केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दो आरोपियों के खिलाफ इंटरपोल से ‘सिल्वर नोटिस’ जारी करवाया है. ये नोटिस वीजा घोटाले और क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी से संबंधित मामलों में जारी किए गए हैं. इंटरपोल द्वारा 'सिल्वर नोटिस' की शुरुआत इसी साल जनवरी में की गई थी, जिसका उद्देश्य अपराधियों की अवैध संपत्तियों की जानकारी जुटाना और उन्हें ट्रैक करना है.
पहला मामला: वीजा घोटाले में आरोपी शुभम शोकीन
CBI की मांग पर इंटरपोल ने 23 मई को पहला सिल्वर नोटिस शुभम शोकीन नामक आरोपी के खिलाफ जारी किया. शुभम दिल्ली स्थित एक विदेशी दूतावास में वीज़ा अधिकारी और कानून अधिकारी के तौर पर कार्यरत था. CBI की जांच में सामने आया कि सितंबर 2019 से मई 2022 तक, शुभम ने अन्य लोगों के साथ मिलकर शेंगेन वीजा दिलवाने के नाम पर आवेदकों से 15 लाख से 45 लाख रुपये तक की रिश्वत वसूली.
इन अवैध पैसों से शुभम ने दुबई में करीब 15.73 करोड़ रुपये (7,760,500 दिरहम) की अचल संपत्तियाँ खरीदीं. इससे पहले भी CBI ने शुभम की लोकेशन ट्रेस करने के लिए इंटरपोल से ‘ब्लू नोटिस’ जारी करवाया था.
दूसरा मामला: क्रिप्टो धोखाधड़ी में आरोपी अमित मदनलाल लखनपाल
CBI ने सोमवार को दूसरा सिल्वर नोटिस अमित मदनलाल लखनपाल नामक आरोपी के खिलाफ इंटरपोल से जारी करवाया. इस नोटिस की मांग प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने की थी. अमित पर आरोप है कि उसने भारत में मान्यता प्राप्त नहीं एक डिजिटल करेंसी MTC (My Token Coin) बनाई और इस पर लोगों को निवेश के लिए फुसलाया.
उसने लगभग 113.10 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया, बिना किसी सरकारी अनुमति या रिज़र्व बैंक से लाइसेंस लिए. निवेशकों को मोटे मुनाफे का झांसा दिया गया, लेकिन समय आने पर पैसे लौटाए नहीं गए. इतना ही नहीं, अमित ने खुद को वित्त मंत्रालय का अधिकृत प्रतिनिधि बताकर लोगों को ठगा. उस पर पहले से ही इंटरपोल का ‘रेड नोटिस’ भी जारी है.
क्या होता है 'सिल्वर नोटिस'?
इंटरपोल द्वारा अब तक 9 रंग-कोडेड नोटिस जारी किए जाते हैं, जिनमें से हर एक का उद्देश्य अलग होता है. जैसे:
रेड नोटिस: भगोड़े अपराधी को पकड़ने के लिए
ब्लू नोटिस: किसी आरोपी की जानकारी जुटाने के लिए
येलो नोटिस: गुमशुदा व्यक्ति की तलाश के लिए
ब्लैक नोटिस: अज्ञात शव की पहचान के लिए
सिल्वर नोटिस: अपराधियों की अवैध संपत्तियों की जानकारी जुटाना और उन्हें फ्रीज या जब्त करवाने की प्रक्रिया शुरू करना.
सिल्वर नोटिस को ऐसे भी समझें
इस नोटिस के जरिए संपत्तियां, वाहन, बैंक खाते, और व्यवसाय जैसी चीजों की जानकारी साझा की जा सकती है. यह नोटिस विशेष रूप से धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, ड्रग्स तस्करी, पर्यावरण अपराध और अन्य गंभीर अपराधों से संबंधित मामलों में उपयोग किया जा रहा है.
फिलहाल यह सिल्वर नोटिस पायलट प्रोजेक्ट के तहत 51 देशों और क्षेत्रों में लागू किया गया है, जो नवंबर 2025 तक चलेगा. इस दौरान हर देश अधिकतम 9 सिल्वर नोटिस जारी करवा सकता है. भारत ने अब तक इस सुविधा का उपयोग CBI, ED और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के माध्यम से किया है.