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कोलकाता में करोड़ों रुपये की किताबें नष्ट, नामी आइकॉनिक कॉलेज स्ट्रीट बुक मार्केट तक भरा पानी

इस अप्रत्याशित आपदा से पब्लिशर्स और स्ट्रीट वेंडर्स दुर्गा पूजा से पहले भारी आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं. फुटपाथ पर काम करने वाले अनऑर्गनाइज्ड बुकसेलर्स सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, और उनके पास कोई मुआवजा या सहारा उपलब्ध नहीं है.

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बुक मार्केट में घुसा दुकान का पानी
बुक मार्केट में घुसा दुकान का पानी

कोलकाता में हुई जोरदार बारिश ने शहर के आइकॉनिक कॉलेज स्ट्रीट बुक मार्केट को बुरी तरह प्रभावित किया. कई दुकानों में पानी भर गया जिससे करोड़ों रुपये की कीमत की किताबें नष्ट हो गईं. सोमवार देर रात से मंगलवार सुबह के बीच कुछ ही घंटों में शहर में असाधारण 251.4 मिमी बारिश हुई, जिससे ड्रेनेज सिस्टम थम गया और कई बड़े इलाकों में बाढ़ फैल गई.

ज्यादातर कॉलेज स्ट्रीट की किताबों की दुकानें पानी में डूब गईं, जिससे पब्लिशर्स और बुकसेलर्स को आर्थिक नुकसान को लेकर चिंता हुई. ट्रेडर्स का अनुमान है कि लगभग 2-3 करोड़ रुपये मूल्य की किताबें नष्ट हो गई हैं, जबकि कई दुकानों में स्टॉक पूरी तरह से बर्बाद हो गया. पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स गिल्ड के सचिव त्रिदिब चट्टोपाध्याय ने बताया कि उनके खुद के प्रतिष्ठान में लगभग 10 से 12 लाख रुपये की किताबें खराब हुईं, क्योंकि इतनी तेज और अचानक मौसम की चेतावनी नहीं मिली थी. ये आपदा दुर्गा पूजा के करीब आई है, जो किताबों की बिक्री के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है.

करेंट लगने से भी हुई मौतें...

कॉलेज स्ट्रीट के आस-पास के निवासी बता रहे हैं कि उन्होंने हाल के समय में इतनी तेज बारिश नहीं देखी. उन्होंने मई 2020 में आए अम्फान चक्रवात के दौरान हुई बाढ़ को याद किया, लेकिन बताया कि हाल की घटना किसी चक्रवात के कारण नहीं हुई. मेयर फिरहाद हकीम ने बताया कि बाढ़ का पानी निकलने में काफी समय लगेगा और अभी तक कई लोगों के बिजली का करेंट लगने से मृत्यु होने की रिपोर्ट भी मिली है.

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स्ट्रीट बुक सेलर्स को भी नुकसान

ये आपदा खासकर फुटपाथ पर काम करने वाले स्ट्रीट बुकसेलर्स को बहुत प्रभावित कर रही है. ये बुकसेलर्स स्थापित दुकान मालिकों की तरह किसी औपचारिक संगठन से जुड़े नहीं हैं, इसलिए उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं मिल सकता. कई लोगों ने अपनी पूरी इन्वेंट्री खो दी है और उनके पास कोई सहारा या कानूनी मदद उपलब्ध नहीं है.

संगठन जता रहे चिंता 

डेयस पब्लिशिंग के मालिक सुदीप्त दे ने इंडिया टुडे को बताया कि हमारे संगठन को कम से कम 8 लाख रुपये का नुकसान हुआ है और 500 से ज्यादा किताबें खराब हुई हैं. इस व्यापक नुकसान की गंभीरता को समझना जरूरी है, क्योंकि इतनी भारी तबाही पहले कभी नहीं देखी गई और अंतिम आंकड़े अभी गिने जा रहे हैं.

त्रिदिब चट्टोपाध्याय, पात्री भारती के प्रमुख और पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स गिल्ड के सचिव ने कहा कि लगभग 10–12 लाख रुपये कीमत की किताबें नष्ट हो गई हैं. कोई चेतावनी नहीं मिली कि मौसम इतना खराब होगा. इसके चलते किताबें जमीन पर रखी गई थीं और सब भीग गईं. यह दुर्गा पूजा से ठीक पहले बहुत बड़ा नुकसान है.

पूरे बुक मार्केट में अनुमानित 2 से 3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि फुटपाथ पर अनऑर्गनाइज्ड बुकसेलर्स सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं और उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिलेगा. कोलकाता का साहित्यिक समुदाय अब अपने हाल के दशकों के सबसे कठिन समय में है क्योंकि ट्रेडर्स, पब्लिशर्स और स्ट्रीट वेंडर्स इस अप्रत्याशित आपदा से उबरने की कोशिश कर रहे हैं.

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तपस सेनगुप्ता
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