इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (India Today Conclave 2025) मुंबई के मंच से शिवसेना सांसद और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे डॉ. श्रीकांत शिंदे ने राजनीति में एंट्री से लेकर ब्रांड पॉलिटिक्स पर खुलकर चर्चा की.
उन्होंने ठाकरे ब्रांड के बीच शिंदे ब्रांड से जुड़े सवाल पर कहा कि मुझे लगता है कि इतने वर्षों में जो ब्रांड पॉलिटिक्स चलती आई है, फिर चाहे वह राष्ट्रीय स्तर पर हो या फिर राज्य के स्तर पर उसे नकारा जा रहा है. 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश में लोगों ने सभी तरह के ब्रांड को नकार दिया है.
शिंदे ने कहा कि हम ब्रांड पॉलिटिक्स करने नहीं आए हैं. एकनाथ शिंदे जब मुख्यमंत्री बने तो उनकी खूब आलोचना हुई. उन पर सवाल उठाए गए लेकिन उन्होंने जिस तरह से महाराष्ट्र को संभाला. हमें उन पर गर्व है. हम कोई ब्रांड बनाने का काम नहीं कर रहे हैं. हमने कभी ब्रांड बनाने का काम नहीं किया. एकनाथ शिंदे ने हमेशा आम आदमी की तरह काम किया है. वह कॉमन मैन हैं और उन्होंने उसी तरह काम किया. वह जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने तो उन्होंने कॉमन मैन के तौर पर काम किया. जब उपमुख्यमंत्री बने तो डेडिकेटिड टू कॉमन मैन की तरह काम किया. वह 24 घंटे सभी के लिए उपलब्ध रहे. वर्षा के दरवाजे 24 घंटे सभी के लिए खुले हुए हैं.
उन्होंने कहा कि ब्रांड बनाने और बिगाड़ने का काम लोगों का होता है. जिस तरह पार्टियों में नंबर एक और नंबर दो की सीट ऑक्यूपाइड होती है. हमारी पार्टी में ऐसा नहीं है. मैंने अपनी पहली स्पीच में भी बोला था कि हमारी पार्टी में नंबर एक और नंबर दो कुछ नहीं है. जो भी पार्टी के लिए काम करेगा, मेहनत से काम करेगा. वह ऊपरी पायदान तक पहुंचेगा. शिवसेना कोई फैमिली पार्टी नहीं है. हमारी पार्टी में कोई मालिक या नौकर नहीं है. सभी परिवार की तरह हैं. एकनाथ शिंदे जी ने सभी को परिवार की तरह रखा है. जो काम करेगा, उसे पार्टी में आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा.
श्रीकांत ने कहा कि शिवसेना में कोई भी अध्यक्ष बन सकता है. केंद्र में शिवसेना को जब मंत्री पद मिला तो एकनाथ जी ने वह पद अपने बेटे को नहीं दिया बल्कि एक कार्यकर्ता को दिया. यही काम वह वर्षों से करते आए हैं. पार्टी के लोगों को क्या चाहिए. महाराष्ट्र के लोगों को क्या चाहिए. हम इसी पर काम करते हैं.
एक्सीडेंटली राजनीति में पर्दापण किया
यह पूछने पर कि क्या शिवसेना अब बिना ठाकरे वाली शिवसेना गई है? इस पर शिंदे ने कहा कि हमने हमेशा कहा है कि हम बालासाहेब ठाकरे के विचारों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. बालासाहेब जिस तरह से सोचते थे. हम उसी रास्ते पर बढ़ रहे हैं. हम उन्हीं की विचारधारा से प्रेरित होकर चुनाव लड़ रहे हैं.
श्रीकांत ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं राजनीति में आऊंगा. मुझे यहां आना ही नहीं था. मैं एक्सीडेंटली पॉलिटिक्स में आ गया. मैं डॉक्टर था. मैं एमबीबीसीएस की पढ़ाई कर रहा था. मैंने प्रैक्टिस करने की सोची थी. मेरे सपने अलग थे लेकिन 2014 में स्थिति ऐसी बन गई कि मुझे राजनीति में आना पड़ा. 2014 में हमारा एमपी दूसरी पार्टी में चला गया. पार्टी को ऐसे चेहरे की जरूरत थी जो पढ़ा-लिखा हो. तो हमारी पार्टी ने मुझे शिक्षित उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया. पार्टी बड़ी है, नाम बड़ा नहीं है. मुझे पार्टी ने चुनावी मैदान में खड़ा किया. उस समय मैं कॉलेज में था. लेकिन पार्टी को जरूरत थी तो मैंने पूरी ताकत लगाकर चुनाव जीता. लोगों ने ढाई-ढाई लाख से ज्यादा के मार्जिन से चुनाव जिताया है. मैं लोगों के लिए काम कर रहा हूं.
इसकी पीछे की एक और वजह बताते हुए श्रीकांत कहते हैं कि एकनाथ शिंदे जी ने हमेशा शिद्दत से राजनीति की है. हम जब घर में शिंदे साहब को देखते थे. तो आज जैसे काम करते थे, तब भी ऐसे ही काम करते थे. तब हमें लगता था कि परिवार में एक ही नेता ठीक है. अब और कोई परिवार से राजनीति में नहीं जाएगा. लेकिन आपको नहीं पता कि नसीब आपको कहां लेकर चला जाता है.
श्रीकांत ने कहा कि मैं ऑर्थोपैडिक्स सर्जन हूं. ये भी कहा जाता था कि बाप हड्डी तोड़ता है तो बेटा हड्डी जोड़ता है. महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे बंधुओं से मिलने वाले चैलेंज पर एकनाथ ने काह कि विधानसभा चुनाव से पहले भी लोगों ने अनुमान लगाया था कि शिवसेना ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगी. लेकिन हम 80 सीटों पर लड़े और 60 सीटों पर विजयी हुई जबकि ठाकरे की पार्टी 120 सीटों पर लड़ी और 20 सीटों पर ही सिमट गई. लोगों को पता है कि काम कौन करता है और किसे वोट देना है. जो काम करता है, उसके साथ लोग खड़े होते हैं. सब जानते हैं कि ये ठाकरे अपने परिवार को बचाने के लिए एक साथ आए हैं. मुंबई में इन्हीं की वजह से मराठियों का प्रतिशत कम हुआ है. अब आने वाले समय में बीएमसी चुनाव है, उसमें भी हमारी पार्टी लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरेगी.