कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु भगदड़ मामले में गिरफ्तारियों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई. न्यायालय ने जवाबदेही पर जोर दिया और घटना और उसके बाद की स्थिति से निपटने के सरकार के तरीके पर गंभीर सवाल उठाए.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार मामले की सुनवाई करते हुए सरकार की कार्रवाई का ब्यौरा मांगा और कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता (AG) से स्पष्टीकरण के लिए कई तीखे सवाल पूछे.
'कोर्ट को जानकारी देने में हुई चूक'
अदालत को बताया गया कि भगदड़ की जांच अपराध जांच विभाग (CID) को सौंप दी गई है. हालांकि, बेंगलुरु सेंट्रल क्राइम ब्रांच (CCB) द्वारा अभी-भी गिरफ्तारियां की जा रही हैं और कब्बन पार्क पुलिस अभी आरोपियों को अदालत में पेश कर रही है.
वहीं, जब अटॉर्नी जनरल ने मामले के स्थानांतरण के बारे में अदालत को सूचित करने में प्रक्रियागत चूक की बात स्वीकार की, तो उच्च न्यायालय ने राज्य से नौ प्रमुख प्रश्न पूछे.
राज्य सरकार ने मांगा वक्त
कोर्ट द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देने के लिए राज्य सरकार ने वक्त मांगा है तथा उम्मीद है कि वह अपना जवाब सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करेगा.
एजी ने अदालत को बताया कि आरोपी व्यक्ति अपनी गिरफ़्तारी की वैधता को चुनौती देने और राहत पाने के लिए जांच और गिरफ़्तारी एजेंसियों के बीच विसंगति का हवाला दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि न्याय के हित में खुली अदालत में आगे की जानकारी नहीं बताई जा सकती है.
सोमवार को भगदड़ के सिलसिले में गिरफ्तार रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के अधिकारी निखिल सोसले ने अदालत को बताया कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी. कार्यक्रम आयोजक डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी याचिका में दावा किया कि मुख्यमंत्री ने सम्मान समारोह में सभी को आमंत्रित किया था.
आपको बता दें कि 4 जून को एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर RCB की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान हुई भगदड़ मच गई थी, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी और 56 अन्य घायल हुए थे.