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पवित्र स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ और बलभद्र-सुभद्रा हुए 'बीमार', 14 दिन क्वारनटीन रहेंगे

वैदिक मंत्रों के साथ 108 घड़ों से भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र और देवी सुभद्रा को स्नान कराया जाता है. इसमें कई तरह की औषधियां मिलाई जाती है. पवित्र स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ और बलभद्र-सुभद्रा 'बीमार' हो गए हैं और वे अब 14 दिन क्वारनटीन रहेंगे.

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भगवान जगन्नाथ
भगवान जगन्नाथ
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दवाओं के साथ हर्बल उपचार शुरू 
  • रहेंगे 14 दिन क्वारनटीन

108 घड़े पानी से स्नान करने के एक दिन बाद बुधवार को भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ अपने मंदिर में ही रहे. क्योंकि परंपरा के अनुसार वे बीमार पड़ जाते हैं और अब वे 14 दिन क्वारनटीन रहेंगे. जगन्नाथ संस्कृति के रिसचर्र भास्कर मिश्रा ने कहा कि केवल 'दैतापति' सेवकों को मंदिरों के अंदर जाने की अनुमति है, जहां भगवान बीमार पड़ने के बाद विश्राम करते हैं.

चल रहा इलाज
मिश्रा ने कहा कि देवताओं को "अनासर घर" कहे जाने वाले कमरे में आइसोलेशन में रखा गया था. महल के आयुर्वेदिक डॉक्टर राज वैद्य के निर्देश पर उनका इलाज जड़ी-बूटियों, फूलों और जड़ के अर्क से किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उनके साथ वैसे ही व्यवहार किया जाता है जैसे मनुष्य के बीमार होने पर होता है.

दवाओं के साथ हर्बल उपचार शुरू 
"अनासर घर" प्रवास के दौरान दैतापति सेवक गुप्त अनुष्ठान करते हैं और वार्षिक रथ यात्रा से पहले देवताओं को फिर से जीवंत करने में मदद करते हैं. देवताओं को पहले शरीर के तापमान को कम करने के लिए दवाएं दी जाती हैं और फिर 'श्री अंग' (पवित्र शरीर) के अन्य हिस्सों को हर्बल तेल से ठीक किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान देवताओं को भी सामान्य 'प्रसाद' नहीं मिलता है और उन्हें केवल फल दिया जाता है, उन्होंने कहा कि कुछ सेवक भगवान की मालिश भी करते हैं.

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14 दिन क्वारनटीन
14 दिनों के क्वारनटीन के दौरान, भक्तों से अनुरोध किया जाता है कि वे त्रिमूर्ति की 'पट्टचित्र' (ताड़ के पत्ते) पेंटिंग से पहले प्रार्थना करें. भक्तों को पुरी जिले में स्थित भगवान अलारनाथ के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए भी कहा जाता है. अनासार काल के दौरान, पतितपबन का द्वार, भगवान जगन्नाथ की तस्वीर, जिसकी सिम्हा द्वार (मंदिर के सिंह द्वार) में पूजा की जाती है, फिलहाल वह भी बंद है.

मिश्रा ने कहा कि रथ यात्रा से एक दिन पहले 'नबा जौबना दर्शन' (नया युवा प्रकटन) के अवसर पर भक्तों के सामने आने के लिए देवता बीमारी से ठीक हो जाएंगे. 

 

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