केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आजतक से बातचीत के दौरान नरेंद्र मोदी के साथ काम करने का अनुभव को साझा किया है. उन्होंने बताया कि नरेंद्र मोदी के साथ उनकी पहली मुलाक़ात 80 के दशक में हुई थी. 80 के दशक में, राष्ट्रीय श्रमिक संघ का काम करते थे और एक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी के तौर पर उनका एक कार्यक्रम था. अहमदाबाद के कॉलेजियन युवाओं से बातचीत करने का, तो उसकी तैयारी करने के लिए मैं जहां रहता था, वो वार्ड में आए थे.
अमित शाह बोले- वह नानपुरा वार्ड में आए थे. बहुत युवा थे और बहुत अच्छे तरीके से उन्होंने आरएसएस का काम, आरएसएस के बारे में बताया. किन उद्देश्यों की पूर्ति से देश को किस प्रकार से बदला जा सकता है. ये सारी चीजें बहुत अच्छे तरीके से बताई थी.
शाह ने बताया कि नरेंद्र मोदी ने समझाया कि संघ के माध्यम से देश का युवा क्या कर सकता है. वो उन्होंने बहुत अच्छे, सटीक तरीके से बहुत कम समय में समझाया था. मेरे साथ जीतने भी युवा थे वो सभी लोग इस कार्यक्रम को सफल करने में लगे थे और बहुत अच्छा कार्यक्रम था. उन्होंने संघ के सिद्धांतों का समृद्ध, शक्तिशाली और संस्कारित राष्ट्र बनाने में कितना बड़ा योगदान हो सकता है, वो समझाया था.
अमित शाह ने कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से पहले जुड़े थे. फिर जैसे करोड़ों कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी के लिए काम करते हैं, वो नरेंद्र मोदी के साथ जुड़े. अब उनके काम के कारण करोड़ों लोग मोदी जी के साथ हैं. न केवल देश में, बल्कि दुनिया भर में करोड़ों लोग उनके साथ जुड़े हैं, जो देश की समस्याओं के लिए, दुनिया की समस्याओं के लिए मोदी जी से निराकरण की अपेक्षा रखते हैं. एक व्यक्ति है जो डेलिवर कर सकता है.
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पार्टी अध्यक्ष के तौर पर नाम चुने जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए अमित शाह ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष तय करने में प्रधानमंत्री का रोल बहुत अहम होता है. परंतु अकेले प्रधानमंत्री का नहीं होता है, पार्टी का होता है और मेरे अलावा कोई भी अध्यक्ष कार्यकर्ता बन सकता था. बाद में जेपी नड्डा बने.
गुजरात से दिल्ली तक का कैसा रहा सफ़र?
अमित शाह ने कहा कि गुजरात में भी उनके लिए "राष्ट्र प्रथम" था और दिल्ली में भी यही है. फर्क सिर्फ समस्याओं के दायरे का है. गुजरात में बिजली, शिक्षा, ट्राइबल क्षेत्रों और सागर तट पर विकास के लिए काम किया. दिल्ली में उन्होंने 60 करोड़ गरीबों को घर, गैस, शौचालय, पानी, इलाज जैसी सुविधाएं दिलाई. सुरक्षा के क्षेत्र में कश्मीर, नॉर्थ ईस्ट और नक्सलवाद में हिंसा 75 फीसदी तक घटी.