चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI)डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि सोशल मीडिया का विस्तार हो जाने से झूठी खबरों के युग में सच ही शिकार हो गया है. आप जो कुछ भी करते हैं उसके लिए आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है जो आपसे सहमत नहीं है. सीजेआई ने अमेरिकन बार एसोसिएशन (ABA)की तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में "लॉ इन एज ऑफ ग्लोकलाइजेशन: कन्वर्जेंस ऑफ इंडिया एंड द वेस्ट" विषय पर अपने व्याख्यान में ये बातें कहीं.
CJI ने कहा कि आज हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं, जहां लोगों के धैर्य और सहनशीलता की कमी आ रही है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वे उन दृष्टिकोणों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, जो उनसे अलग हैं. उन्होंने अपने व्याख्यान में प्रौद्योगिकी और न्यायपालिका, कोरोना, न्यायिक पेशे का सामना करने वाले मुद्दों और महिला जजों की संख्या पर बात की.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने संविधान का जिक्र करते हुए कहा कि जब इसका मसौदा तैयार किया गया था, तब संविधान निर्माताओं को यह पता नहीं था कि मानवता किस दिशा में विकसित होंगे. उन्होंने कहा कि तब हमारे पास निजता की धारणा नहीं थी, कोई इंटरनेट नहीं था. हम उस दुनिया में नहीं रहते थे जो एल्गोरिदम से नियंत्रित होती थी. हमारे पास निश्चित रूप से सोशल मीडिया नहीं था.
न्याय देने का बदल रहा तरीका
सीजेआई ने कहा कि न्याय देने का तरीका बदल रहा है. अब का दौर आइडियाज के वैश्वीकरण का है. तकनीक हमारा जीवन बदल रही है. हम जजों का जीवन भी बदला है. उन्होंने भारत समेत दुनिया भर में COVID-19 के प्रकोप को याद करते हुए कहा कि भारतीय न्यायपालिका ने बहुत ही सौम्य तरीके से वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग शुरू की, इसके बाद सभी अदालतों में इसे शुरू किया गया. उन्होंने कहा, “कोरोना के कारण वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग ने न्याय का विकेंद्रीकरण किया है.
उन्होंने कहा कि भारत का सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली स्थित तिलक मार्ग का सर्वोच्च न्यायालय नहीं है बल्कि यह देश के छोटे से छोटे गांव के नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है. उन्होंने कहा, “और नागरिकों के दरवाजे तक न्याय पहुंचाने के हमारे मिशन के एक हिस्से के रूप में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की तुलना में हमारे नागरिकों तक पहुंचने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है.”
वैश्वीकरण ने खुद के असंतोष को जन्म दिया
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वैश्वीकरण ने अपने खुद के असंतोष को जन्म दिया है. दुनियाभर में मंदी आने के कई कारण हैं. वैश्वीकरण विरोधी भावना में उछाल आया है, जिसकी उत्पत्ति उदाहरण के लिए 2001 के आतंकी हमलों में निहित है. इन हमलों ने दुनिया को ऐसे हमलों की कड़वी सच्चाई के सामने ला दिया, जिसे भारत देखता आ रहा था.
CJI ने कहा कि उनसे अक्सर पूछा जाता है कि देश में अधिक महिला जज क्यों नहीं हो सकतीं. उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि इस पेशे में कितनी महिलाएं आती हैं? बार में कितनी महिला वकील रजिस्ट्रेशन कराती हैं.
उन्होंने कहा कि जब 2000 और 2023 के बीच कानूनी पेशे में आने के लिए महिलाओं को बराबरी का मौका नहीं मिला तो आप 2023 में जादू की छड़ी चलाकर महिलाओं को शीर्ष अदालत में न्यायाधीश कैसे चुन पाएंगे. CJI ने कहा कि भारत में जिला न्यायपालिका में हाल ही में हुई भर्तियों के आंकड़े बताते हैं कि कई राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं. उन्होंने कहा कि इसका कारण भारत में शिक्षा का प्रसार है.