जाह्नवी डांगेटी का सपना है कि वह भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बनें. डांगेटी खुद को राकेश शर्मा, सुनीता विलियम्स और कल्पना चावला जैसे अंतरिक्ष यात्रियों से प्रभावित और बचपन में दादी की सुनाई चंद्र कथाओं से प्रेरित बताती हैं. तमिलनाडु के कोयंबटूर में चल रहे इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ के पहले सेशन में शिरकत करते हुए जाह्नवी डांगेटी ने कहा कि जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) महिला अंतरिक्ष यात्रियों को बुलाएगा, तब वहां मौजूद रहना चाहूंगी.
जाह्नवी का चयन अमेरिका की एक परियोजना के तहत टाइटन के ऑर्बिटल पोर्ट स्पेस स्टेशन की यात्रा के लिए चुना गया है. यह मिशन चार साल में लॉन्च होना है. भारत में अंतरिक्ष यात्रा के लिए बहुत कम विकल्पों के बावजूद डांगेटी का चयन इसरो की ओर से आयोजित विज्ञान से संबंधित परीक्षाओं के जरिये हुआ है.
डांगेटी ने अपनी अब तक की यात्रा को लेकर कहा कि खुद शोध किए और खुद ही अंतरिक्ष कार्यक्रमों से जुड़े लोगों, इससे संबंधित संगठनों से संपर्क स्थापित किए और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के ऑनलाइन नागरिक कार्यक्रमों में भी सहभागिता की. नासा के डेटा का उपयोग कर क्षुद्रग्रह की खोज करने में भी डांगेटी की सक्रिय भागीदारी रही. एक अस्थायी क्षुद्रग्रह की खोज करने की उपलब्धि ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उनकी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ के मंच पर डांगेटी ने कहा कि शैक्षिक कार्यक्रमों के जरिये उनका सपना आगे बढ़ा. इसमें एक मैक्सिकन कंपनी की ओर से नासा में आयोजित हुआ सात दिन का सिमुलेशन भी शामिल था. इस आयोजन से अंतरिक्ष यात्री का अुभव मिला ही, एक वैज्ञानिक परियोजना में योगदान का भी अवसर मिला.
उन्होंने एनालॉग मिशन में भी भाग लिया, जिनमें पृथ्वी की परिधि से बाहर के अनुभव जीने का अनुभव मिला. डांगेटी ने बताया कि इस दौरान पोलैंड में एक दल के साथ 11 दिन तक एकांतवास में रहना था. वहां जीवन रक्षक प्रणाली उपलब्ध थी और सख्त नियमों का पालन करना था.
जाह्नवी डांगेटी ने आइसलैंड में एक और एनालॉग मिशन के लिए चुने जाने को ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और कहा कि यहां उन्हें मंगल ग्रह जैसे भूभाग पर प्रशिक्षण दिया गया. यह वही जगह थी, जहां नील आर्मस्ट्रांग ने कभी चंद्रमा पर जाने के लिए अपोलो मिशन की तैयारी की थी.
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डांगेटी ने कहा कि हमने ज्वालामुखी वाले क्षेत्रों में पदयात्रा की, भूवैज्ञानिक अध्ययन किए. इससे भविष्य में ग्रहों की खोज के लिए जरूरी कौशल विकसित हुए. अब उनकी नजरें मार्च 2029 में ऑर्बिटल पोर्ट स्पेस स्टेशन की उड़ान पर हैं, जिसके लिए टाइटन ने उनका चयन किया है. उन्होंने इसे अंतरिक्ष यात्री बनने के सपने को साकार करने की दिशा में एक और कदम बताया. डांगेटी ने कहा कि इस मिशन के लिए बेसिक स्पेस ट्रेनिंग पूरी हो गई है.
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उन्होंने अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर में फाल्कन-9 के प्रक्षेपण को देखने का अनुभव भी बताया और कहा कि हमने जमीन को हिलते और रात को दिन में बदलते देखा. इसरो के भी महिला अंतरिक्ष यात्रियों के लिए दरवाजे खोलने की तैयारी पर डांगेटी ने कहा कि जब ऐसा होगा, तब मैं सबसे पहले वहां मौजूद रहना चाहती हूं.