मुंबई के वर्ली में गुरुवार को बीडीडी चॉल पुनर्विकास परियोजना के तहत तैयार 556 फ्लैट्स की चाबियां लाभार्थियों को सौंपी गईं. लाभार्थियों को फ्लैट की चाबी देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ दोनों उपमु्ख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार भी मौजूद थे.
माटुंगा स्थित यशवंतराव चव्हाण ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में वर्ली विधायक आदित्य ठाकरे को भी सीएम के साथ मंच साझा करना था. आदित्य ठाकरे ने इस ऐतिहासिक परियोजना पर क्रेडिट वार का हवाला देते हुए आयोजन से किनारा कर लिया. क्रेडिट वार के पीछे इस परियोजना के कई सरकारों के कार्यकाल का होना बताया जा रहा है.
इस आयोजन के लिए निमंत्रण पत्र पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ ही डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे का नाम भी प्रमुखता से छपा था. कार्यक्रम का न्योता वर्ली विधायक आदित्य ठाकरे के साथ ही शिवसेना (यूबीटी) के क्षेत्रीय सांसद अरविंद सावंत को भी भेजा गया था. इस कार्यक्रम के दौरान भी शिवसेना (शिंदे) और शिवसेना (यूबीटी) की रार खुलकर दिखी.
डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने अपना भाषण शुरू किया, नारे लगने लगे. कुछ लोग शिंदे के समर्थन में नारे लगा रहे थे, कुछ लोग ठाकरे के समर्थन में. एकनाथ शिंदे को नारे लगाती जनता से एकजुट होने, महायुति की जय के नारे लगाने की अपील करनी पड़ी. इस दौरान चर्चा धारावी पुनर्विकास परियोजना की भी हुई.
यह भी पढ़ें: उद्धव ठाकरे का फडणवीस सरकार पर निशाना, शिंदे के 'दागी' मंत्रियों को हटाने की मांग
सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम शिंदे ने धारावी पुनर्विकास परियोजना पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पात्रों के साथ ही अपात्रों को भी घर देने का वादा कर दिया गया था. डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि जैसे हमने बीडीडी चॉल का सपना पूरा किया, वैसे ही विरोध के बावजूद धारावी का सपना भी पूरा करेंगे.
यह भी पढ़ें: एक ही पोस्ट, CM-डिप्टी सीएम ने की अलग-अलग नियुक्ति, फडणवीस-शिंदे के बीच क्या चल रहा?
विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) के विधायक सुनील शिंदे ने सरकार पर हमला बोलते हुए धारावी समेत मुंबई के प्रमुख स्थल अडानी समूह को सौंप रही है. उन्होंने यह भी दावा किया कि टीडीआर अडानी के नियंत्रण में होगा, जिससे एकाधिकार को बढ़ावा मिलेगा.
बीडीडी चॉल परियोजना क्या है?
बीडीडी चॉल परियोजना मुंबई के वर्ली, लोवर परेल और नायगांव स्थित पुराने बॉम्बे विकास निदेशालय की चॉल के आधुनिकीकरण की परियोजना है. MHADA की निगरानी में जीर्ण-शीर्ण घरों को सांस्कृतिक महत्व संरक्षित करते हुए आधुनिक रूप दिया जा रहा है. आधुनिक सुविधाओं वाली हाई राइज टॉवर्स वाली यह परियोजना मुंबई के शहरी पुनर्विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है.