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प्रदर्शन कर रहे किसानों का रद्द हो सकता है पासपोर्ट! जानिए क्या कहता है कानून?

किसान आंदोलन के बीच अंबाला पुलिस ने कहा कि उन्होंने किसान आंदोलन 2.0 के दौरान पंजाब बॉर्डर पर बैरिकेड तोड़ने और उपद्रव करने वालों के पासपोर्ट और वीजा रद्द करने का प्रोसेस शुरू करेंगे. लेकिन ऐसी कौन सी स्थितियां हैं, जिनके तहत अधिकारी इतना बड़ा कदम उठा सकते हैं?

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पटियाला जिले में 'दिल्ली चलो' मार्च के दौरान विरोध प्रदर्शन करते किसान (फोटो- पीटीआई)
पटियाला जिले में 'दिल्ली चलो' मार्च के दौरान विरोध प्रदर्शन करते किसान (फोटो- पीटीआई)

पिछले कई हफ्तों से चल रहा किसान आंदोलन 2.0 फिलहाल धीमा पड़ा हुआ है लेकिन पुलिस ने अपना पहरा जारी रखा है और दिल्ली एनसीआर से लगे बॉर्डर्स को अगले आदेश तक सील कर दिया गया है. हाल ही में क्रिकेटर से डीएसपी बने हरियाणा पुलिस के जोगिंदर शर्मा ने कहा कि वो उन लोगों के पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करेंगे, जिन्होंने फरवरी में किसान आंदोलन के दौरान पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैरिकेड तोड़ दिए और उपद्रव किया था. 

जोगिंदर शर्मा ने कहा कि सीसीटीवी और ड्रोन कैमरों और वीडियोग्राफी के जरिए हमने ऐसे व्यक्तियों की पहचान की है, जो बैरिकेड तोड़ने या गड़बड़ी पैदा करने में शामिल थे. हमने बहुत सारी तस्वीरें भी ली हैं, जिनमें वे कई तरीकों से तोड़फोड़ और अशांति पैदा करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

इस बीच, हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि यह उनकी जानकारी में नहीं है कि इस तरह के निर्देश दिए गए हैं लेकिन शायद वीजा रद्द करना विदेश मंत्रालय के हाथ में भी नहीं है. यह केवल संबंधित दूतावास द्वारा ही किया जाना है. उन्होंने यह भी कहा कि पासपोर्ट से जुड़ा मामला विदेश मंत्रालय (MEA) का है क्योंकि वह पासपोर्ट जारी करने वाली अथॉरिटी है.

किन परिस्थितियों में पासपोर्ट जब्त या रद्द किया जा सकता है?
पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया कहने में आसान है लेकिन करने में नहीं, क्योंकि यह टेढ़ी खीर है. लेकिन ऐसी शर्तें हैं, जिनके तहत पासपोर्ट अधिकारी कार्रवाई कर सकते हैं. पासपोर्ट अधिनियम 1967 के प्रावधानों के तहत निर्धारित कानून में उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना पासपोर्ट और वीजा रद्द या जब्त नहीं किया जा सकता है.

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कानून के मुताबिक, पुलिस अधिकारियों के पास भारत में विदेश मंत्रालय को मनमाने ढंग से दरकिनार करने की शक्ति नहीं है. इसके अलावा, वीजा जारी करना उस देश के दूतावास के जरिए किया जाता है, जो उन लोगों को वीजा देता है, जिन्हें वे विदेश यात्रा के लिए उपयुक्त समझते हैं.

पासपोर्ट अधिनियम 1967 के तहत पासपोर्ट प्राधिकरण, पासपोर्ट या यात्रा से संबंधित डॉक्यूमेंट को धारा 10ए और 10बी के तहत जब्त या रद्द कर सकता है. अधिनियम में कहा गया है कि अगर पासपोर्ट प्राधिकरण भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की सुरक्षा, किसी भी विदेशी देश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों या जनता के हित में ऐसा करना जरूरी समझता है, तो किया जा सकता है. 

