अडानी ग्रुप को लेकर अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) की रिपोर्ट जारी होने के बाद ग्रुप के शेयरों में कोहराम मचा हुआ है. ग्रुप के शेयर रोजाना रिकॉर्ड निचले स्तर को छू रहे हैं. ऐसे में वरिष्ठ वकील और देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा है कि भारत ने वैश्विक मंच पर जिस तरह अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है, उससे कोई खुश नहीं है. भारतीय कारोबारी दुनियाभर में परचम लहरा रहे हैं लेकिन इससे कोई खुश नहीं है.
उन्होंने इंडिया टुडे के साथ बातचीत में कहा कि ऐसा समय भी था, जब हम भारत में निवेश के लिए ब्रिटिश कारोबारियों का मान-मनोव्वल करते थे. लेकिन अब ब्रिटिश सरकार ब्रिटेन में निवेश के लिए भारतीयों को लुभा रही हैं. यह दुनिया की डायनैमिक्स में एक बड़ा बदलाव है. लेकिन इसका अपना खामियाजा भी है.
यह रिपोर्ट भारत और भारतीयों पर हमला
अडानी ग्रुप विवाद पर साल्वे ने कहा कि यह रिपोर्ट भारत और भारतीयों पर हमला है. अडानी की अधिकतर संपत्तियां रेगुलेटेड हैं. इसका लाभ और नुकसान दोनों है. अडानी ग्रुप की सभी कंपनियां लिस्टिड हैं. इनके सभी रिकॉर्ड पब्लिक डोमेन में हैं. आप कह सकते हैं कि आपने (हिंडनबर्ग) छिप-छिपकर रिसर्च की और उससे जो निकला वो बेतूका है.
उन्होंने कहा कि आज के समय में ऐसी कोई कंपनी या शेल कंपनी नहीं है, जिसकी बैलेंस सीट नहीं है. अगर किसी लिस्टिड कंपनी की विदेश में सब्सीडियरी कंपनी है, उसका भी पूरा ब्योरा है. अगर आज अडानी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर लिस्टिड कंपनी के शेयर को कंट्रोल करते हैं तो उसका भी खुलासा करना होगा. इसलिए ऐसा कुछ नहीं है, जो छिपा हुआ हो.
हिंडनबर्ग पर साधा निशाना
साल्वे ने हिंडनबर्ग पर निशाना साधते हुए कहा कि यह जानना जरूरी है कि यह एक शॉर्ट सेलिंग फर्म हैं. यही वजह है कि कुछ लोग आरोप लगाकर पैसा कमाना पसंद करते हैं. भारत की बात करें तो यहां हिंडनबर्ग जैसी फर्म पर कानूनी कार्रवाई के लिए किसी तरह का लीगल ढाचा नहीं है. अगर हम उन पर मानहानि का मुकदमा भी करना चाहेंगे तो गौतम के पोते तक यह केस अदालत में लड़ते रहेंगे.
उन्होंने कहा कि हम अमेरिका में हिंडनबर्ग पर मुकदमा दायर नहीं कर सकते क्योंकि वहां वे पूछेंगे कि इसका सबसे अधिक कहां असर हुआ? जवाब में भारत कहने पर कि दो टूक बोल देंगे कि यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है इसलिए वहां मुकदमा दर्ज करना मुश्किल है.
साल्वे ने कहा कि जब किसी कंपनी का एफपीओ आता है तो माना जाता है कि आरोप मढ़ने का यह सबसे सही समय है. जब तक बाजार में उथल-पुथल रहेगी तब तक निवेशकों में डर रहेगा. किसी भी कंपनी को अपनी साख बनाने और निवेशकों का विश्वास जीतने में बहुत समय लगता है. लेकिन यह एक झटके में टूट भी जाता है.
उन्होंने अडानी के एफपीओ वापस लेने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह अच्छा कदम था. अगले कुछ हफ्तों में शेयरों में गिरावट जारी रहेगी. हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच की जाएगी.
सेबी 72 घंटे में रिपोर्ट पेश करे
साल्वे ने कहा कि मुझे निजी तौर पर लगता है कि सेबी के पास हिंडनबर्ग की रिपोर्ट है, उनके पास अडानी का जवाब भी है. सेबी के पास अधिकार है, उन्हें अडानी को बुलाना चाहिए और उनसे सवालों से जवाब लेने चाहिए. इन आरोपों की जांच के लिए 72 घंटे बहुत है. सेबी 72 घंटों में इसकी रिपोर्ट पेश करें.
विपक्ष के लिए अडानी बलि का बकरा
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के लिए अडानी बलि का बकरा है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्हें बाद में दोषमुक्त कर दिया जाए. साल्वे ने कहा कि सेबी की रिपोर्ट को पूरी तरह से सार्वजनिक किया जाना चाहिए. यह एक तर्कसंगत रिपोर्ट होनी चाहिए. सेबी को निवेशकों को बताना चाहिए कि वह घबराए नहीं. हम जांच करेंगे और रिपोर्ट पेश करेंगे.