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पुरानी गाड़ियों पर रोक का LG ने किया विरोध, CM को पत्र लिखकर बोले- दिल्ली ऐसे फैसले के लिए तैयार नहीं

दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने पुरानी गाड़ियों के प्रतिबंध को लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने कहा है कि दिल्ली ऐसे किसी भी प्रतिबंध के लिए तैयार नहीं है. सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो मध्यम वर्ग अपनी पूरी कमाई एक वाहन खरीदने में लगाता है.

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दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना और सीएम रेखा गुप्ता
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना और सीएम रेखा गुप्ता

दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों( EOL गाड़ियों) पर प्रतिबंध लगाने की योजना को लेकर उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखते हुए इस फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि दिल्ली ऐसे किसी भी प्रतिबंध के लिए अभी तैयार नहीं है और इससे आम लोगों, खासतौर पर मध्यम वर्ग को भारी नुकसान होगा.

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एलजी ने लिखा कि “यह फैसला सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से उचित नहीं है. मध्यम वर्ग अपनी जीवनभर की कमाई से गाड़ी खरीदता है और ऐसी गाड़ियों को अचानक 'अमान्य' घोषित करना व्यवहारिक नहीं है.” एलजी ने इस आदेश को स्थगित रखने के लिए कहा है.

दिल्ली ऐसे फैसलों के लिए तैयार नहीं- एलजी

उन्होंने केंद्र सरकार की Commission for Air Quality Management (CAQM) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की व्यवहारिकता पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने दिल्ली सरकार से सुप्रीम कोर्ट में 2018 के आदेश की दोबारा समीक्षा के लिए याचिका दायर करने को कहा है. एलजी का कहना है कि दिल्ली ऐसे प्रतिबंधों के लिए तैयार नहीं है. इससे लोगों को भावनाएं जुड़ी हैं.

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एलजी ने यह भी कहा कि यह दिशा-निर्देश केवल दिल्ली जैसे शहरों पर लागू कर दिए गए हैं जबकि वही वाहन अन्य शहरों जैसे मुंबई, चेन्नई या अहमदाबाद में पूरी तरह वैध माने जाते हैं. यह संविधान में उल्लेखित समानता और स्पष्टता के सिद्धांत के विरुद्ध है.

मुख्यमंत्री से किया आग्रह

उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 के उस आदेश की समीक्षा के लिए पुनः याचिका दायर की जाए जिसमें इन वाहनों को डी-रजिस्टर करने की बात कही गई थी. इसके साथ ही CAQM के अध्यक्ष से इस दिशा-निर्देश के अमल को स्थगित करने का भी अनुरोध करने को कहा है.

एलजी ने यह भी बताया कि उन्हें इस फैसले के खिलाफ हजारों नागरिकों, विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों से प्रतिक्रिया मिली है, जिनका मानना है कि यह नीति ग्राउंड लेवल पर लागू नहीं की जा सकती और इसका वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में प्रभावी योगदान संदिग्ध है.
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