राज्यसभा में संविधान पर बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए बिनाका गीतमाला का जिक्र किया. अमित शाह ने आपातकाल (1975-77) के दौरान इस कार्यक्रम में आई रुकावट का जिक्र करते हुए उस समय की इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को सामने रखा.
उन्होंने कहा, 'मैं बिनाका गीतमाला सुनता था, लेकिन आपातकाल के दौरान यह अचानक बंद हो गया. मेरे पड़ोसी ने बताया कि किशोर कुमार का इंदिरा गांधी से विवाद हो गया था, इसलिए उनके गाने 19 महीनों तक रेडियो पर बैन कर दिए गए. लोग सिर्फ लता मंगेशकर के गाए डुएट गाने सुनते थे, जिसमें किशोर दा की आवाज नहीं होती थी.'
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बिनाका गीतमाला एक लोकप्रिय रेडियो काउंटडाउन शो था, जो 1952 से 1988 तक हर हफ्ते रेडियो सीलोन पर प्रसारित होता था. इसके बाद 1989 में इसे ऑल इंडिया रेडियो नेटवर्क की विविध भारती सेवा पर स्थानांतरित कर दिया गया, जहां यह 1994 तक चला. इस कार्यक्रम को अमीन सयानी होस्ट करते थे, और यह बॉलीवुड गानों की लोकप्रियता के आधार पर रैंकिंग दिखाता था.
शाह ने आपातकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया था. उन्होंने कहा, ' और ये लोग लोकतंत्र की बात करते हैं... जनता ने इन्हें इतनी कड़ी सजा दी कि ये दोबारा ऐसा करने की सोच भी नहीं सकते. इस बहस की जरूरत है ताकि कोई दोबारा ऐसी हरकत न कर सके.'
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संविधान संशोधनों पर सवाल
शाह ने आगे कहा कि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए संविधान में संशोधन कर नागरिक स्वतंत्रता को कमजोर किया. उन्होंने कहा, 'पहला संशोधन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था. 24वां संशोधन उनकी बेटी इंदिरा गांधी लेकर आईं. 24 नवंबर 1971 को संसद को नागरिकों के मौलिक अधिकार घटाने का अधिकार दे दिया गया.'
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अमित शाह ने कांग्रेस और बीजेपी द्वारा किए गए संविधान संशोधनों की तुलना करते हुए कहा, 'विपक्ष कहता है कि हम संविधान बदल देंगे. संविधान में बदलाव का प्रावधान पहले से है. कांग्रेस ने अपने 55 साल के शासन में संविधान में 77 बार संशोधन किया, जबकि बीजेपी ने 16 साल में केवल 22 बार ऐसा किया.'
शाह ने तर्क दिया कि कांग्रेस ने राजनीतिक फायदे के लिए संविधान के मौलिक प्रावधानों में बदलाव किए, जबकि बीजेपी ने नागरिकों को सशक्त बनाने और शासन में सुधार पर ध्यान दिया.