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Firozabad Seat: चूड़ियों के शहर का क्या है चुनावी माहौल? जानें फिरोजाबाद के प्रमुख मुद्दे

यूपी का फिरोजाबाद एक ऐतिहासिक शहर है. चूड़ियों का कारोबार यहां का प्रमुख उद्योग है. इतिहास गवाह है कि अकबर ने फिरोजशाह मनसबदार के नेतृत्व में अपनी सेना भेजकर अफगानी द्वारा लूटा गया माल वापस मंगाया. और उस समय चंद्रावर नाम के इस शहर को अपने सेनापति फिरोज शाह के नाम पर फिरोजाबाद कर दिया.

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चूड़ियां बनाते लोग  फोटो: आजतक
चूड़ियां बनाते लोग फोटो: आजतक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लोगों से बातचीत कर जाना चुनावी माहौल
  • आगामी विधानसभा चुनाव में क्या रहेंगे मुद्दे

यूपी का फिरोजाबाद एक ऐतिहासिक शहर है. चूड़ियों का कारोबार यहां का प्रमुख उद्योग है. इतिहास गवाह है कि अकबर ने फिरोजशाह मनसबदार के नेतृत्व में अपनी सेना भेजकर अफगानी द्वारा लूटा गया माल वापस मंगाया. और उस समय चंद्रावर नाम के इस शहर को अपने सेनापति फिरोज शाह के नाम पर फिरोजाबाद कर दिया. यहां के चुनावी माहौल को लेकर लोगों से बातचीत की तो कई बातें निकलकर सामने आईं.

अगस्त और सितंबर के महीने में फिरोजाबाद में ऐसी त्रासदी झेली, जिसने इस शहर को डरा दिया. कोरोनावायरस का खतरा कम हुआ ही नहीं था कि अचानक एक रहस्यमई बुखार फिरोजाबाद के शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक फैलने लगा और बच्चों को अपनी चपेट में लेने लगा. 

फिरोजाबाद में हालत यह था कि बच्चों बड़ों का इलाज अस्पतालों में नहीं, बल्कि झोलाछाप डॉक्टरों और दुकानों में होने लगा. आज तक के कैमरे ने ऐसी कई तस्वीरें कैद कीं, जो फिरोजाबाद की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलते नजर आईं. क्या सरकारी क्या निजी अस्पताल कहीं भी मरीजों को जगह मिलनी मुश्किल हो गई. उन्हें आगरा जैसे आसपास के शहरों में इलाज के लिए रेफर किया जाने लगा. सुधीर जैसे युवा आज भी उस मंजर को भूल नहीं पाते. सुधीर बताते हैं कि वह समय बेहद डरावना था, क्योंकि बाहर बच्चों की मौत हो रही थी, यहां वहां लोगों को रेफर किया जाने लगा ऐसी बीमारी फैली जो पहले फिरोजाबाद ने कभी नहीं देखी थी.

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'सुदामा नगर में पहले से अब हालात ठीक हैं'

सुदामा नगर की बस्ती फिरोजाबाद का छोटा सा कस्बा है. बीमारी की त्रासदी में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था. यहां लगभग 4 लोगों की मौत हुई थी. खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां लोगों से मिलने आए थे. हालात का जायजा लिया था. एक महामारी के दौरान डेंगू के प्रलय में स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया था. तो क्या हालात अभी भी वैसे हैं? सुदामा नगर बस्ती के लोग कहते हैं कि आप सब कुछ पहले से ठीक हो गया है, सफाई होने लगी है और इलाज भी मिलने लगा है. शैलेश झा कहते हैं कि अब साफ सफाई भी होने लगी है. नगरपालिका की ओर से ध्यान भी दिया जाने लगा है और पहले के मुकाबले हालात ठीक हो गए हैं. 

चूड़ियां बनाते लोग  फोटो: आजतक

बस्ती के लोगों के सामने दूसरी समस्या खड़ी हो गई है, वह है कि उनके घर के बिगड़ते बजट की. पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. गांव के बुजुर्ग पूर्ण कहते हैं कि बिजली की कीमतें अब बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं. ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो गया है तो सविता देवी कहती हैं बिजली के साथ-सथ खाने वाला तेल महंगा हो गया है और घर का बजट जो पहले ₹500 में चल जाता था, अब 15 सो रुपये भी कम पड़ते हैं.

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कस्बे के लोग कहते हैं कि महंगाई अभी उन्हें परेशान कर रही है तो चुनाव में वह मुद्दा सरकार को भी परेशान कर सकता है. अचल राम कहते हैं कि महंगाई हमारे लिए सबसे बड़ा मुद्दा है और अभी तो नेताओं ने आना शुरू नहीं किया, जब वह प्रचार के लिए आएंगे, तब हम उन्हें महंगाई पर सवाल जरूर पूछेंगे.

'कांच का कारोबार डेढ़ सौ साल पुराना'

फिरोजाबाद एक औद्योगिक इलाका है और यहां कांच का बड़ा उद्योग है. कांच की चूड़ियां कांच के खिलौने कांच के सजावट के सामान सब कुछ फिरोजाबाद में ही बनता है और जो हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई मुल्कों तक भेजा जाता है. फिरोजाबाद के कारोबारी मुकेश बंसल बताते हैं कि कांच का कारोबार इस शहर के लिए लगभग डेढ़ सौ साल पुराना है, लेकिन मुकेश बंसल जैसे कारोबारियों की चिंता प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर हैं। 

कांच का कारोबार सी कोड रहा है, जो सीधे-सीधे रोजगार के मौकों पर भी असर डाल रहा है. मुकेश बंसल कहते हैं कि जैसे-जैसे प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ रहा है. वैसे ही कांच का उद्योग सिकुड़ने लगा है, जिसके चलते अब बेरोजगारी भी बढ़ने लगी है. मुकेश बताते हैं कि किसी जमाने में फिरोजाबाद में एक भी भिखारी देखने को नहीं मिलता था क्योंकि काम ज्यादा था. मौके भी ज्यादा थे, लेकिन अब प्लास्टिक उनकी उद्योग को तबाह कर रहा है.

