इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) ने मतदान के आंकड़ों को अधिक सटीक और समयबद्ध तरीके से जनता तक पहुंचाने के लिए एक नई, टेक्नोलॉजी ड्राइव सिस्टम की शुरुआत की है. इस नई व्यवस्था के तहत मतदान के दिन हर दो घंटे में अनुमानित मतदाता (वोटर टर्नआउट) के रुझान रियल टाइम में उपलब्ध होंगे. इस पहल की बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में लागू होने की संभावना है जो मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ाएगी. इस कदम से उन आरोपों का भी जवाब मिलेगा जो मतदान आंकड़ों में हेरफेर के संबंध में लगाए जाते रहे हैं.
निर्वाचन आयोग ने ECINET नामक एक एकीकृत डिजिटल ऐप लॉन्च किया है जो मतदान केंद्रों से सीधे डेटा संग्रह को संभव बनाएगा. इस नई पहल के तहत प्रत्येक मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी (पीआरओ) अब मतदान के दिन हर दो घंटे में ECINET ऐप पर मतदाता उपस्थिति दर्ज करेंगे. इससे अनुमानित मतदान रुझानों के अपडेट करने में लगने वाले वक्त का अंतराल को कम किया जा सकेगा. इसे स्वचालित रूप से निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर एकत्रित किया जाएगा. अनुमानित मतदान प्रतिशत रुझान पहले की तरह हर दो घंटे में प्रकाशित होते रहेंगे. मतदान खत्म होने के तुरंत बाद, पीआरओ द्वारा मतदान केंद्र छोड़ने से पहले वोटर टर्नआउट डेटा को ऐप पर अपलोड किया जाएगा, जिससे अनुमानित मतदान प्रतिशत रुझान तुरंत उपलब्ध होंगे.
साथ ही जहां मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं होगा, वहां डेटा ऑफलाइन दर्ज किया जा सकेगा और नेटवर्क कनेक्टिविटी बहाल होने पर इसे फटाफट सिंक किया जाएगा. ये सुविधा विशेष रूप से बिहार जैसे राज्य में महत्वपूर्ण है, जहां कुछ क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या रहती है. इस नई व्यवस्था से मतदान के आंकड़े न केवल वक्त पर, बल्कि निर्वाचन क्षेत्रवार सटीकता के साथ जनता के सामने होंगे.
ये नई प्रक्रिया पहले की मैन्युअल रिपोर्टिंग विधियों से जुड़े समय अंतराल को काफी कम करती है. यह पहल समय पर सार्वजनिक संचार सुनिश्चित करने के लिए आयोग के संकल्प के अनुरूप है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार कई बार आयोग की ये प्रतिबद्धता दोहरा चुके हैं. अब ये हकीकत में बदल रहा है.
कानूनी प्रक्रिया में बदलाव नहीं
चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49S के तहत, पीठासीन अधिकारियों (पीआरओ) और उम्मीदवारों द्वारा नामित पोलिंग एजेंट के साथ फॉर्म 17 भरने के साथ ही अपडेट हो जाएंगे, क्योंकि मतदान का समय और प्रक्रिया समाप्त होने पर मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी और पोलिंग एजेंट अनिवार्य रूप से उपस्थित रहते हैं.
इनके सामने डाले गए मतों और दर्ज किए गए मतों का विवरण देने वाला फॉर्म 17 सी प्रस्तुत करना आवश्यक है, जबकि यह कानूनी आवश्यकता अपरिवर्तित बनी हुई है. वीटीआर ऐप को अपडेट करने की प्रक्रिया जो जनता को अनुमानित मतदाता मतदान प्रतिशत रुझानों से अवगत कराने के लिए एक सुविधाजनक, गैर-वैधानिक तंत्र के रूप में विकसित हुई थी, को तेजी से अपडेट करने के लिए सुव्यवस्थित किया जा रहा है.
पहले मैन्युअली एकत्र किए जाता था डाटा
इस पहल से पहले सेक्टर अधिकारी मैन्युअली बूथवार मतदाता और मतदान का डाटा एकत्र करते थे. इसके लिए हर बूथ के रिटर्निंग अधिकारियों (आरओ) को फोन कॉल, एसएमएस या मैसेजिंग ऐप के माध्यम से रिले किया जाता था. यह जानकारी हर दो घंटे में एकत्र की जाती थी और वोटर टर्नआउट (वीटीआर) ऐप पर अपलोड की जाती थी. मतदान प्रतिशत के रुझान अक्सर घंटों बाद अपडेट किए जाते थे जो देर रात या अगले दिन आने वाले भौतिक रिकॉर्ड पर आधारित होते थे, जिससे 4-5 घंटे या उससे अधिक की देरी होती थी, जिसके कारण कुछ लोगों में मतदान आंकड़ों को लेकर गलतफहमियां पैदा होती थीं.