कानून में इस तरह के फैसलों के लिए कुछ वजहें भी बताई गई हैं, जो इस तरह हैं...

राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं 
अगर किसी व्यक्ति की गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करती हैं, तो अधिकारी उनका पासपोर्ट रद्द कर सकते हैं. हालांकि, सिर्फ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग लेने से ऐसी कार्रवाई की सीमा पूरी होने की उम्मीद नहीं है, जब तक कि गैरकानूनी या विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने का सबूत न हों.

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आपराधिक मामलों में शामिल होने की स्थिति
अगर किसी व्यक्ति पर धोखाधड़ी, आतंकवाद या अन्य गंभीर अपराधों सहित कुछ आपराधिक कृत्यों का आरोप लगाया जाता है, तो पासपोर्ट रद्द किया जा सकता है. विरोध स्थलों पर बैरिकेड तोड़ने पर गैरकानूनी सभा या सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन का आरोप लग सकता है, लेकिन ऐसे अपराधों की गंभीरता अलग-अलग हो सकती है.

पासपोर्ट का गलत इस्तेमाल
अगर पासपोर्ट धोखाधड़ी से हासिल किया गया है या अवैध गतिविधियों के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, तो अधिकारियों के पास इसे रद्द करने का अधिकार है. हालांकि, दुरुपयोग को साबित करने के लिए गहन जांच और उचित प्रक्रिया की जरूरत होती है. जबकि भारतीय पासपोर्ट अधिनियम पासपोर्ट निरस्तीकरण के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है, लेकिन प्रक्रिया सीधी नहीं है. इसमें मनमाने या अन्यायपूर्ण कार्यों को रोकने के लिए कई कदम और सुरक्षा उपाय शामिल हैं, जो इस तरह हैं...

जांच और साक्ष्य
पासपोर्ट रद्द करने से पहले, अधिकारी पूरी तरह से जांच करते हैं और अपने दावों को साबित करने के लिए सबूत इकट्ठा करते हैं. इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि फैसला केवल आरोपों के बजाय तथ्यों पर आधारित हों.

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नोटिस और सुनवाई
पासपोर्ट रद्दीकरण का सामना करने वाले व्यक्तियों को सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपना मामला पेश करने के लिए पर्याप्त नोटिस और मौका दिया जाना चाहिए. प्राकृतिक न्याय का यह सिद्धांत मनमाने या अनुचित फैसलों से सुरक्षा प्रदान करता है.

न्यायिक समीक्षा
अगर कोई व्यक्ति अपने पासपोर्ट को रद्द करने के फैसले से असहमत है, तो उसे न्यायिक समीक्षा की मांग करने का अधिकार है. यह फैसले की स्वतंत्र जांच की छूट देता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह कानूनी सिद्धांतों और संवैधानिक अधिकारों का पालन करता है.

अपील करने का प्रोसेस
भारतीय पासपोर्ट अधिनियम एक अपील प्रक्रिया का भी प्रावधान करता है, जो पीड़ित व्यक्तियों को उच्च अधिकारियों या अदालतों के जरिए पासपोर्ट निरस्तीकरण फैसलों को चुनौती देने की अनुमति देता है.

इन कानूनी और सुरक्षा उपायों को देखते हुए, हरियाणा पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों के पासपोर्ट रद्द करने या रद्द करने की धमकी उचित प्रक्रिया और मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के बारे में चिंता पैदा करती है. वकील कॉलिन गोंसाल्वेस कहते हैं कि, 'यात्रा करने और पासपोर्ट रखने का अधिकार अनुच्छेद 19 के तहत एक मौलिक अधिकार है. क्या किसानों ने कोई अपराध किया है? यह सही नहीं है. क्या पुलिस को अपने प्रशासन पर भरोसा नहीं है? किसी विरोध प्रदर्शन, मोर्चा या यहां तक कि बैंक धोखाधड़ी का हिस्सा बनना राज्य के लिए कोई खतरा नहीं है.

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