रात का सन्नाटा था... दिल्ली की सड़कों पर सिर्फ स्ट्रीट लाइट्स की हल्की रोशनी फैली थी. लेकिन कुछ ही मिनटों में वह सन्नाटा गोलियों की गूंज में तब्दील हो गया. रोहिणी के बहादुर शाह जफर रोड और डॉ. अंबेडकर चौक के पास गूंजती गोलियों की आवाज ने इलाके को हिला दिया. यह था देश की राजधानी में हुआ अब तक का सबसे बड़ा एनकाउंटर, जिसमें बिहार के सीतामढ़ी का आतंक रंजन पाठक गैंग हमेशा के लिए खत्म हो गया.
सुबह जब फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची तो दृश्य किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं था. चारों तरफ पुलिस की गाड़ियां, चमकती लाल-बत्ती, जमीन पर पड़े कारतूस और एक सफेद कार, जिसमें बैठे थे चार ऐसे बदमाश, जिनकी तलाश कई राज्यों की पुलिस को थी.
ये चारों थे रंजन पाठक, बिमलेश महतो, मनीष पाठक और अमन ठाकुर. रात के करीब 1 बजे इन बदमाशों का दिल्ली पुलिस और बिहार पुलिस की संयुक्त टीम से आमना-सामना हुआ. यह मुठभेड़ करीब आधे घंटे तक चली और जब गोलियों की आवाज थमी, तो चारों बदमाश गोली लगने से ढेर हो चुके थे.

मुठभेड़ की कहानी की शुरुआत हुई बिहार से. सीतामढ़ी पुलिस को इन अपराधियों की लोकेशन दिल्ली में मिली थी. तुरंत बिहार पुलिस ने दिल्ली क्राइम ब्रांच को अलर्ट किया. लोकेशन ट्रैक हुई- सिग्नल मिला रोहिणी इलाके से. फिर क्या था, दोनों राज्यों की पुलिस टीम मिलकर ऑपरेशन में जुट गईं.
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जैसे ही रंजन गैंग की सफेद कार नजर आई, पीछा शुरू हुआ. कार की रफ्तार तेज, पुलिस की गाड़ियां पीछे. बदमाश लगातार दिशा बदल रहे थे, ताकि पीछा छुड़ा सकें. लेकिन दिल्ली पुलिस ने रास्ते में बैरिकेडिंग कर दी.
बदमाशों ने आखिरी कोशिश की- कार को डिवाइडर पर चढ़ाकर निकलने की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. सरकारी बंदूकों से निकली गोलियों ने सिग्मा एंड कंपनी के इन चारों गुर्गों को ढेर कर दिया.
सिग्मा एंड कंपनी- क्राइम की चलती फिरती कंपनी
रंजन पाठक सिर्फ एक अपराधी नहीं था- वह अपराध को ब्रांड की तरह चलाता था. उसका गैंग सिगमा एंड कंपनी के नाम से कुख्यात था. हत्या, लूट, रंगदारी, फिरौती, और हथियार तस्करी, ऐसा कोई जुर्म नहीं था जिसमें यह गैंग शामिल न रहा हो.
पुलिस रिकॉर्ड्स बताते हैं कि रंजन अपने हर अपराध को सोशल मीडिया पर अपडेट करता था- जैसे कोई उपलब्धि हो. बिहार, झारखंड, यूपी, और अब दिल्ली चार राज्यों की पुलिस उसकी तलाश में थी.

दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर सुरेंद्र यादव ने कहा कि यह ऑपरेशन दिल्ली और बिहार पुलिस का संयुक्त अभियान था. हमें पहले से इनकी मूवमेंट की जानकारी मिली थी. जब पुलिस ने रोकने की कोशिश की, तो बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी. जवाबी कार्रवाई में चारों मारे गए. हमारे चार जवानों को भी गोली लगी, लेकिन बुलेटप्रूफ जैकेट की वजह से वे सुरक्षित हैं. बिहार के डीजीपी ने भी फोन पर कहा कि ये कुख्यात अपराधी थे, खासकर रंजन पाठक सीतामढ़ी के लिए सिरदर्द बन चुका था. लोग उससे बेहद परेशान थे.
जब रात का अंधेरा गोलियों की गूंज में डूब गया

पुलिस अब रंजन गैंग के नेटवर्क की पड़ताल कर रही है. शुरुआती जांच में पता चला है कि यह गिरोह बिहार में रंगदारी और हत्या के मामलों के बाद दिल्ली भाग आया था. वे यहां किसी बड़ी वारदात की योजना बना रहे थे. उनके पास से कई अवैध हथियार, मोबाइल फोन, और कैश बरामद हुए हैं. पुलिस अब फोन रिकॉर्ड और डिजिटल ट्रेल्स खंगाल रही है, ताकि इस सिग्मा एंड कंपनी के बाकी सदस्यों तक पहुंचा जा सके.
रंजन पाठक की अपराध डायरी
रंजन का गैंग अपराध को बिजनेस मॉडल की तरह चलाता था. इलाके में किसी नए व्यापारी की दुकान खुलती तो उनसे ‘प्रोटेक्शन मनी’ मांगी जाती. जो मना करता, उसके साथ या तो मारपीट होती या फिर गोलीबारी. स्थानीय लोगों का कहना है कि रंजन और उसके गैंग की वजह से सीतामढ़ी में कारोबार करना मुश्किल हो गया था. दिल्ली पुलिस का कहना है कि इस गैंग से जुड़े हर व्यक्ति पर नजर रखे हुए हैं.