मालेगांव 2008 बम विस्फोट मामले में सुनवाई कर रहे विशेष एनआईए जज ए.के. लाहोटी का तबादला नासिक कर दिया गया है. वे पिछले कुछ वर्षों से इस केस की नियमित दैनिक सुनवाई कर रहे थे और अब मुकदमा अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका था. केस की अधिकांश बहस पूरी हो चुकी है और जल्द ही फैसला आने की उम्मीद थी. ऐसे समय में जज लाहोटी का तबादला होने से पीड़ितों में नाराजगी है, और वे इस फैसले को कानूनी तौर पर चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं.
रूटीन ट्रांसफर प्रक्रिया के तहत हुआ तबादला
यह तबादला बॉम्बे हाई कोर्ट के सामान्य ट्रांसफर प्रक्रिया के तहत किया गया है, जो तीन साल का कार्यकाल पूरा करने वाले न्यायाधीशों पर लागू होती है. हालांकि, हाल ही में ब्लास्ट पीड़ितों ने बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर विशेष जज लाहोटी का ट्रांसफर न करने की अपील की थी.
शनिवार को विशेष जज लाहोटी ने अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों से कहा था कि वे 15 अप्रैल तक अपनी शेष बहस पूरी कर लें, ताकि इस महीने के अंत तक फैसला सुरक्षित रखा जा सके. लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी ट्रांसफर ऑर्डर के अनुसार, यह आदेश 9 जून से प्रभावी होगा, जब गर्मी की छुट्टियों के बाद अदालतें दोबारा खुलेंगी.
जज लाहोटी का समय रहते फैसला सुनाना मुश्किल
इस ट्रांसफर ऑर्डर में यह निर्देश भी दिया गया है कि जिन न्यायिक अधिकारियों का तबादला हुआ है, वे (a) जिन मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है, उनमें फैसला सुनाएं और (b) अधूरी सुनवाई वाले मामलों का निपटारा करने का प्रयास करें.
हालांकि, मालेगांव केस से संबंधित दस्तावेजों और रिकॉर्ड्स का आकार देखते हुए यह अपेक्षा नहीं की जा रही कि जज लाहोटी समय रहते फैसला सुना पाएंगे. मामले से जुड़े कई जानकारों का कहना है कि इस तबादले को अदालत में चुनौती दी जा सकती है.
'हाई कोर्ट में याचिका दायर करने पर गंभीरता से विचार'
पीड़ितों की ओर से अधिवक्ता शाहिद नदीम ने बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, रजिस्ट्रार और विधि एवं न्याय विभाग के सचिव को पत्र लिखकर जज लाहोटी का कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी. पत्र में उल्लेख किया गया कि जज लाहोटी ने अगस्त 2022 से इस केस की सुनवाई संभाली है और वे हर पहलू से इस जटिल मुकदमे की बारीकियों से परिचित हैं.
नदीम ने यह भी स्पष्ट किया कि 'हम हाई कोर्ट में याचिका दायर करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. हमने पहले ही कार्यकाल बढ़ाने के लिए पत्र दिया है. न्याय पहले ही काफी विलंबित हो चुका है, और अगर मौजूदा जज का स्थानांतरण हो गया, तो इसमें और देरी होगी. वरिष्ठ वकीलों से परामर्श के बाद हम अगला कदम तय करेंगे.'