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गोरखपुर रेलवे भर्ती में वसूली का खेल, CBI ने पूर्व चेयरमैन और तीन अफसरों पर दर्ज की FIR

गोरखपुर रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड में 2018–19 की भर्ती में अनियमितताओं और वसूली के आरोप पर सीबीआई ने पूर्व चेयरमैन प्रवीण कुमार राय समेत चार लोगों पर केस दर्ज किया. जांच में पाया गया कि एंपैनलमेंट में देरी कर अभ्यर्थियों से पैसे मांगे गए. एडिशनल एसपी रानू चौधरी को जांच सौंपी गई है और सीबीआई ने छापेमारी शुरू कर दी है.

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रेलवे भर्ती बोर्ड से जुड़े घोटाले की CBI करेगी जांच. (Photo- ITG)
रेलवे भर्ती बोर्ड से जुड़े घोटाले की CBI करेगी जांच. (Photo- ITG)

गोरखपुर रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (RRB) में भर्ती घोटाले के मामले में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई की है. साल 2018–19 में ALP (सहायक लोको पायलट) और तकनीशियन ग्रेड में भर्ती के दौरान अनियमितताओं और वसूली के आरोप में रेलवे की इंटरनल जांच के बाद सीबीआई की लखनऊ यूनिट ने केस दर्ज किया है. इस केस में रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड गोरखपुर के बर्खास्त पूर्व चेयरमैन प्रवीण कुमार राय समेत चार लोगों को नामजद किया गया है.

एफआईआर के मुताबिक, इस भर्ती प्रक्रिया के दौरान चयनित अभ्यर्थियों का पैनल तैयार करने में जानबूझकर देरी की गई. आरोप है कि अभ्यर्थियों से एंपैनलमेंट के लिए पैसे मांगे गए. जिन उम्मीदवारों ने रकम दी, उनका एंपैनलमेंट कर उन्हें नौकरी ज्वाइन करवाई गई, जबकि भुगतान से मना करने वालों का एंपैनलमेंट लटका दिया गया.

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सीबीआई ने जिन लोगों पर केस दर्ज किया है, उनमें तत्कालीन चेयरमैन प्रवीण कुमार राय, तत्कालीन टेक्नीशियन विनय कुमार श्रीवास्तव, तत्कालीन कार्यालय सहायक वरुण राज मिश्रा और सूरज कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं. इसके अलावा, एफआईआर में अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.

2018-19 की भर्ती से जुड़ा है मामला

जानकारी के मुताबिक, साल 2018–19 में गोरखपुर रेलवे भर्ती बोर्ड की ओर से आयोजित इस भर्ती में कई अभ्यर्थियों ने क्वालीफाई किया था. एंपैनलमेंट की जानकारी देने में देरी के कारण कुछ अभ्यर्थी बोर्ड से संपर्क में आए. बोर्ड ने उन्हें चेयरमैन से मिलने की सलाह दी. मुलाकात के बाद चेयरमैन ने उनके दस्तावेज और प्रार्थना पत्र खुद रख लिए. इसके बाद अलग-अलग नंबरों से फोन कर एंपैनलमेंट के लिए पैसे मांगे जाने लगे.

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पैनल में नाम नहीं जोड़े जाने पर अभ्यर्थी ने की थी शिकायत

अगस्त 2022 में अभ्यर्थियों ने रेल प्रशासन से शिकायत की कि जानबूझकर उनका नाम पैनल में शामिल नहीं किया जा रहा है और उनसे पैसों की मांग हो रही है. शिकायत के बाद रेलवे विजिलेंस ने जांच शुरू की. जांच में आरोप सही पाए गए और अनियमितताओं की पुष्टि हुई.

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लखनऊ एंटी करप्शन यूनिट ने दर्ज किया केस, सीबीआई करेगी जांच

इस रिपोर्ट के आधार पर पूर्वोत्तर रेलवे के उप मुख्य सतर्कता अधिकारी (लेखा) जेए वैड्रीन ने सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्र लिखा. इसके बाद सीबीआई की लखनऊ एंटी करप्शन यूनिट ने धोखाधड़ी, रिश्वत लेने और षड्यंत्र रचने के आरोप में केस दर्ज किया. जांच की जिम्मेदारी सीबीआई की एडिशनल एसपी रानू चौधरी को सौंपी गई है. एफआईआर दर्ज होने के बाद सीबीआई ने कई जगहों पर छापेमारी की और मामले में आगे की जांच शुरू कर दी है.

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