
भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां सड़क दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा जानलेवा हैं. साल 2024 में हर लाख आबादी में लगभग 12 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई. कई जागरूकता अभियान और सड़क सुरक्षा गाइडलाइन्स के बावजूद ये आंकड़े चिंता बढ़ा रहे हैं. हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जो रिपोर्ट जारी की है, उसके अनुसार 2023 में 4.8 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं. इन हादसों में 1.72 लाख लोगों की मौत हुई और 4.62 लाख लोग घायल हुए.
रिपोर्ट में भारत की सड़क सुरक्षा की गंभीर स्थिति को उजागर किया गया है, जो कई संक्रामक बीमारियों की तुलना में भी ज्यादा जान ले रही है. और सबसे चिंता की बात यह है कि आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. 2022 में 4.61 लाख हादसे दर्ज किए गए थे, यानी 2023 में दुर्घटनाएं 4.2 प्रतिशत बढ़ गईं, मौतें 2.6 प्रतिशत और चोटें 4.4 प्रतिशत बढ़ीं.
भारत की सड़कें सबसे खतरनाक कब होती हैं?
डेटा बताता है कि मई 2023 सबसे जानलेवा महीना था, जब 43,500 से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं. जनवरी (41,841) और दिसंबर (40,997) में भी हादसों की संख्या ज्यादा रही. इसका मतलब है कि गर्मी और साल के अंत में सड़क पर जोखिम बढ़ जाता है. 2022 के आंकड़े भी इसी पैटर्न को दिखाते हैं, जिसमें मई 43,300 हादसों के साथ सबसे खतरनाक महीना था, इसके बाद मार्च (40,356) और दिसंबर (39,954) थे.

टाइमिंंग का महत्व
रिपोर्ट के अनुसार शाम 6 से 9 बजे के बीच सबसे ज्यादा हादसे होते हैं. इस तीन घंटे के समय में लगभग 21 प्रतिशत दुर्घटनाएं होती हैं.

ये है वजह
भारी ट्रैफ़िक, काम के बाद थकान और लापरवाह ड्राइविंग इस समय को सबसे जोखिम भरा बनाते हैं. वहीं, रात के देर समय (मध्यरात्रि से सुबह 6 बजे) में कुल हादसे कम होते हैं, लेकिन जो होते हैं वे अक्सर जानलेवा होते हैं क्योंकि लोग तेज़ रफ्तार में गाड़ी चलाते हैं.

क्या है मौसम की भूमिका
अक्सर माना जाता है कि बारिश या कोहरा सबसे ज्यादा हादसों का कारण होते हैं. लेकिन रिपोर्ट के आंकड़े इसे चुनौती देते हैं. 2023 में 76 प्रतिशत से ज्यादा दुर्घटनाएं साफ और धूप वाले मौसम में हुईं. बारिश में 7.8 प्रतिशत और कोहरे या धुंध वाले मौसम में 7.1 प्रतिशत हादसे हुए.