भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने हाल ही में ‘बुलडोजर जजमेंट’ के बारे में चर्चा करते हुए इसे अपने लिए और जस्टिस केवी विश्वनाथन के लिए एक बहुत ही संतोषजनक निर्णय बताया. न्यायमूर्ति गवई ने में बताया कि जब वे और जस्टिस केवी विश्वनाथन लगभग छह महीने तक एक साथ न्यायालय में थे, तब उन्होंने ऐसा फैसला दिया जिसे बुलडोजर जजमेंट कहा गया.
इस फैसले का मुख्य उद्देश्य मानव जीवन से जुड़ी समस्याओं को समझना और उन परिवारों की मदद करना था जिनपर इसलिए शिकंजा कसा जाता था क्योंकि उनका कोई सदस्य आरोपी या दोषी था. न्यायमूर्ति गवई ने ख़ास तौर से यह भी कहा कि इस फैसले का पूरा श्रेय वे अकेले नहीं लेते, बल्कि इसका आधा श्रेय जस्टिस विश्वनाथन को जाता है.
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की भी याद दिलाई. 1990 के दशक में नागपुर में अधिवक्ता के रूप में वे एक समूह का हिस्सा थे जो हर शुक्रवार या खास दिनों पर कानून पर चर्चा करता था. यह समूह उन्हें नियमित सीखने का अवसर देता था. मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि वकील या जज का पेशा ऐसा है जिसमें जीवन भर सीखते रहना पड़ता है, और कभी यह नहीं कहना चाहिए कि वे सब कुछ जानते हैं.
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न्यायाधीश बीआर गवई बताया कि बॉम्बे हाईकोर्ट में आपराधिक मामलों की सुनवाई के दौरान उन्होंने छात्र की तरह बैठकर 17 वर्षों में हजारों आपराधिक अपीलीय मामलों को देखा और उनसे सीख ली. यह अनुभव उन वकीलों के लिए प्रेरणा के रूप में रखा गया जो कानून और न्याय की सेवा में लगातार सीखने की महत्वता को समझें.
इस प्रकार, CJI बीआर गवई ने नए वकीलों को लगातार सीखने और मेहनत करने की प्रेरणा दी जिससे न्याय की गुणवत्ता और बेहतर हो सके.