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फिरोजाबाद के लिए चूड़ी सबसे बड़ा कारोबार

फिरोजाबाद अपनी चूड़ियों की खनक के लिए कई दशकों से मशहूर है. हिंदुस्तान का शायद ही कोई ऐसा कोना हो, जहां फिरोजाबाद की चूड़ियां नहीं जाती. फिरोजाबाद के लिए यही सबसे बड़ा कारोबार है, जो हजारों लोगों को रोजी-रोटी देता है. कांच की फैक्ट्री लघु उद्योग में भी है और कुटीर उद्योग में भी शामिल है. फिरोजाबाद का औद्योगिक जिला मजदूरों से भरा हुआ दिखाई पड़ता है जो बेरोजगारी की तस्वीर उजागर करता है. संजय जैन चूड़ियों का कारखाना चलाते हैं, जहां बनी हुई चूड़ियां देश के अलग-अलग इलाकों में भेजी जाती हैं.

चूड़ियों की चमक बनाए रखने के लिए मजदूर लगातार मेहनत तो करते हैं, लेकिन कारोबारी बढ़ती कीमतों से परेशान हैं. चूड़ियों के कारोबारी संजय जैन कहते हैं कि चूड़ियां पर खिलाने से लेकर उन्हें बनाने के लिए जो गैस इस्तेमाल होती है, उसकी कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं, साथ ही समय-समय पर मजदूरी भी सरकार की ओर से बढ़ाई जा रही है. ऐसे में लागत बहुत ज्यादा बढ़ रही है और अब चूड़ी उद्योग महंगाई के चलते वेंटिलेटर की ओर बढ़ रहा है.

रोजी रोटी कमाने वाले दुकानदार भी बढ़ती कीमतों से परेशान

सिर्फ चूड़ी बनाने वाले ही नहीं बल्कि उन्हें बेचकर रोजी रोटी कमाने वाले दुकानदार भी बढ़ती कीमतों से परेशान हैं. वरुण जैसे दुकानदारों का कहना है कि बढ़ती कीमतों के चलते कारोबार पर असर तो पड़ा है, साथ ही महामारी के काल में बड़े दुकानदारों ने कई मजदूरों को और अपने यहां कर्मचारियों की संख्या में कटौती की.

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यासीन जैसे छोटे दुकानदार भी बढ़ती कीमतों से परेशान हैं. यासीन कहते हैं कि अब चूड़ियां और पीछे से आने वाला रो मटेरियल भी महंगा हो गया है साथ ही बिक्री वैसी नहीं रही है. ऐसे में कई छोटे दुकानदार चूड़ी बेचने के अलावा दूसरे धंधों में भी लग गए हैं, ताकि घर गृहस्थी चला सके. बच्चों को पढ़ा सके, क्योंकि महंगाई का असर हर जगह है.

फिरोजाबाद के कांच उद्योग से हजारों मजदूरों और उनके परिवार का पेट पलता है. ‌ फिरोजाबाद के घंटाघर इलाके में मजदूरों की मंडी लगती है, जहां पसीने की कीमत लगती है और मजदूर यहां 30 दिन की नौकरी के ख्वाब भी नहीं देख पाता, बल्कि इस उम्मीद में आता है कि उसे 10 दिन 15 दिन का कारोबार मिल जाए, ताकि चार पैसे कमा कर वह अपने परिवार का पेट पाल सकें. मजदूरों की इस मंडी में कई बच्चों के सपने भी दफन हो रहे हैं. मजदूर महेश वोट बैंक बनकर रह जाता है, लेकिन उनके मुद्दे कभी आवाज नहीं बन पाते. फिरोजाबाद के मजदूर मंडी में हमने इन लोगों से बात की और उनके मुद्दे समझने की कोशिश की.

आवारागर्दी-गुंडागर्दी पर लगाम लगी

इन सब मुद्दों के अतिरिक्त फिरोजाबाद के लोग सुरक्षा को सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं जिसके लिए योगी सरकार को वह बधाई भी देते हैं. फिरोजाबाद के पुराने गलियों में लोगों ने बताया कि अब सुरक्षा को लेकर के वह निश्चिंत हैं, क्योंकि योगी सरकार के कार्यकाल में आवारागर्दी गुंडागर्दी पर लगाम लगी है. विकास सिंह कहते हैं कि अब उन्हें अपनी बहन बेटियों के लिए फिक्र नहीं होती, क्योंकि सुरक्षा को लेकर के योगी सरकार ने अच्छा काम किया है. हालांकि शहर में कुछ लोगों की शिकायत आवारा पशुओं को लेकर हैं. उनका आरोप है कि इस तरफ योगी सरकार ने वादों के बावजूद कुछ भी नहीं किया तो शहर के दूसरे लोग मानते हैं कि कई सारे मुद्दों पर योगी सरकार ने बेहतर काम किया है.

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फिरोजाबाद की यात्रा में जो मुख्य बातें समझ में आती हैं वह यह कि कांच के उद्योग से जुड़े हुए मजदूर अपने भविष्य को लेकर फिक्र मंद हैं. सरकार का इस ओर ध्यान चाहते हैं तो वहीं कारोबारी और आम लोग बढ़ती महंगाई से चिंतित हैं और चुनाव में वही सरकार के लिए भी चिंता का सबब बन सकता है.

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