साल 2019 में दिल्ली सरकार ने महिलाओं के लिए फ्री बस योजना चलाई. अब इससे जुड़ी एक रिपोर्ट सामने है, जो चौंकाने वाली है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 75 फीसदी से ज्यादा महिलाएं अंधेरे के बाद दिल्ली की बसों में यात्रा करते वक्त असुरक्षित महसूस करती हैं, जबकि सरकार की इस योजना ने महिलाओं को जारी किए गए 100 करोड़ 'पिंक' टिकट्स के मील के पत्थर को पार कर लिया है.
एक गैर-सरकारी संगठन, Greenpeace India ने अपनी नई रिपोर्ट 'Riding the Justice Route' में कहा कि सर्वे में शामिल 75 फीसदी महिलाओं ने 'पिंक टिकट' स्कीम से अहम बचत देखी है, जिनमें से कई ने इस फंड को घरेलू जरूरतों, इमरजेंसी स्थितियों और हेल्थकेयर पर खर्च किया है.
इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे में शामिल 25 फीसदी महिलाओं ने पब्लिक बसों का उपयोग बढ़ा दिया है और अक्टूबर 2019 में स्कीम के लॉन्च होने के बाद से पहले बसों से बचने वाली अधिक महिलाएं नियमित बस यात्राएं की. हालांकि, सुरक्षा संबंधी मुद्दे बने हुए हैं, 77 फीसदी महिलाएं खराब रोशनी और बसों के कम समय-सारिणी की वजह से अंधेरे के बाद बसों में असुरक्षित महसूस करती हैं. कई महिलाओं ने उत्पीड़न की घटनाओं की भी रिपोर्ट की है, खासकर भीड़भाड़ वाली बसों में, रिपोर्ट में कहा गया है.
'100 करोड़ पिंक टिकट'
'पिंक टिकट' स्कीम के तहत, किसी भी महिला को दिल्ली की सार्वजनिक बसों में यात्रा करने के लिए भुगतान नहीं करना पड़ता है, लेकिन अगर वे चाहें तो टिकट खरीदने का विकल्प उनके पास है.
Greenpeace India के प्रचारक आकिज फारूक ने कहा, "इस स्कीम ने दिल्ली में महिलाओं के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रास्ते खोल दिए हैं." उन्होंने कहा, "लेकिन इसे वास्तव में ट्रांसफॉर्मेटिव बनाने के लिए, हमें बसों के बेड़े का विस्तार करना होगा, सुरक्षा बढ़ानी होगी और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए अच्छी तरह से जुड़ी हुई सर्विसेज सुनिश्चित करनी होंगी."
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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 100 करोड़ 'पिंक' टिकटों के मील के पत्थर के साथ, इस स्कीम ने न केवल महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक आजादी को सपोर्ट किया है, बल्कि निजी वाहनों की तुलना में सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहित करके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में भी योगदान दिया है.
ग्रीनपीस इंडिया ने देश भर में सुरक्षित और ज्यादा टिकाऊ शहरों के निर्माण के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ-साथ महिलाओं और ट्रांसजेंडर लोगों के लिए किराया-मुक्त सार्वजनिक परिवहन को अपनाने का आह्वान किया.