भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत ने सोमवार को पद संभालते ही एक नया नियम लागू कर दिया. अब से मामलों की जरूरी सुनवाई के लिए मौखिक रूप से (oral mentioning) आग्रह नहीं किया जा सकेगा. वकीलों को यह अनुरोध लिखित रूप में देना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि केवल बहुत ही असाधारण परिस्थितियों जैसे मौत की सजा, व्यक्तिगत आजादी से जुड़े मामले में ही मौखिक आग्रह स्वीकार किए जाएंगे. CJI सूर्य कांत ने पद संभालने के बाद पहले दिन करीब दो घंटे की कार्यवाही के दौरान 17 मामलों की सुनवाई की. उन्होंने सोमवार सुबह राष्ट्रपति भवन में हिंदी में शपथ लेकर भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला.
पद संभालते ही उन्होंने व्यवस्था स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर किसी मामले में तत्काल सुनवाई चाहिये तो उसका लिखित मेंशनिंग स्लिप और जरूरी कारण रजिस्ट्रार को दें. हम उसे देखेंगे और अगर सच में तुरंत सुनवाई की जरूरत हुई तो उस मामले को सूचीबद्ध करेंगे.
बताया कैसे-कब लिस्ट होगा केस
जब एक वकील ने मौखिक रूप से तुरंत सुनवाई की मांग की तो CJI ने कहा कि जब तक कोई असाधारण परिस्थिति जैसे किसी की आजादी दांव पर हो या मौत की सजा का मामला हो तभी मौखिक रूप से मामला लिस्ट किया जाएगा. अन्यथा लिखित मेंशनिंग करें, रजिस्ट्री जांच करेगी और जरूरत होने पर मामला लिस्ट किया जाएगा.
बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत सिर्फ 38 साल की उम्र में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बने थे. वो हरियाणा के रहने वाले हैं. उनका जन्म 10 फरवरी 1962 को हिसार में हुआ था. यही वजह है कि वह सिर्फ 14 महीने इस पद पर रहेंगे. इन 14 महीनों में उनके सामने कई ऐसे मामले आने वाले हैं, जो उनके लिए बड़ी चुनौती होगी.
SIR और वक्फ एक्ट का मामला होगी बड़ी चुनौती
अभी देशभर में SIR चल रहा है. कई जगहों पर इसका विरोध भी शुरू हो गया है. इसको लेकर भी मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. ऐसे में सीजेआई के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत के सामने यह एक बड़ा मामला होगा. इसी तरह वक्फ एक्ट का मामला भी एक बड़ी चुनौती होगी.
तलाक-ए- हसन का मामला भी है अहम
इसके अलावा दिल्ली-NCR में प्रदूषण से जुड़ा मामला भी सुप्रीम कोर्ट में अटका हुआ है. इसको लेकर भी सभी की जस्टिस सूर्यकांत के फैसले पर होगी. इसके अलावा तलाक-ए-हसन पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई भी अहम मामाला है. इस प्रथा के मुताबिक तीन महीने के अंदर पति एक-एक बार तलाक कहकर शादी को खत्म कर सकता है. इसी प्रथा की वैधता को चुनौती दी गई है.