया था, जिसके बाद 10 मई को दोनों देशों के सीजफायर पर सहमति बनी थी. जंग में जाने से ज्यादा मुश्किल किसी जंग को समय पर रोकना होता है और इस काम में राजीव घई की भूमिका काफी अहम रही है.
सैन्य अभियानों की प्लानिंग
पहले से ही DGMO के पद पर तैनात राजीव घई सभी सैन्य अभियानों की निगरानी कर रहे थे, अब डिप्टी चीफ के नए रोल के साथ रणनीतिक योजना बनाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर होगी. इस दोहरी भूमिका से भारतीय सेना की युद्ध की तैयारियों को मजबूती मिलेगी क्योंकि अब राजीव घई ऑपरेशनल और नीतिगत दोनों स्तरों पर फैसले लेने के लिए स्वतंत्र होंगे.
ये भी पढ़ें: पाकिस्तान के साथ सीजफायर पर कैसे बनी सहमति? सेना ने बताई युद्धविराम की पूरी कहानी
कुमाऊं रेजिमेंट के राजीव घई ने जम्मू-कश्मीर में चिनार कॉर्प्स के जीओसी के रूप में आतंकवाद विरोधी अभियानों को लीड किया और मणिपुर में भारत-म्यांमार सीमा की सुरक्षा स्थिति का आकलन किया. ऐसे में एंटी टेटर ऑपरेशन के दौरान उनका अनुभव भारतीय सेना के बहुत काम आने वाला है. खासकर भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा हालात के देखते हुए उनकी नियुक्ति ज्यादा अहम हो जाती है.
कौन हैं ले. जनरल राजीव घई
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई कुमाऊं रेजिमेंट के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी हैं. उन्होंने अपने मिलिट्री करियर में कई बड़े ऑपरेशनल में अहम भूमिका निभाई है. डीजीएमओ बनने से पहले चिनार कॉर्प्स के जीओसी के रूप में, वह जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व कर चुके हैं. लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को पिछले साल 25 अक्टूबर को डीजीएमओ के पद पर तैनात किया गया था. अब जिम्मेदारी को बढ़ाते हुए उन्हें डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटेजी) के पद पर तैनात किया गया है.