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कैंसर के इलाज में शिकागो की रिसर्च ने उम्मीद जगाई तो मुंबई के डॉक्टरों ने भी कमाल कर दिया

मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने इम्यूनोथेरेपी ड्रग के जरिए ही कैंसर का और ज्यादा सस्ता इलाज खोज निकाला है. दावा हो रहा है कि इस नई ड्रग की वजह से गरीब से गरीब व्यक्ति को कैंसर का इलाज मिल पाएगा.

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कैंसर का सस्ता इलाज मिला
कैंसर का सस्ता इलाज मिला
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हर साल कई लोग इस कैंसर की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं
  • टाटा मेमोरियल के डॉक्टरों ने कैंसर का सस्ता इलाज खोज निकाला

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज आज भी मेडिकल साइंस के लिए चुनौती बना हुआ है. हर साल कई लोग इस कैंसर की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं. हाल ही में शिकागो में कैंसर को लेकर एक मीटिंग हुई थी. वहां पर स्लोआन कैटेरिंग कैंसर सेंटर के डॉक्टरों ने इम्यूनोथेरेपी ड्रग के जरिए कोलोरेक्टल कैंसर को ठीक करने का दावा कर दिया था. उस समय रिसर्च की काफी चर्चा रही, अब भारत ने भी इस दिशा में बड़ा कदम बढ़ा दिया है.

मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने इम्यूनोथेरेपी ड्रग के जरिए ही कैंसर का और ज्यादा सस्ता इलाज खोज निकाला है. दावा हो रहा है कि इस नई ड्रग की वजह से गरीब से गरीब व्यक्ति को कैंसर का इलाज मिल पाएगा. इस बारे में टाटा मेमोरियल अस्पताल में ऑनकॉलोजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉक्टर कुमार प्रभाश ने बताया कि ट्रायल के दौरान 76 मरीजों को नीवोलंब नाम की दवाई दी गई. उन मरीजों पर कुल 25 हजार का खर्चा आया. सामान्य खर्चे से ये काफी कम रहा. उन मरीजों पर केमोथेरेपी भी चलती रही. इसके अलावा 75 अन्य मरीजों को सिर्फ केमोथेरेपी दी गई.

इसके नतीजे काफी शानदार रहे. जिन मरीजों को केमोथेरेपी के साथ  इम्यूनोथेरेपी ड्रग दिया गया वो 10.1 महीने ज्यादा दिनों तक जिंदा रह पाए. वहीं जिन मरीजों को कैंसर के दौरान सिर्फ केमोथेरेपी दी गई, वो 6-7 महीनों तक जिंदा रहे. डॉक्टरों के मुताबिक आने वाले समय में इस दिशा में और ज्यादा रिसर्च की जाएगी.

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न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट में भी इससे पहले कैंसर को लेकर इलाज का दावा किया था. स्टडी के लेखक और न्यूयॉर्क के मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के डॉक्टर लुइस ए डियाज ने कहा कि आज तक ऐसी कोई भी स्टडी नहीं आई है जिसमें ये दावा किया जा सके कि इलाज से किसी भी मरीज का कैंसर पूरी तरह से खत्म हो गया हो. 

स्टडी में शामिल सभी मरीजों ने एक ही दवा ली थी. स्टडी के नतीजे चौंकाने वाले थे. ट्रायल में शामिल हर एक मरीज के शरीर से कैंसर पूरी तरह गायब हो चुका था. किसी भी मरीज के शारीरिक परीक्षण, एंडोस्कोपी, पीईटी स्कैन या एम.आर.आई. स्कैन में ये दिखाई नहीं दिया. डॉक्टर डियाज ने कहा, 'मेरे हिसाब से कैंसर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है.' 

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