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4-4 घंटे की शिफ्ट, 6 पुजारी कर रहे 9 दिन का अखंड रामायण पाठ... व्यास तहखाने की पूजा में अब क्या-क्या हो रहा है?

ज्ञानवापी परिसर के नीचे व्यास जी के तहखाना में नौ दिनों का अखंड रामायण का पाठ चल रहा है. एक अखंड ज्योति जलाई गई है जो अब लगातार जलेगी जिसे बुझने नहीं दिया जाएगा. अखंड रामायण पाठ के लिए चार-चार घंटे की पुजारी की शिफ्ट लगी है, जिसमें 6 पुजारी लगातार नौ दिनों के इस अखंड रामायण के पाठ को कर रहे हैं.

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इलाहाबाद HC ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति को राहत देने से इनकार किया, कहा परिसर के अंदर पूजा जारी रहेगी
इलाहाबाद HC ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति को राहत देने से इनकार किया, कहा परिसर के अंदर पूजा जारी रहेगी

ASI के सर्वे में व्यास जी के तहखाना से मिली 10 मूर्तियों में से आठ मूर्तियों को ट्रेजरी से इस तहखाने में वापस लाकर स्थापित किया गया है जिसकी पूजा चल रही है. जिन मूर्तियों को स्थापित किया गया है यह सभी मूर्तियां खंडित है जिसमें दो शिवलिंग के अरघे हैं. दो मूर्ति हनुमान जी की है यह भी खंडित है. एक खंडित मूर्ति भगवान विष्णु की है, एक माता लक्ष्मी की है, गणेश जी की प्रतिमा है और राम लिखे हुए जिस शिलापट्ट को एएसआई ने इस तहखाने से बरामद किया था, उसका भी पूजन चल रहा है. 

परिसर में चल रहा नौ दिन का अखंड रामायण पाठ
सिर्फ मूर्तियों की पूजा ही नहीं बल्कि ज्ञानवापी परिसर के नीचे व्यास जी के तहखाना में नौ दिनों का अखंड रामायण का पाठ चल रहा है. एक अखंड ज्योति जलाई गई है जो अब लगातार जलेगी जिसे बुझने नहीं दिया जाएगा. अखंड रामायण पाठ के लिए चार-चार घंटे की पुजारी की शिफ्ट लगी है, जिसमें 6 पुजारी लगातार नौ दिनों के इस अखंड रामायण के पाठ को कर रहे हैं.

लग रही है शिफ्ट, 4-4 घंटे पाठ करते हैं पुजारी
हर पुजारी अपने घंटे के रामायण पाठ के बाद अपनी आरती कर व्यास जी के तहखाना से बाहर आ जाता है और फिर दूसरी पुजारी की एंट्री होती है ऐसे रामायण का अनवरत पाठ चल रहा है. दरअसल 1993 के पहले साल में तीन बार इस तहखाने में रामायण का पाठ होता था, ऐसा दावा हिन्दू पक्ष का भी है.

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बता दें कि, इसी हफ्ते कोर्ट से मिले आदेश के बाद ज्ञानवापी के वजूखाने के भीतर व्यास तहखाने में पारंपरिक पद्धति के साथ मूर्तियों की स्थापना की गईं इसके साथ ही उनका षोडषोपचार पूजन भी किया गया था. हाल ही में हुए ASI के सर्वे में ये स्पष्ट हो गया था कि ज्ञानवापी की मस्जिद, एक पुराने भव्य हिंदू मंदिर पर बनाई गई थी, जिसमें हिंदू मंदिर संस्कृति के कई चिह्न दीवारों और खंभों पर अंकित मिले थे. 

वाराणसी जिला कोर्ट ने दी थी पूजा की इजाजत
वाराणसी की जिलाकोर्ट ने व्यास खाने में पूजा की इजाजत दी थी, इसके बाद बुधवार को अष्ट देवताओं की मूर्तियां रखकर पूजा की गई है. हिंदू पक्ष के वकील ने गुरुवार को इस बाबत कहा था कि, यह हमारे मुख्य लक्ष्य की ओर एक कदम है. मैं प्रशासन को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने आदेश का पालन किया. उन्होंने कहा कि, कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन किया है और इसके बाद पूजा पाठ शुरू कर दिया गया है. बेरकेडिंग करके गेट बना दिया गया है. वहां जो देवी-देवता पहले स्थापित थे, उन्हें वहां विराजमान करके उनकी पूजा शुरू कर दी गई है. 

अष्ट प्रतिमाओं की स्थापना, अखंड ज्योति जलाई गई
व्यास तहखाने में  एक-एक विष्णु और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है. दो हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित की गई है. जोशीमठ की 2 प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं और एक मकर की प्रतिमा है. इसके अलावा यहां एक अखंड दीप स्थापित किया गया है. पूजा शुरू होने के साथ ही इस परिसर में अब आरती का समय भी तय कर दिया है. मंदिरों में होने वाली आरती परंपरा की ही तरह यहां पांच आरतियां होंगी. 
इनका समय सुबह 3:30 बजे से रात 10:30 बजे तक का है. 

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मंगला आरती - सुबह 3:30 बजे
भोग आरती - दोपहर 12 बजे
अपरान्ह आरती - शाम 4 बजे
सांयकाल आरती - शाम 7 बजे
शयन आरती- रात्रि 10:30 बजे

पूजा के दौरान अपनाईं गईं ये विधियां
1. सबसे पहले रात 12 बजे के करीब पंचगव्य से तहखाना शुद्ध किया गया. 
2. प्रतिमाओं का षोडशोपचार पूजन हुआ. 
3. गंगाजल और पंचगव्य से मूर्तियों को स्नान कराया गया. 
4. इसके बाद देवता महागणपति का आह्वान किया गया. 
5. फिर सभी विग्रह को चंदन, पुष्प, अक्षत धूप दीप-नैवेद्य चढ़ाया गया और आरती की गई. 
6. व्यास जी के तहखाने में लगभग आधे घंटे तक पूजन हुआ.

व्यास तहखाने में किन देवताओं की हुई पूजा? 
1. व्यास तहखाने में विष्णु भगवान की एक प्रतिमा
2. गणेश भगवान की एक प्रतिमा
3. हनुमानजी की दो प्रतिमाएं
4. जोशीमठ की दो प्रतिमाएं
5. एक राम नाम लिखा हुआ पत्थर
6. एक मकर 
7. अखंड ज्योति की स्थापना

क्या होती है अखंड ज्योति?
भारतीय पूजा पद्धति में दीप ज्योति जलाने की परंपरा रही है. दीप को साक्षात ईश्वर का स्वरूप माना जाता है. इसलिए इसके साथ जुड़ी आस्था की मान्यताएं भी बहुत हैं. किसी भी मंदिर में लगातार जल रहा दीप, उस मंदिर में हमेशा देव उपस्थिति के रहने का प्रतीक होता है. जब एक बार दीप जलाकर उसे कभी बुझने न दिया जाए तो यह अखंड ज्योति कहलाती है. आमतौर पर घरों में भी नवरात्र के समय नौ दिन के लिए अखंड ज्योति की स्थापना की जाती है. कई प्राचीन मंदिरों में लगातार कई वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है.

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