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लापता रूसी महिला और बेटे के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी, सुप्रीम कोर्ट बोला- देश से बाहर न जा पाएं

ह मामला उस समय सामने आया जब महिला और उसके भारतीय मूल के पति के बीच बच्चे की कस्टडी को लेकर कानूनी विवाद चल रहा था. महिला विक्टोरिया बसु और बच्चा 7 जुलाई से लापता हैं. पति सैकत बसु की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने पुलिस को मां-बेटे को तुरंत तलाशने का निर्देश दिया.

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सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं (File Photo)
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं (File Photo)

सुप्रीम कोर्ट ने एक रूसी महिला और उसके साढ़े चार साल के बेटे के लापता होने को लेकर गहरी चिंता जताई है. यह मामला उस समय सामने आया जब महिला और उसके भारतीय मूल के पति के बीच बच्चे की कस्टडी को लेकर कानूनी विवाद चल रहा था. महिला विक्टोरिया बसु और बच्चा 7 जुलाई से लापता हैं. पति सैकत बसु की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने पुलिस को मां-बेटे को तुरंत तलाशने का निर्देश दिया.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह संकेत भी दिया कि महिला के गायब होने में किसी प्रकार की मिलीभगत हो सकती है. जजों ने कहा कि संभव है उसे निजी स्तर पर किसी का सहयोग मिला हो.

दरअसल, सैकत बसु ने आरोप लगाया है कि 4 जुलाई को उन्होंने अपनी पत्नी को रूसी दूतावास के पिछले दरवाजे से अंदर जाते हुए देखा, उनके साथ एक अधिकारी और सामान भी था. उन्होंने यह भी दावा किया कि विक्टोरिया का एक रूसी राजनयिक से रिश्ता है, और दोनों भारत छोड़ चुके हो सकते हैं.

रूसी दूतावास के संपर्क में भारत सरकार

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि महिला और बच्चे को रोकने के लिए लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है और केंद्र सरकार रूसी दूतावास से संपर्क में है. उन्होंने यह भी बताया कि विक्टोरिया ने 6 जुलाई को आखिरी बार कोई वित्तीय लेन-देन किया था और अब उनके बैंक खाते में मात्र ₹169 शेष हैं. भाटी ने अनुमान जताया कि वह संभवतः पैदल ही कहीं गई होंगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए निर्देश

कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि सभी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स, बंदरगाहों और इमिग्रेशन पोस्ट को सूचित किया जाए ताकि मां और बेटा देश से बाहर न जा सकें. साथ ही पुलिस को प्रमुख रेलवे स्टेशनों और परिवहन टर्मिनलों से जानकारी जुटाने के लिए कहा गया है ताकि यह पता चल सके कि महिला अभी एनसीआर क्षेत्र में ही हैं या बाहर जा चुकी हैं.

कोर्ट ने यह भी कहा, “हम राजनयिक संबंधों, परस्पर सम्मान और दूतावासों की स्वायत्तता को ध्यान में रखते हुए अभी किसी दूतावासी अधिकारी पर कोई सीधा आदेश नहीं दे रहे हैं. लेकिन अगर पुलिस रिपोर्ट में यह सामने आता है कि किसी राजनयिक ने भारतीय कानून का उल्लंघन किया है, तो कानून अपना काम करेगा.”

पुलिस की जांच और तकनीकी पड़ताल

दिल्ली पुलिस ने अपने ताजा हलफनामे में बताया कि उसने कोर्ट के 17 जुलाई के आदेश के अनुसार कार्रवाई शुरू कर दी है. पुलिस ने महिला के अंतिम ज्ञात पते डिफेंस कॉलोनी पर 22 मई को जाकर जांच की थी, और अब उस क्षेत्र में निगरानी भी बढ़ा दी गई है. इसके अलावा, पुलिस ने इंस्टाग्राम और जीमेल से महिला की डिजिटल गतिविधियों की जानकारी भी मांगी है. हालांकि महिला की नानी से संपर्क नहीं हो पाया है.

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अदालत में पहले क्या हुआ था?

सुप्रीम कोर्ट ने पहले बच्चे की कस्टडी को लेकर एक व्यवस्था दी थी, जिसमें पिता को 20 घंटे और मां को 4 घंटे रोजाना का समय तय किया गया था. बाद में इसमें बदलाव कर यह आदेश दिया गया कि एक सप्ताह में मां को तीन दिन और पिता को चार दिन बच्चे की देखरेख की अनुमति होगी.

विक्टोरिया, जो 2019 से भारत में X-1 वीजा पर रह रही हैं, को सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर वीजा विस्तार दिया गया है. कोर्ट ने 22 मई को ही दिल्ली पुलिस को दोनों अभिभावकों के घरों की निगरानी करने का आदेश दिया था, ताकि बच्चा किसी एक पक्ष द्वारा बाहर न ले जाया जा सके. इसके बावजूद महिला के गायब होने से कोर्ट ने नाराज़गी जताई और कहा कि पुलिस अपने निर्देशों का पालन कराने में विफल रही.

सुप्रीम कोर्ट ने अब केंद्र और दिल्ली पुलिस से इस पूरे मामले की तेजी से जांच कर नियमित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई 2025 को होगी.

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