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केंद्रीय बजट से पहले आज आएगा आर्थिक सर्वे, जानिए क्या है इसका इतिहास

पहला आर्थिक सर्वे 1950-51 में पेश हुआ था. 1964 से इसे बजट से एक दिन पहले प्रस्तुत करने की परंपरा शुरू हुई. इससे जनता को न केवल अर्थव्यवस्था की सही स्थिति का पता चल जाता है बल्कि कई चुनौतियों के बारे में सरकार बताती है और उन्हें दूर करने के बारे में भी सर्वे में उल्लेख मिलता है.  

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को केंद्रीय बजट 2024 पेश करेंगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को केंद्रीय बजट 2024 पेश करेंगी।

NDA की गठबंधन सरकार का पहला और पीएम की अगुवाई वाली मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को पेश करेंगी. इसे केंद्रीय बजट कहा जाता है. केंद्रीय बजट के एक दिन पहले यानि 22 जुलाई को "इकोनॉमिक सर्वे" संसद में पेश किया जा सकता है. इकोनॉमिक सर्वे एक रिपोर्ट कार्ड की तरह होता है जिसमें पिछले वित्त वर्ष का लेखा-जोखा होता है.
 
साल 1964 से बजट से 1 दिन पहले आर्थिक सर्वे की परंपरा
पहला आर्थिक सर्वे 1950-51 में पेश हुआ था. 1964 से इसे बजट से एक दिन पहले प्रस्तुत करने की परंपरा शुरू हुई. इससे जनता को न केवल अर्थव्यवस्था की सही स्थिति का पता चल जाता है बल्कि कई चुनौतियों के बारे में सरकार बताती है और उन्हें दूर करने के बारे में भी सर्वे में उल्लेख मिलता है.  

इकॉनमिक सर्वे पर होती है निवेशकों की नजर
सर्वे से आम जनता को महंगाई, बेरोजगारी के आंकड़े तो मिलते ही हैं निवेश, बचत और खर्च करने का आइडिया मिल जाता है. मान लीजिए कि सरकार का फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर है, तो यह सेक्टर निवेशकों को लुभा सकता है. यानि इससे सेक्टर वाइज संभावनाओं का अंदाजा लगता है. सर्वे न केवल सरकार की नीतियों के बारे में जानकारी देता है, बल्कि आर्थिक सर्वे सरकार की नीतियों बल्कि भविष्य के आर्थिक दृष्टिकोण को भी बताता है यही वजह है कि इसे बजट से पहले पेश करने की परंपरा बनी हुई है.
 
ऐसा हो सकता है केंद्रीय बजट
पीएम मोदी ने चुनाव परिणाम आने के बाद मिडिल क्लास और घरेलू बचत बढ़ाने की बात कही थी, लिहाजा एक्सपर्ट कहते हैं कि मोदी सरकार 3 में मिडिल क्लास पर फोकस रहेगा. यानि तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में करदाताओं को राहत मिल सकती है. संभावना है कि न्यू टैक्स रिजीम में स्लैब में बदलाव से कर दाताओं को राहत मिलेगी. नई कर व्यवस्था में कर मुक्त आय तीन से बढ़ा कर पांच लाख रुपये प्रति वर्ष तक की जा सकती है. इससे पचास लाख रुपये वार्षिक की आमदनी वालों को दस हजार रुपये तक की बचत हो सकती है.

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इकोनॉमिक सर्वे एक फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट होता है. बता दें कि इस साल फरवरी में अंतरिम बजट पेश हुआ था, जिसके चलते आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं किया गया था. आर्थिक सर्वे के 3 हिस्से होते हैं. पहले हिस्से में अर्थव्यवस्था से जुड़ी अहम बातें शामिल होती हैं. इसमें अर्थव्यवस्था के विकास की संभावनाओं, चुनौतियों और विकास की गति बढ़ाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी होती है.

दूसरे हिस्से में अलग-अलग क्षेत्रों का प्रदर्शन और उससे जुड़े आंकड़े होते हैं. तीसरे हिस्से में रोजगार, महंगाई, आयात-निर्यात, बेरोजगारी और उत्पादन जैसी दूसरी अहम जानकारियां होती हैं.

कौन तैयार करता है इकोनॉमिक सर्वे
रिलीज करने से पहले वित्त मंत्री की मंजूरी लेनी होती है फिर आर्थिक सर्वे वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश करते हैं, फिर इसके बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार चालू वित्त वर्ष का ब्यौरा पेश करते हैं. वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों की इकोनॉमिक्स डिविजन इकोनॉमिक सर्वे को मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार करती है.

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