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IAF ने रक्षा मंत्रालय को भेजा 114 राफेल जेट का प्रस्ताव, भारत में होगा इनका निर्माण

चीन और पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमाओं पर बढ़ते खतरे के कारण IAF को अधिक से अधिक लड़ाकू विमानों की जरूरत है. भारतीय वायु सेना की लड़ाकू विमानों की भविष्य की फ्लीट मुख्य रूप से सुखोई-30 MKI, राफेल, तेजस और अन्य स्वदेशी प्रोजेक्ट्स पर आधारित होंगी.

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भारतीय वायुसेना ने 114 'मेड इन इंडिया' राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा. (File Photo: PTI)
भारतीय वायुसेना ने 114 'मेड इन इंडिया' राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा. (File Photo: PTI)

भारतीय वायुसेना (IAF) ने रक्षा मंत्रालय को 114 'मेक इन इंडिया' राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव भेज दिया है. ये विमान फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा भारतीय एयरोस्पेस कंपनियों के साथ मिलकर बनाए जाएंगे. यह सौदा 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो सकता है, जिसमें 60 प्रतिशत से अधिक भारतीय उपकरणों का इस्तेमाल होगा.

रक्षा अधिकारियों ने बताया कि IAF का स्टेटमेंट ऑफ केस (SoC) कुछ दिनों पहले मंत्रालय पहुंचा है. जल्द ही रक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली डिफेंस प्रोक्योरमेंट बोर्ड (DPB) में इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी, उसके बाद इसे डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) में भेजा जाएगा. अगर अप्रूवल मिला तो यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा होगा.

नौसेना ने 36 राफेल मरीन जेट ऑर्डर किए हैं

इस खरीद से भारतीय रक्षा बलों में राफेल विमानों की संख्या 176 हो जाएगी. IAF के पास पहले से ही 36 राफेल फाइटर जेट हैं, और नौसेना ने 36 राफेल मरीन जेट के ऑर्डर दिए हैं. यह प्रस्ताव ऑपरेशन सिंदूर के बाद आया है, जहां राफेल ने पाकिस्तान के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया था. इसके स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम ने चीनी PL-15 मिसाइलों को आसानी से धूल चटा दी थी. 

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यह भी पढ़ें: फ्रेंच फाइटर जेट राफेल ने अमेरिकी F-35 को 'Kill Lock' किया, स्टील्थ फाइटर जेट खुद को बचा नहीं पाया

राफेल की मैन्युफैक्चरिंग में शामिल होगा टाटा 

भारत में निर्मित होने वाले इन नए राफेल विमानों में मौजूदा स्कैल्प मिसाइल से लंबी रेंज वाली एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलें लगाई जा सकती हैं. डसॉल्ट एविएशन हैदराबाद में M-88 इंजनों के लिए रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (MRO) सेंटर स्थापित करने की योजना बना रही है. कंपनी ने फ्रेंच जेट्स के रखरखाव के लिए पहले ही एक यूनिट बना ली है. टाटा जैसी निजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियां इस एयरक्राफ्ट की मैन्युफैक्चरिंग में शामिल होंगी.

चीन और पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमाओं पर बढ़ते खतरे के कारण IAF को अधिक से अधिक लड़ाकू विमानों की जरूरत है. भारतीय वायु सेना की लड़ाकू विमानों की भविष्य की फ्लीट मुख्य रूप से सुखोई-30 MKI, राफेल, तेजस और अन्य स्वदेशी प्रोजेक्ट्स पर आधारित होंगी. भारत सरकार ने हाल ही में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 97 LCA MK-1A जेट के लिए भी ऑर्डर दिए हैं, जिसकी अनुमानित लागत 62,000 करोड़ रुपये है. 48000 करोड़ रुपये 83 LCA MK-1A जेट के लिए ऑर्डर 2021 में दिया जा चुका है.

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