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'जागने के लिए किसी और घटना का इंतजार है?', बदलापुर यौन शोषण केस में हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा सवाल

यह मामला बद्लापुर (मुंबई के पास) की उस घटना से जुड़ा है जिसमें पिछले साल दो नाबालिग छात्राओं के साथ स्कूल में यौन शोषण हुआ था. इसी के बाद हाईकोर्ट ने 13 मई 2025 को स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) लेते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी. इसके जवाब में राज्य सरकार ने स्कूल शिक्षा और खेल विभाग के जरिए एक सरकारी संकल्प (GR) जारी किया था, जिसके तहत सभी स्कूलों को बच्चों के लिए सुरक्षित जोन बनाया जाना था.

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कोर्ट के सामने पेश आंकड़ों के अनुसार 45,315 सरकारी और 11,139 निजी स्कूलों में अब तक CCTV कैमरे नहीं लगे. (Photo: Represetational)
कोर्ट के सामने पेश आंकड़ों के अनुसार 45,315 सरकारी और 11,139 निजी स्कूलों में अब तक CCTV कैमरे नहीं लगे. (Photo: Represetational)

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार के रवैये पर कड़ा असंतोष जताया. अदालत ने पूछा, "क्या आप किसी और घटना का इंतजार कर रहे हैं और तब जागेंगे? अपनी ही सरकारी स्कूलों में आपने अब तक पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं."

दरअसल, यह मामला बदलापुर (मुंबई के पास) की उस घटना से जुड़ा है जिसमें पिछले साल दो नाबालिग छात्राओं के साथ स्कूल में यौन शोषण हुआ था. इसी के बाद हाईकोर्ट ने 13 मई 2025 को स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) लेते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी. इसके जवाब में राज्य सरकार ने स्कूल शिक्षा और खेल विभाग के जरिए एक सरकारी संकल्प (GR) जारी किया था, जिसके तहत सभी स्कूलों को बच्चों के लिए सुरक्षित जोन बनाया जाना था.

कोर्ट की नाराजगी

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदीश बी पाटिल की खंडपीठ ने सरकार की ओर से अब तक की गई कार्रवाई की समीक्षा करते हुए कहा कि सुरक्षा उपायों के क्रियान्वयन में कई गंभीर खामियां हैं. अदालत ने कहा, "हम आपके कदमों से खुश नहीं हैं. आप बस किसी अगली घटना का इंतजार कर रहे हैं और फिर जागते हैं."

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अमिकस क्यूरी (अदालत की सहयोगी अधिवक्ता) रेबेका गोंसाल्वेस ने कोर्ट को बताया कि महाराष्ट्र के 1.08 लाख स्कूलों की समीक्षा सतही स्तर पर ही की गई है. अगस्त 29, 2025 तक के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 63,887 सरकारी स्कूलों में से 61,000 से अधिक में शिकायत पेटियां लगाई गईं. लगभग 61,621 स्कूलों में सुरक्षा समितियां बनीं. निजी स्कूलों में भी ऐसे ही कदम उठाए गए. लेकिन इसके बावजूद कई अहम सुरक्षा इंतज़ाम अब तक अधूरे हैं.

बड़ी कमियां बरकरार

कोर्ट के सामने पेश आंकड़ों के अनुसार 45,315 सरकारी और 11,139 निजी स्कूलों में अब तक CCTV कैमरे नहीं लगे. 25,000 सरकारी और 15,000 निजी स्कूलों में स्टाफ का चरित्र सत्यापन नहीं हुआ. लगभग 68,000 स्कूलों में परिवहन सुरक्षा इंतज़ाम (GPS, ड्राइवर सत्यापन, महिला अटेंडेंट) मौजूद नहीं. कई जगह काउंसलिंग, साइबर सुरक्षा जागरूकता, आपदा प्रबंधन योजना और आवासीय स्कूलों की सुरक्षा तक की जांच नहीं हुई.

कोर्ट की कड़ी फटकार

कोर्ट ने कहा कि ऐसी लापरवाहियां स्कूलों को असुरक्षित बना देती हैं. अतिरिक्त लोक अभियोजक से पूछा गया, "अब किसे बुलाया जाए? आदेश सिर्फ कागज पर रहने के लिए नहीं होते, उन्हें तार्किक अंजाम तक पहुंचना चाहिए."

अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि राज्य सरकार ने आवासीय स्कूलों, आंगनवाड़ी और आश्रमशालाओं में सुरक्षा इंतज़ामों को लेकर साफ तौर पर कुछ नहीं बताया. "हमें आपके आंतरिक राजनीति या विभागों से मतलब नहीं है," खंडपीठ ने कहा.

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कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि सभी स्कूलों की अनुपालन जानकारी उनकी वेबसाइट पर सार्वजनिक की जाए ताकि माता-पिता यह जान सकें कि उनके बच्चों के स्कूलों में क्या-क्या उपाय किए गए हैं.

गोंसाल्वेस ने बताया कि राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में दावा किया है कि नया GR व्हाट्सएप और ईमेल से माता-पिता तक पहुंचाया गया है. इस पर उन्होंने सवाल उठाया कि जिनके पास ऑनलाइन साधन नहीं हैं, उन्हें कैसे सूचना दी गई?

इस पर न्यायमूर्ति डेरे ने टिप्पणी की, "मेरे सहयोगी न्यायमूर्ति पाटिल खुद एक अभिभावक हैं और इन्हें भी यह GR नहीं मिला." अदालत ने राज्य अधिकारियों को चेतावनी दी, "झूठा बयान न दें. गलत तस्वीर पेश न करें. वरना आपके खिलाफ झूठी गवाही (perjury) का नोटिस जारी हो सकता है."

इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी.

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