दिल्ली हाई कोर्ट ने दर्जी कन्हैया लाल की हत्या पर आधारित हिंदी फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है. यह याचिका कन्हैया लाल हत्याकांड के आरोपी जावेद मोहम्मद ने दाखिल की थी, जिसे खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि जब फिल्म सेंसर बोर्ड से प्रमाणित हो चुकी है, तब उस पर रोक लगाने का कोई औचित्य नहीं बनता.
अदालत ने कहा कि फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने का कोई वैध कारण नहीं है. अब यह फिल्म तय कार्यक्रम के अनुसार कल, यानी 8 अगस्त को रिलीज. होगी. अदालत के इस फैसले से फिल्म को कानूनी बाधाओं से राहत मिल गई है और दर्शकों के बीच फिल्म को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है.
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मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में विफल रहा है कि उसके पक्ष में कोई प्रथम दृष्टया मामला बनता है. अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि फिल्म निर्माता ने इसमें जीवन भर की कमाई का भारी निवेश किया है और अगर फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई जाती है, तो यह आर्थिक रूप से असंतुलन पैदा करेगा, जो निर्माता के पक्ष में नहीं होगा.
आरोपी के वकील मेनका गुरुस्वामी ने दी ये दलील
कोर्ट ने माना कि फिल्म के प्रदर्शन को रोकने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी प्रभाव पड़ेगा. हालांकि अदालत ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) द्वारा फिल्म को जारी किए गए प्रमाणन आदेश के खिलाफ दाखिल मुख्य याचिका पर नोटिस जारी कर सरकार से जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान आरोपी मोहम्मद जावेद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने दलील दी कि 'उदयपुर फाइल्स' की विषयवस्तु उस अपराध से मेल खाती है, जिसमें उनके मुवक्किल को आरोपी बनाया गया है.
उन्होंने आगे कहा कि फिल्म में जावेद की भूमिका को ठीक उसी तरह दिखाया गया है, जैसे चार्जशीट में वर्णित है और यह फिल्म उनके मुवक्किल के न्यायिक अधिकारों को प्रभावित कर सकती है. फिर भी अदालत ने स्पष्ट किया कि फिल्म की रिलीज पर रोक नहीं लगाई जा सकती. अब 'उदयपुर फाइल्स' शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.