भारत में कफ सिरप पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं, राजस्थान और मध्यप्रदेश में कफ सिरप पीने से कई बच्चों की जान चली गई है, जिसे लेकर लोगों में काफी गुस्सा है. अब भारत में एक बार फिर कफ सिरप को लेकर हंगामा मच गया है, इस बार मामला कोल्ड्रिफ सिरप का है, इस सिरप के एक बैच में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नाम का खतरनाक केमिकल मिला है. ये वही केमिकल है जो अगर शरीर में चला जाए तो ये किडनी फेल्योर, लिवर डैमेज, और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकता है.
तमिलनाडु में बने कोल्ड्रिफ सिरप के एक सैंपल की टेस्ट के दौरान पता चला कि उसमें DEG की मात्रा 48.6% है जो बहुत जहरीली मानी जाती है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश,तमिलनाडु और कुछ अन्य राज्यों ने इस सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है. इस मामले के बाद CDSCO (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन) और राज्य स्वास्थ्य विभागों ने सिरप की बिक्री और उत्पादन को रोकने का आदेश दे दिया है, साथ ही कंपनी से पूरी जानकारी मांगी जा रही है कि आखिर ऐसा कैसे हुआ.
दिलचस्प बात यह है कि जब यही सिरप मध्य प्रदेश और राजस्थान से जांच के लिए भेजा गया, तो उन सैंपल्स में एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) और डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) नहीं मिला. इसका मतलब ये हो सकता है कि सभी सिरप बैच दूषित नहीं हैं, बल्कि ये सिर्फ एक या कुछ बैचों में ही हो इसका मतलब हो सकता है कि सिरप की क्वालिटी हर जगह एक जैसी नहीं थी.
एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) और डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी)एक इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर ब्रेक फ्लूइड या एंटीफ्रीज में किया जाता है, सबसे बड़ी बात ये है कि इन्हें बड़ी मात्रा में दवाइयों में इस्तेमाल करने की सहमति नहीं दी गई है. जब कोई ईजी या डीईजी निगलता है तो ये शरीर में टूटकर जहरीले पदार्थ में बदल जाते हैं. जैसे-
ये जहरीले पदार्थ खासतौर पर किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं. ज्यादा तेज जहरीले होने पर सबसे बड़ा नुकसान नेफ्रोटॉक्सिसिटी होता है. इसका मतलब है कि किडनी की नलिकाएं डैमेज हो जाती हैं, ब्लड में एसिड बढ़ जाता है और अगर समय पर इलाज न हो तो किडनी पूरी तरह फेल हो सकती है. इसके अलावा नर्वस सिस्टम कमजोर हो सकता है,शरीर के मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी आ सकती है.
वैसे ये पहली बार नहीं है जब भारत को दूषित कफ सिरप के कारण जांच का सामना करना पड़ा हो. पहले भी भारत से विदेशों में एक्सपोर्ट किए जाने वाले सिरप के कारण गंभीर घटनाएं हुई हैं.
खांसी की दवा में मुख्य रूप से इन चीजों से मिलकर बनाई जाती है:
भारत में इससे पहले भी कई बार कफ सिरप में जहरीले केमिकल मिलने के मामले सामने आ चुके हैं. ये दिखाता है कि देश में दवाओं की क्वालिटी कंट्रोल सिस्टम को और मजबूत करने की जरूरत है. ये मामला भारत में दवाओं की क्वालिटी और सुरक्षा मानकों पर फिर से सवाल खड़ा कर रहा है, सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वो दवा बनाने वाली इकाइयों की सख्त निगरानी करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके.
जिस तरह के मामले सामने आ रहे हैं, उन्हें देखते हुए लोग कफ सिरप के इस्तेमाल को लेकर ही डर गए हैं. मगर आपको पैनिक होने की जरूरत नहीं है, बस कुछ बातों का ध्यान रखकर भी आप खतरे से दूर रह सकते हैं.