हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले ने पूरे राज्य के प्रशासनिक ढांचे को हिला दिया है. मामले में अब मुख्यमंत्री नायब सैनी के हस्तक्षेप के बाद बड़े कदम उठाए जाने की तैयारी है. सूत्रों के मुताबिक, डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर को छुट्टी पर भेजने का निर्णय हो गया है, जबकि ओपी सिंह को कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने की संभावना है. इसी तरह रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया को भी छुट्टी पर भेजा जाएगा.
यह कदम उस शिकायत के बाद सामने आया है जो वाई पूरन कुमार की पत्नी और आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार ने बुधवार को सेक्टर 11 थाना, चंडीगढ़ में दर्ज कराई थी. अपनी लिखित शिकायत में उन्होंने डीजीपी हरियाणा शत्रुजीत सिंह कपूर और एसपी रोहतक नरेंद्र बिजारनिया पर अपने पति को मानसिक प्रताड़ना देने, जातिगत भेदभाव करने और आत्महत्या के लिए उकसाने के गंभीर आरोप लगाए हैं.
मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवार से की मुलाकात
सुत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री नायब सैनी ने आज सुबह डीजीपी कपूर से मुलाकात की थी. इसके कुछ ही घंटे बाद वह दिवंगत आईपीएस अधिकारी की पत्नी, आईएएस अमनीत पी कुमार से मिलने उनके सेक्टर 11 स्थित आवास पहुंचे. इस मुलाकात में मुख्यमंत्री ने परिजनों को न्याय का भरोसा दिलाया और कहा कि जांच निष्पक्ष और पूरी पारदर्शिता के साथ होगी.
सूत्रों के अनुसार, डीजीपी शत्रुजीत कपूर के छुट्टी पर भेजे जाने का आदेश कभी भी जारी हो सकता है. मामला अब मुख्यमंत्री कार्यालय और गृह विभाग के सीधे संज्ञान में है.
हालांकि इस पूरे मामले में अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. चंडीगढ़ पुलिस का कहना है कि उन्हें शिकायत मिल चुकी है और वे कानूनी राय लेकर आगे की कार्रवाई करेंगे.
परिवार की चार मांगें
अमनीत पी. कुमार ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में चार प्रमुख मांगें रखी थीं. पहला ये कि आत्महत्या नोट और शिकायत में नामजद सभी व्यक्तियों के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज की जाए. दूसरा, सभी आरोपियों को तुरंत निलंबित और गिरफ्तार किया जाए ताकि जांच पर कोई प्रभाव न पड़े. तीसरा, परिवार, विशेषकर उनकी दो बेटियों को स्थायी सुरक्षा कवर प्रदान किया जाए. चौथा, परिवार की गरिमा और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए, क्योंकि वे अभी भी डर और दबाव में हैं.
पुलिस को दिए शिकायत पत्र में क्या कहा?
अपनी चार पन्नों की विस्तृत शिकायत में अमनीत पी. कुमार ने लिखा, “मेरे पति एक ईमानदार और निष्ठावान अधिकारी थे, जिन्हें वरिष्ठ अधिकारियों ने वर्षों तक मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. उन्होंने अपने सुसाइड नोट में साफ लिखा है कि डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और एसपी नरेंद्र बिजारनिया ने षड्यंत्र रचकर उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करवाए और बार-बार अपमानित किया. यह आत्महत्या नहीं, बल्कि योजनाबद्ध प्रशासनिक उत्पीड़न का परिणाम है.”
IAS अमनीत ने यह भी बताया कि वाई पूरन कुमार को उनके अनुसूचित जाति समुदाय से होने के कारण लगातार भेदभाव का सामना करना पड़ा. उन्हें कई बार पूजा स्थलों में प्रवेश से रोका गया, मनमाने तबादले किए गए और फर्जी आरोप लगाकर परेशान किया गया.
सुसाइड नोट के आरोप और घटनाक्रम
बता दें कि वाई पूरन कुमार ने मंगलवार को अपने घर के बेसमेंट में सर्विस गन से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. उन्होंने सुसाइड नोट भी छोड़ा था. इसमें वाई पूरन कुमार ने 15 वरिष्ठ अधिकारियों के नाम लिए हैं, जिनमें मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, डीजीपी शत्रुजीत कपूर, पूर्व मुख्य सचिव टी.वी.एस.एन. प्रसाद, पूर्व एसीएस राजीव अरोड़ा और नौ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल हैं.
जानकारी के मुताबिक उन्होंने लिखा, “लगातार जातिगत भेदभाव, सार्वजनिक अपमान और मानसिक यातना से तंग आकर यह कदम उठा रहा हूं. मेरे खिलाफ फर्जी केस दर्ज किए जा रहे हैं, मेरी गरिमा नष्ट करने की कोशिश की जा रही है. मैं इन सब अधिकारियों को अपने अंतिम कदम के लिए जिम्मेदार ठहराता हूं.”
सुसाइड से पहले वसीयत भी तैयार की
मृत्यु से एक दिन पहले 6 अक्टूबर को वाई पूरन कुमार ने अपनी वसीयत भी तैयार की थी जिसमें उन्होंने अपनी सारी चल-अचल संपत्ति पत्नी अमनीत पी. कुमार के नाम की. उसी दिन उन्होंने आत्महत्या नोट भी लिखा और पत्नी को भेजा. घटना के समय अमनीत पी. कुमार जापान में मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल में थीं. उन्होंने अपने पति को 15 बार कॉल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. चिंतित होकर उन्होंने अपनी बेटी अमुल्या से संपर्क किया, जिसने घर जाकर अपने पिता को बेसमेंट में मृत पाया.
पोस्टमॉर्टम पर परिवार की आपत्ति
परिवार ने पोस्टमॉर्टम कराने से फिलहाल इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि पहले आरोपी अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज हो और न्यायिक प्रक्रिया शुरू हो, तभी आगे की कार्रवाई की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, पोस्टमॉर्टम की अनुमति मिलने तक शव को सेक्टर 16 अस्पताल के शवगृह में रखा गया है.