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'आंखों में आंसू, सामने जमींदोज हो रहे आशियाने...' Photos में देखें दिल्ली के जंगपुरा में डिमोलिशन की दर्द भरी दास्तां

मद्रासी कैंप इलाके में 370 झुग्गी-झोपड़ियां और बस्ती हैं जो 60 सालों से यहां रह रहे हैं. 370 में से 215 झुग्गियों में रहने वाले परिवारों को दिल्ली स्लम एंड झुग्गी झोपड़ी पुनर्वास और पुनर्स्थापन नीति 2015 के तहत पुनर्वास के लिए पात्र माना गया है, जबकि बचे 150 ज्यादा परिवारों के पास कोई वैकल्पिक आवास नहीं है. वहीं, पात्र परिवारों को दिल्ली के बाहरी इलाके नरेला में फ्लैट आवंटित किए गए हैं जो यहां से लगभग 40 किलोमीटर दूर है.

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बुलडोजर एक्शन के बाद अपना सामान लेकर बैठे लोग.
बुलडोजर एक्शन के बाद अपना सामान लेकर बैठे लोग.

दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जंगपुरा क्षेत्र में स्थित मद्रासी कैंप को रविवार सुबह बुलडोजरों से ढहा दिया गया. यह कार्रवाई दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के तहत बारापुला नाले की सफाई और जाम खोलने के लिए की गई, ताकि मानसून के दौरान जलभराव बचा जा सके. हालांकि, इस कार्रवाई में 155 परिवारों को पुनर्वास से बाहर रखा गया, जिनकी आजीविका और भविष्य अब अनिश्चितता के गहरे साये में है. वहीं, अपनी आंखों के सामने अपने आशियाने को जमींदोज होते देख, महिलाओं और बच्चों की आंखों से आंसू छलक पड़े.

गौरतलब है कि मद्रासी कैंप इलाके में 370 झुग्गी-झोपड़ियां और बस्ती हैं जो 60 सालों से यहां रह रहे हैं. 370 में से 215 झुग्गियों में रहने वाले दिल्ली स्लम एंड झुग्गी झोपड़ी पुनर्वास और पुनर्स्थापन नीति 2015 के तहत पुनर्वास के लिए पात्र माना गया है. पात्र परिवारों को दिल्ली के बाहरी इलाके नरेला में फ्लैट आवंटित किए गए हैं जो यहां से लगभग 40 किलोमीटर दूर है.

पुनर्वास से बाहर में 155 परिवार

वहीं, पुनर्वास से बाहर 155 परिवारों में से एक महिला ने अपना दर्ज बयां करते हुए बताया कि जब प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की तो मैं आपने बर्तनों को इकट्ठा कर रही थी. ताकि कुछ चीजों को बचाया जा सके, लेकिन जहां वह काम करती हैं वहां से लगातार फोन कॉल आ रहे थे और हर बार कॉल जंगपुरा में उनकी मैडम का था और हर बार एक ही सवाल काम पर क्यों नहीं आईं? तो पुष्पा ने कहा, 'मैंने डेढ़ महीने तक कोई छुट्टी नहीं ली, क्योंकि मुझे पता था कि कोर्ट का मामला खतरे की घंटी बजा रहा है और बाद में छुट्टियों की जरूरत पड़ेगी. फिर भी, मुझे लगातार कॉल्स आ रहे थे.'

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जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने अपने नियोक्ताओं को पहले से सूचित नहीं किया था तो उन्होंने जवाब दिया, 'क्या बोलें? वे कह रहे हैं' 'तोड़ने में तुम्हारा क्या काम? बताइए, सड़क पर घर का सामान छोड़कर कैसे जाएं?'

पुष्पा उन 155 परिवारों में से एक हैं, जिन्हें पुनर्वास नहीं मिला. वे कहती हैं कि जो परिवार नरेला शिफ्ट हो चुके हैं, वे पहले से ही चिंतित है-वहां घरेलू काम का कोई अवसर नहीं है. वहां कौन पॉश एरिया है? कोई बर्तन-कपड़ा का काम नहीं मिलता.

