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Adjiedj Bakas की किताब 'Forwardism' लॉन्च, भविष्य की दुनिया की मिलती है झलक

बकास बताते हैं कि 2050 तक चीन की कामकाजी आबादी आज के मुकाबले करीब 20% यानी 22 करोड़ कम हो जाएगी. इसलिए दुनिया अब चीन का विकल्प ढूंढ रही है. ऐसे में इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, फिलीपींस जैसे देश विकल्प बन सकते हैं लेकिन इन देशों में वो क्षमता नहीं है जो भारत के पास है.

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राइटर Adjiedj Bakas की किताब Forwardism
राइटर Adjiedj Bakas की किताब Forwardism

आने वाला भविष्य कैसा होगा? क्या आज की तरह ही दशकों बाद भी अमेरिका और पश्चिमी देशों का दबदबा बरकरार रहेगा? आने वाले वक्त में टेक्नोलॉजी कितनी बदल जाएगी? नई दिल्ली स्थित डच एंबेसी में डच राइटर और फ्यूचरिस्टिक Adjiedj Bakas ने अपनी किताब Forwardism: A Bold and Imaginative Voyage to the Future लॉन्च करते हुए इन सभी सवालों के जवाब दिए. 

किताब में संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के हवाले से बताया है कि आज की तुलना में 2099 तक इंसान 700% ज्यादा अमीर होंगे. उन्होंने यह किताब अपने पार्टनर Vinco David के साथ मिलकर लिखी है. Bakas डच फ्यूचरिस्टिक और ट्रेंडसेटर हैं, वहीं उनके पार्टनर Vinco David जियोपॉलिटिकल पंडित थे.

इस दौरान Bakas ने प्रेजेंटेशन के जरिए आने वाले कई दशकों का अनुमानित खाका सबके सामने पेश किया. उन्होंने बताया कि 2050 तक चीन की कामकाजी आबादी आज के मुकाबले करीब 20% यानी 22 करोड़ कम हो जाएगी. इसलिए दुनिया अब चीन का विकल्प ढूंढ रही है. ऐसे में इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, फिलीपींस जैसे देश विकल्प बन सकते हैं लेकिन इन देशों में वो क्षमता नहीं है जो भारत के पास है. 

इस किताब में अर्थशास्त्री उत्सा पटनाइक की रिसर्च के हवाले से बताया गया है कि ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत से 45 ट्रिलियन डॉलर लूटे थे. यह आज के समय के ब्रिटेन की GDP की तुलना में 17 गुना ज्यादा है. Bakas लिखते हैं कि 15वीं शताब्दी के बाद दुनिया की जियोपॉलिटकल और इकोनॉमिकल पावर ईस्ट से वेस्ट की तरफ शिफ्ट हुई थी लेकिन 21वीं सदी में अब फिर यह पावर वेस्ट से ईस्ट की तरफ आ रही है. करीब 500 साल तक दुनिया पर पश्चिमी मुल्कों का दबदबा 21वीं सदी में खत्म हो जाएगा. इस सदी में एक बार फिर बहुध्रुवीय दुनिया बन जाएगी. एक महान साम्राज्य की तरह ही पश्चिमी देश भ्रष्टाचार, नेपोटिज्म, खराब नेतृत्व और नाखुश नागरिकों की वजह से कमजोर पड़ जाएंगे.

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उन्होंने बताया कि 2050 के बाद से दुनिया की डेमोग्राफी बदलनी शुरू हो जाएगी. 2050 तक दुनिया की आबादी 10 अरब होगी, लेकिन इसके बाद इसकी ग्रोथ में कमी आनी शुरू होगी. 2099 तक दुनिया की आबादी लगभग 11 अरब तक होने का अनुमान है. 

वह किताब में लिखते हैं, आज हम 'Climate Panic' के दौर में जी रहे हैं. वैज्ञानिक क्लाइमेट चेंज मानवता के अस्तित्व के लिए खतरा मानते हैं लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है. आज क्लाइमेट चेंज बड़ी समस्या है लेकिन मानवता ने अतीत में इससे भी बड़ी चुनौतियों का सामना किया है. क्लाइमेट चेंज से डरने की बजाय हमें इनोवेशन पर ध्यान देने की जरूरत है. 

इस दौरान उन्होंने बताया कि आने वाले समय में 'मास माइग्रेशन' को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा. वह उदाहरण देते हुए बताते हैं कि अगर चीन ने नॉर्थ कोरिया की डिमांड नहीं मानी तो वह कोरियन प्रवासियों को चीन में भेजने की धमकी दे सकता है. डेनमार्क और स्वीडन ने तो अभी से ही इसे 'जियोपॉलिटकल वेपन' के रूप में क्लासिफाइड कर दिया है. इस चुनौती को देखते हुए अब दुनियाभर के मुल्क अपनी सीमाओं पर दीवार खड़ी कर रहे हैं, फेंसिंग कर रहे हैं और सुरक्षा बढ़ा रहे हैं.

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इस किताब में Bakas ने आने वाले भविष्य की कल्पना की है. वे लिखते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कई नौकरियां खत्म जरूर करेगा लेकिन इससे नए मौके भी आएंगे. यह किताब सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बदलावों पर केंद्रित है, जो युवाओं को ध्यान में रखकर लिखी गई है.

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