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'जो कोर्ट कर सकती है, वो मंत्री भी नहीं कर पाते', न्यायपालिका की ताकत पर बोले नितिन गडकरी

गडकरी ने कहा कि समाज में ऐसे 15-20 लोग होने चाहिए जो अलग-अलग क्षेत्रों में जब कुछ गलत होता है तो कोर्ट में मामला उठाएं. इससे न सिर्फ समाधान मिलता है, बल्कि राजनीतिक लोगों में भी एक अनुशासन आता है. उन्होंने कहा, 'कोर्ट के आदेशों से कई बार वो काम हो जाते हैं, जो मंत्री चाहकर भी नहीं कर पाते, क्योंकि लोकप्रिय राजनीति में कई अड़चनें होती हैं.'

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नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा कि ऐसे 10-15 लोग होने चाहिए जो मामले कोर्ट में उठाते रहें (फाइल फोटो)
नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा कि ऐसे 10-15 लोग होने चाहिए जो मामले कोर्ट में उठाते रहें (फाइल फोटो)

नागपुर के एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने न्यायपालिका की भूमिका पर खास जोर देते हुए कहा कि कुछ लोग ऐसे जरूरी होते हैं जो जनहित के मुद्दों को लेकर कोर्ट का रुख करें, क्योंकि कई बार जो काम कोर्ट कर सकती है, वह मंत्री या सरकार भी नहीं कर पाती.

गडकरी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग के खिलाफ जब आवाज उठानी पड़ी, तब उन्होंने शिक्षा संस्थानों की संगठनों को साथ लेकर कोर्ट में केस डाले और सरकार के कई फैसलों को चुनौती दी. 

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'जो योग्य है उसके लिए संघर्ष करना चाहिए'

उन्होंने बताया कि भले ही सरकार ने अनुदान बंद कर दिए, लेकिन उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कहा, 'जो योग्य है, उसके लिए संघर्ष करना चाहिए. उस समय भानुदास कुलकर्णी जैसे वकीलों ने कोर्ट में प्रभावशाली तरीके से पैरवी की, और कई फैसले सरकार के खिलाफ भी गए.'

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'कोर्ट में मामला उठाने वाले 15-20 लोग चाहिए'

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गडकरी ने कहा कि समाज में ऐसे 15-20 लोग होने चाहिए जो अलग-अलग क्षेत्रों में जब कुछ गलत होता है तो कोर्ट में मामला उठाएं. इससे न सिर्फ समाधान मिलता है, बल्कि राजनीतिक लोगों में भी एक अनुशासन आता है. उन्होंने कहा, 'कोर्ट के आदेशों से कई बार वो काम हो जाते हैं, जो मंत्री चाहकर भी नहीं कर पाते, क्योंकि लोकप्रिय राजनीति में कई अड़चनें होती हैं.'

(इनपुट: योगेश वसंत)

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