महाराष्ट्र की सियासत में शनिवार का दिन बेहद खास रहा. लंबे समय से जिस तस्वीर को लेकर कयासबाजी चल रही थी वो आज देखने को मिली जब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एकसाथ एक मंच पर दिखे, वो भी परिवार के साथ. दोनों नेताओं की ओर से संयुक्त रूप से मराठी विजय रैली आयोजित की गई.
इस दौरान राज ठाकरे ने सबसे पहले संबोधित किया और कहा कि जो बाला साहेब ठाकरे या कोई और नहीं कर पाया, उसे देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया और हमें एक कर दिया.
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-हम हनुमान चालीसा, जय श्री राम के विरोधी नहीं हैं, लेकिन आपको मराठी से क्या दिक्कत है? मुंबई की ज़्यादातर ज़मीन अडानी ने हड़प ली है. हमें शर्म आनी चाहिए कि हमारे शहीदों ने मुंबई के लिए अपना खून बहाया और हम अपनी ज़मीन भी नहीं बचा पाए. मुंबई की ज़्यादातर ज़मीन अब अडानी के पास चली जाएगी: उद्धव ठाकरे
-अब वे पूछ रहे हैं कि क्या हम मराठी नहीं हैं? अब हमें यह साबित करने के लिए रक्त परीक्षण करवाना होगा कि हम मराठी हैं? हमें मुंबई मिली, हमने इसके लिए लड़ाई लड़ी, उस समय के राजनेता नहीं चाहते थे कि महाराष्ट्र में मराठी हों.अब केंद्र सरकार कहती है - हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान.हमें हिंदू और हिंदुस्तान तो मंजूर है, लेकिन हिंदी नहीं. हिंदी थोपना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आपकी सात पीढ़ियां खत्म हो जाएंगी, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे: उद्धव ठाकरे
- इतने सालों के बाद मैं और राज मंच पर मिले हैं.उन्होंने मुझे आदरणीय उद्धव ठाकरे कहा, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उन्हें ऐसा ही कहूं. राज ने बहुत अच्छा बोला है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि मुझे ज्यादा बोलने की जरूरत है. हमारे भाषणों के बजाय एकजुट दिखना जरूरी है.हम साथ रहने के लिए साथ आए हैं: उद्धव ठाकरे
हम (मैं और राज) साथ रहेंगे. हम साथ रहने के लिए साथ आए हैं. इन्होंने इस्तेमाल करो और फेंक दो की नीति शुरू कर दी है.अब हम तुम्हें बाहर निकाल देंगे. तुम सबके स्कूल खोज रहे हो.मोदी किस स्कूल में जाते हैं? हिंदुत्व एकाधिकार नहीं है. हम सबसे ज़्यादा जड़ जमाए हुए हिंदू हैं. आपको हमें हिंदू सिखाने की ज़रूरत नहीं है. मुंबई में 92 के दंगों में मराठी लोगों ने ही हिंदुओं को बचाया था.फडणवीस ने कहा कि वे गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं करेंगे.लेकिन अगर अपनी भाषा के लिए लड़ना गुंडागिरी है, तो हाँ हम गुंडे हैं: उद्धव ठाकरे
-अब ये लोग जाति की राजनीति शुरू करेंगे. वे तुम्हें जाति के आधार पर बांट देंगे.वे आपको मराठी भाषा के लिए एकजुट नहीं होने देंगे. अगर किसी को मारा जाए और वो गुजराती से मिले तो क्या करे.आप मराठी मानुस के रूप में एक साथ आए हैं, लेकिन अब वे जातियों में विभाजित करने का प्रयास करेंगे. उनकी ऐसी मानसिकता है.मीरा रोड में एक शख्स ने गुजराती को थप्पड़ मारा.. लेकिन क्या किसी के माथे पर लिखा था कि वो गुजराती है. यह दो लोगों के बीच झगड़े का मामला था. लेकिन अगर वे दूसरी गलती करेंगे तो हम थप्पड़ मारेंगे, लेकिन बिना वजह किसी को नहीं छूएंगे: राज ठाकरे
-गैर हिंदी राज्य ज़्यादा प्रगतिशील हैं और हमें हिंदी सीखनी चाहिए? हमें किसके लिए मराठी सीखनी चाहिए? मुझे हिंदी के लिए बुरा नहीं लगता, कोई भी भाषा अच्छी है. मराठी, तमिल, बंगाली, हिंदी. भाषा बनाने में कड़ी मेहनत लगती है.अमित शाह ने कहा कि जो भी अंग्रेज़ी जानता है, उसे शर्म आएगी, यही आपकी समस्या होगी. हमने 125 साल तक इस क्षेत्र पर शासन किया, क्या हमने मराठी थोपी? हम अटक गए, क्या हमने थोपी? हिंदी 200 साल पुरानी है.उन्होंने बस हमारी परीक्षा ली: राज ठाकरे
- दक्षिण में स्टालिन, कनमोझी, जयललिता, नारा लोकेश, आर रहमान, सूर्या, सभी ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है? रहमान ने डायस छोड़ दिया जब एक वक्ता ने हिंदी में बोलना शुरू किया.बालासाहेब और मेरे पिता श्रीकांत ठाकरे ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है, लेकिन वे मातृभाषा मराठी के प्रति बहुत संवेदनशील थे. बालासाहेब ठाकरे ने अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की, लेकिन उन्होंने मराठी भाषा से समझौता नहीं किया. किसी को भी मराठी को तिरछी नज़र से नहीं देखना चाहिए: राज ठाकरे
- हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम जाते है तो हमारे मराठी पर सवाल उठते है , लालकृष्ण आडवाणी मिशनरी स्कूल में पढ़े है तो क्या उनके हिंदुत्व पर सवाल उठाए क्या? हम हिंदी थोपना बर्दाश्त नहीं करेंगे. वे बस मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना चाहते हैं, यही उनका एजेंडा है. लेकिन वे ऐसा करने की हिम्मत करते हैं.. तब उन्हें मराठी मानुस की ताकत समझ में आएगी.वे मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. अब वे यह मुद्दा उठा रहे हैं कि ठाकरे के बच्चे अंग्रेजी में पढ़े हैं. यह क्या बकवास है? कई भाजपा नेताओं ने अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की है.. लेकिन किसी को उनके हिंदुत्व पर संदेह है: राज ठाकरे
-इस दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा,'ये त्रिभाषा सूत्र कहा से लेकर आए? छोटे-छोटे बच्चों से जबरदस्ती करोगे क्या? महाराष्ट्र को कोई तिरछी नजर से नहीं देखेगा. हिंदी अच्छी भाषा है, सारी भाषा अच्छी हैं. किसी की हिम्मत है तो मुंबई पर हाथ डालकर देख लें.'
-राज ठाकरे ने कहा, "मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है. आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं. जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया... हम दोनों को साथ लाने का काम..."
-राज ठाकरे अपनी पत्नी शर्मिला और बेटे अमित, बेटी उर्वशी के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. साथ ही उद्धव अपनी पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य, तेजस के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे हैं.
-उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे वर्ली में ‘विजय सभा’ में आने से पहले शिवाजी पार्क में स्थित बाल ठाकरे के स्मारक ‘स्मृति स्थल’ पर जा सकते हैं.
-रैली को लेकर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, "... यह महाराष्ट्र में हम सभी के लिए एक त्यौहार की तरह है कि ठाकरे परिवार के दो प्रमुख नेता, जो अपनी राजनीतिक विचारधाराओं के कारण अलग हो गए थे, आखिरकार 20 साल बाद एक मंच साझा करने के लिए एक साथ आ रहे हैं. हमारी हमेशा से यह इच्छा रही है कि हमें उन लोगों से लड़ना चाहिए जो महाराष्ट्र के लोगों के खिलाफ हैं. आज एक साथ आकर उद्धव और राज ठाकरे निश्चित रूप से मराठी मानुष को दिशा देंगे."
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-यह पुनर्मिलन सियासी भूचाल जैसा माना जा रहा है क्योंकि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) लंबे समय से अलग-अलग राह पर हैं. लेकिन केंद्र में लाए गए त्रिभाषा फार्मूले का ठाकरे बंधुओं ने मिलकर विरोध किया, जिसके चलते राज्य सरकार को प्रस्तावित नीति फिलहाल टालनी पड़ी.
कई दिग्गज होंगे रैली में शामिल
इस रैली को "मराठी एकता की जीत" के रूप में मनाया जा रहा है और इसमें साहित्यकार, शिक्षक, कलाकार, कवि, पत्रकार और मराठी प्रेमी बड़ी संख्या में शामिल होंगे. वर्ली डोम में 7,000-8,000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है, और अतिरिक्त भीड़ के लिए बाहर और आसपास की सड़कों पर LED स्क्रीन लगाई गई हैं.
इस रैली के माध्यम से ठाकरे बंधु यह संदेश देना चाहते हैं कि मराठी स्वाभिमान और भाषा के लिए अब राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने की जरूरत है. हालांकि, इस मंच पर शरद पवार और कांग्रेस नेता हर्षवर्धन सपकाल की गैरमौजूदगी भी चर्चा का विषय है. मनसे की ओर से न्योता भेजा गया था, लेकिन वे रैली में शामिल नहीं हो रहे हैं.
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भाजपा सांसद नारायण राणे और शिवसेना (शिंदे गुट) के रामदास कदम ने इस एकजुटता को आगामी BMC चुनावों में प्रासंगिकता बनाए रखने की चाल बताया है. वहीं, मनसे नेता प्रकाश महाजन ने उम्मीद जताई कि यह मंच मराठी समाज की एकता और सम्मान का प्रतीक बनेगा.
अब सवाल ये है कि क्या ठाकरे बंधुओं का यह ‘मराठी गठबंधन’ सिर्फ मंच तक सीमित रहेगा या आगे चलकर राजनीतिक समीकरणों में भी बड़ा बदलाव लाएगा? क्या यह मुंबई की राजनीति में मराठी पहचान के पुनर्जागरण का संकेत है?