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बिहार चुनाव: इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग से दरकिनार किए जाने से भड़की JMM, बोली - ये रणनीति ठीक नहीं

बिहार चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन के बीच दरार देखने को मिल रही है. हेमंत सोरेन की पार्टी JMM सीट बंटवारे को लेकर नाराजगी जाहिर की है. JMM का कहना है कि अभी जो सीट बंटवारा किया गया है उससे परिणाम सकारामत्क नहीं आएंगे.

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सीट शेयरिंग में अनदेखी से नाराज़ हेमंत सोरेन की पार्टी JMM
सीट शेयरिंग में अनदेखी से नाराज़ हेमंत सोरेन की पार्टी JMM

बिहार में चुनाव है लेकिन झारखंड में भी सियासी घमासान कम नहीं है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने बिहार की 13 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा इंडिया ब्लॉक के सीनियर साझेदार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस से किया है. अभी तक किसी भी बैठक में नहीं बुलाए जाने से भी पार्टी नाखुश है.

सीट बंटवारे से नाराज़ जेएमएम

पहले दौर में कांग्रेस और आरजेडी के बीच 138 और 54 सीटों पर साझेदारी लगभग तय हो जाने से भी जेएमएम में नाराज़गी है. लिहाज़ा उसने ऐलान किया है कि जेएमएम किसी की मोहताज नहीं है लेकिन उन्हें नज़रअंदाज़ करने का परिणाम सकारात्मक नहीं होगा.

झारखंड में जेएमएम की अगुवाई वाली सरकार

जेएमएम की अगुवाई में झारखंड में सरकार है और इसमें आरजेडी 4 विधायकों के साथ और कांग्रेस 16 विधायकों के साथ शामिल है. सरकार में आरजेडी कोटे से एक मंत्री और कांग्रेस से चार मंत्री शामिल हैं. जेएमएम सबसे अधिक 34 सीटों के साथ राज्य की कमान संभाल रही है.

इंडिया ब्लॉक की कलह का असर झारखंड पर?

हालांकि बिहार चुनाव और अन्य कारणों से इंडिया ब्लॉक के भीतर जिस तरह का घमासान मचा है, उससे यह आशंका जताई जा रही है कि कहीं इसका असर झारखंड के सियासी समीकरणों पर न पड़े. झारखंड विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं और बहुमत का आंकड़ा 41 है.

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पहले झारखंड में भी सीटों को लेकर असहमति

झारखंड विधानसभा चुनाव में आरजेडी दो दर्जन सीटों पर लड़ना चाहता था लेकिन उसे केवल 7 सीटें दी गईं थीं. जबकि पार्टी के नेता तेजस्वी यादव ने रांची में 5 दिनों तक कैंप किया था. लगभग वही व्यवहार जेएमएम को बिहार में सीट साझेदारी को लेकर झेलना पड़ रहा है.

पार्टी की मांग 12 से 13 सीटों की है लेकिन खबर है कि उसे केवल 4 सीटें मिल सकती हैं. ऐसे में जेएमएम के तेवर कड़े हैं और पार्टी महासचिव मनोज पांडे ने कहा कि वे किसी के मोहताज नहीं हैं लेकिन उन्हें अनदेखा करने का परिणाम सकारात्मक नहीं होगा. सवाल यह भी उठता है कि क्या इसका असर झारखंड सरकार की सेहत पर भी दिखेगा.

कांग्रेस को मिल रही मजबूत हिस्सेदारी

कांग्रेस को भी बिहार में अच्छा समझौता मिल रहा है और झारखंड में भी सीट साझेदारी में जेएमएम ने कांग्रेस को बड़ा हिस्सा दिया था. लेकिन अब आरजेडी और कांग्रेस मिलकर बिहार में बड़ा सौदा कर रही हैं.

इस मुद्दे पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार चुनाव में अभी वक्त है और बड़े नेता इस मामले में फैसला लेंगे. हालांकि जेएमएम की नाराज़गी पर उनका कहना था कि झारखंड में सरकार ठीक से चल रही है.

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आरजेडी की तीखी प्रतिक्रिया

झारखंड आरजेडी के तेवर भी कम नहीं हैं. पार्टी के महासचिव ने सवाल किया है कि अगर हेमंत सोरेन पैन इंडिया नेता हैं तो क्या तेजस्वी नहीं या फिर लालू नहीं हैं? आरजेडी के साथ झारखंड चुनाव में अच्छा व्यवहार नहीं हुआ था, फिर भी पार्टी ने उसे गांठ में बांधकर नहीं रखा.

कैलाश यादव ने कहा है कि जेएमएम को ये बातें उचित मंच पर रखनी चाहिए न कि मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर. उनके नेता हेमंत सीधे तेजस्वी से बात क्यों नहीं करते?

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बीजेपी ने भड़काई नाराज़गी

वहीं बीजेपी के सांसद आदित्य साहू जेएमएम की नाराज़गी को हवा देती दिख रही है. बीजेपी का कहना है कि जेएमएम ऐसे दलों की गोद में बैठी है जिनके नेता ने कहा था कि झारखंड उनकी लाश पर बनेगा. ऐसे दल आखिर जेएमएम जिसका उदय झारखंड में हुआ है, उसके हित की बात कैसे सोच सकते हैं?

कांग्रेस की सक्रियता भी बनी कारण

कांग्रेस हाल के दिनों में जिस तरह से जेएमएम के गढ़ संथाल और कोल्हान में सक्रिय हुई है, वह भी बताया जा रहा है कि जेएमएम को रास नहीं आ रहा. तो क्या झारखंड की सियासत में नए समीकरण, बिहार विधानसभा चुनाव के चलते देखने को मिल सकते हैं? क्या जेएमएम की नाराज़गी कुछ नई सियासी हलचल पैदा कर सकती है?

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