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क्या है सिकल सेल एनीमिया? जिसे सरकार ने की जड़ से खत्म करने की तैयारी, जानिए- क्यों खतरनाक है ये बीमारी

सिकल सेल एनीमिया कोई साधारण बीमारी नहीं है. ये मरीज के पूरे जीवन को प्रभावित करती है और कई गंभीर समस्याएं पैदा करती हैं. इसके लक्षण आम ज‍िंदगी को बहुत प्रभाव‍ित करते हैं. आइए जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी खास जानकारियां.

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In India, the disease is more common in the tribal population but occurs in non-tribals as well.
In India, the disease is more common in the tribal population but occurs in non-tribals as well.

सिकल सेल एनीमिया एक ऐसा जेनेट‍िक रक्त व‍िकार है जो इंसान की लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) को प्रभावित करता है. ये बीमारी के तौर पर अब सरकार के निशाने पर है. केंद्र सरकार ने 2047 तक इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का ऐलान किया है. लेकिन आखिर ये सिकल सेल एनीमिया है क्या? क्यों इसे इतनी गंभीर बीमारी माना जा रहा है? 

क्या है सिकल सेल एनीमिया?

बता दें कि सामान्य तौर पर लाल रक्त कोशिकाएं गोल और लचीली होती हैं जो शरीर में ऑक्सीजन को आसानी से पहुंचाती हैं. लेकिन इस बीमारी में ये कोशिकाएं हंसिया (सिकल) या चांद जैसी बन जाती हैं. ये कठोर और चिपचिपी कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं में अटक जाती हैं, जिससे ऑक्सीजन की सप्लाई रुकती है और मरीज को भयंकर दर्द, थकान और कई अंगों को नुकसान होता है. 

भारत में सिकल सेल रोग का सबसे ज्यादा असर आदिवासी समुदायों पर है. सरकारी आंकड़ों को देखें तो अनुसूचित जनजातियों में हर 86 में से एक बच्चा इस बीमारी के साथ पैदा होता है. ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसका प्रकोप ज्यादा है. 

क्यों है ये इतनी चिंताजनक

सिकल सेल एनीमिया कोई साधारण बीमारी नहीं है. ये मरीज के पूरे जीवन को प्रभावित करती है और कई गंभीर समस्याएं पैदा करती हैं. इसके लक्षण आम ज‍िंदगी को बहुत प्रभाव‍ित करते हैं. आइए जानते हैं क्या होते हैं इस बीमारी के लक्षण 

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  • रक्त वाहिकाओं में कोशिकाओं के अटकने से सीने, पेट और जोड़ों में तेज दर्द होता है जो घंटों से लेकर दिनों तक रह सकता है. 
  • लाल रक्त कोशिकाएं सामान्य से जल्दी (10-20 दिन में) नष्ट हो जाती हैं, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी और थकान रहती है. व्यक्त‍ि एन‍िमिया का श‍िकार हो जाता है. 
  • सिकल कोशिकाएं तिल्ली (स्प्लीन) को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और संक्रमण का खतरा होता है. 
  • इस बीमारी के कारण बच्चों में ग्रोथ और यौवन में देरी हो सकती है. 
  • ये फेफड़े, हृदय, गुर्दे, आंखें और हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है. 

दो स‍िकल एन‍िम‍िया कपल से बच्चे भी होते हैं प्रभाव‍ित 

भारत में इस बीमारी का बोझ बहुत बड़ा है. अनुमान है कि 7 करोड़ लोग खासकर 0-40 साल की उम्र के इस बीमारी से प्रभावित हो सकते हैं या इसके वाहक (कैरियर) हो सकते हैं. अगर दो वाहक आपस में शादी करते हैं, तो उनके बच्चे को सिकल सेल एनीमिया होने की 25% संभावना रहती है. 2047 तक सरकार ने इस बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य तय क‍िया है. इस मिशन के तहत 2023-26 तक 0-40 साल की उम्र के 7 करोड़ लोगों की जांच की जाएगी. 

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सोशल स्ट‍िग्मा के लिए ICMR ने पेश किया नया टर्म 

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने हाल ही में सिकल सेल एनीमिया (SCD) के लिए भारत में पहली बार ICMR-SCD Stigma Scale (ISSSI) नामक एक टर्म पेश किया है. इसे 24 मई 2025 को लॉन्च किया गया. यह स्केल सिकल सेल रोग से जुड़े सामाजिक कलंक (स्टिग्मा) को मापने के लिए विकसित की गई है, जो भारत की विविध आबादी में इस बीमारी के प्रभाव को समझने में मदद करेगी. इसके अलावा, ICMR ने सिकल सेल एनीमिया के निदान और प्रबंधन के लिए कई मानक भी तय किए हैं, जैसे हाई-परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (HPLC)से बीमारी का सटीक निदान किया जा सकेगा. वहीं नवजात शिशु स्क्रीनिंग AIIMS भोपाल में विशेष लैब के जरिए होगी और जेनेटिक काउंसलिंग भी होगी.

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