उन्होंने ये भी कहा, 'कोई नहीं पूछा रहा कि उनका घर अभी भी खड़ा है या नहीं. कोई नहीं आया कि देखे कि हमारे पास सोने के लिए जगह है या नहीं.'

दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) के अनुसार, मद्रासी कैंप बारापुला के एक महत्वपूर्ण खंड के ठीक ऊपर स्थित था, जो बारिश के प्राकृतिक प्रवाह को छोटा करता था और एक बाधा के रूप में कार्य करता था. 2023 में कोर्ट के आदेशों ने DDA और दिल्ली सरकार को इन अतिक्रमणों को 2024 के मानसून से पहले हटाने का निर्देश दिया था.

वोट न डालने वालों के घरों पर हुए एक्शन: पीड़ित परिवार

वहीं, कुछ लोग डीडीए की कार्रवाई का विरोध के लिए कई क्लिपबोर्ड लेकर आए थे. आजतक से बात करने वाले कम से कम छह परिवारों ने दावा किया कि सर्वेक्षक प्रिंटेड सूचियों के साथ आए और सुझाव दिया कि उनके नाम इसलिए गायब हैं, क्योंकि उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में वोट नहीं दिया.

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कुछ मामलों में परिवारों को बताया गया कि उन्होंने दो लगातार चुनावों में वोट नहीं दिया था. जो अधिकारियों के अनुसार, उन्हें पुनर्वास के लिए अयोग्य बनाता है.

55 वर्षीय रानी ने बताया कि मैं यहां 20 साल से ज्यादा समय से रह रही हूं, पिछले चुनाव में मुझे तमिलनाडु के अपने गृहनगर जाना पड़ा. मेरी मां बीमार थी. मैं वोट नहीं दे सकी. क्या इसका मतलब ये है कि आप मेरा घर छीन लेंगे और मुझे दूसरा नहीं देंगे?

आधिकारिक प्रक्रिया के अनुसार, दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) को पात्रता प्रमाण पत्र जारी करने का काम सौंपा गया है. शुरू में 189 परिवार पात्र पाए गए. एक संशोधित सूची में 26 और जोड़े गए, लेकिन फिर भी 150 से अधिक परिवारों के पास कोई वैकल्पिक आवास नहीं है.

CPI (M) ने की पुनर्वास की मांग

CPI(M) की दिल्ली यूनिट ने सभी के लिए निष्पक्ष पुनर्वास की मांग की है, ये चिंता व्यक्त करते हुए कि नरेला में आवंटित फ्लैटों में बुनियादी सुविधाएं, जैसे जल आपूर्ति और बिजली कनेक्शन की कम हैं.

वहीं, जब आजतक ने सर्वेक्षण में शामिल अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि पुनर्वास प्रक्रिया दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों करते हुए की गई है. 'जो पात्र नहीं पाए गए, उन्हें प्रमाण पत्र नहीं जारी किए गए. शिकायतों की अभी भी समीक्षा की जा रही हैं.'

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HC के आदेश पर हुआ एक्शन

बता दें कि मद्रासी कैंप में डीडीए का कार्रवाई अचानक नहीं हुई है. ये कदम दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के तहत बारापुला नाले के जाम को खोलने और दक्षिण दिल्ली और मध्य दिल्ली में मानसून के दौरान जलभराव को रोकने की दिशा में उठाया गया है. बारापुला नाला, जिसे बारापुला नाला भी कहा जाता है. ये प्रमुख स्टॉर्मवॉटर चैनल है जो लाजपत नगर से सराय काले खान और यमुना तक दक्षिण दिल्ली को काटता है. वर्षों से इसके किनारों पर अतिक्रमण ने इस महत्वपूर्ण नाल के वहन क्षमता को कम कर दिया है जो एक समय मानसून के बाढ़ को दूर करता था, अब अक्सर ओवरफ्लो हो जाता है, जिससे रिंग रोड, आश्रम, और भोगल जैसी प्रमुख सड़कें जलमग्न हो जाती हैं.

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