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'पहले नेटवर्क दो, फिर सर्वे करो...', कर्नाटक के शिवमोग्गा में जातीय सर्वेक्षण का विरोध

कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले में चार गांवों के लोगों ने मोबाइल नेटवर्क की कमी के विरोध में जातीय-सामाजिक सर्वे का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. ग्रामीणों ने कहा कि जब तक नेटवर्क बहाल नहीं होता, तब तक वे सर्वे में हिस्सा नहीं लेंगे.

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शिवमोग्गा में गांव के लोगों का कहना है कि नेटवर्क काम नहीं करता. (सांकेतिक तस्वीर)
शिवमोग्गा में गांव के लोगों का कहना है कि नेटवर्क काम नहीं करता. (सांकेतिक तस्वीर)

कर्नाटक सरकार के महत्वाकांक्षी सामाजिक-आर्थिक सर्वे को शिवमोग्गा जिले के सागर तालुक के चार गांवों - बरूरु, कल्लुकोप्पा, तेप्पागोडु और मुलुकेरी - में कड़ी विरोध का सामना करना पड़ा है. ग्रामीणों ने मोबाइल नेटवर्क की कमी का हवाला देते हुए सर्वे का बहिष्कार करने का फैसला लिया है.

ग्रामीणों ने रविवार को बरूरु ग्राम पंचायत कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया और मांग की कि सर्वे शुरू करने से पहले गांव में मोबाइल टॉवर बहाल किया जाए. प्रदर्शन के दौरान बैनर लगाए गए जिन पर लिखा था. "पहले नेटवर्क दो, फिर सर्वे करो."

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ग्रामीणों का कहना है कि वे सर्वेक्षण के विरोध में नहीं हैं, लेकिन बेसिक कनेक्टिविटी की समस्या पिछले कई वर्षों से उनके जीवन में बाधा बन रही है, चाहे वह बैंकिंग, शिक्षा या सरकारी योजनाओं से जुड़ाव की बात हो.

मोबाइल नेटवर्क की समस्या का पहले समाधान की मांग

प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने अधिकारियों को चेताया कि जब तक मोबाइल नेटवर्क की समस्या का समाधान नहीं होता, वे किसी भी सरकारी सर्वेक्षण में भाग नहीं लेंगे.

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टेलीकॉम विभाग से होगी मीटिंग

स्थिति को संभालने के लिए सागर तहसीलदार रश्मि हलेश मौके पर पहुंचीं और ग्रामीणों से बातचीत की. उन्होंने आश्वासन दिया कि तीन दिनों के भीतर नेटवर्क बहाल करने के लिए टेलीकॉम विभाग से बात की जाएगी. हालांकि, ग्रामीणों ने साफ कर दिया कि जब तक यह वादा पूरा नहीं होता, वे सर्वे में सहयोग नहीं करेंगे.

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सरकार द्वारा शुरू किया गया यह सर्वे राज्य के सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों को अपडेट करने के लिए किया जा रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी इस पहल के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है.

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