Kidney Transplant Vs Dialysis: बॉलीवुड एक्टर सतीश शाह के अचानक निधन से पूरी इंडस्ट्री में मातम पसरा गया है. 25 अक्टूबर को उन्होंने 74 साल की उम्र में दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. उनके अचानक चले जाने से उनके दोस्तों और फैंस को झटका लगा है.
इस बीच उनके करीबी दोस्त और एक्टर सचिन पिलगांवकर ने एक इंटरव्यू में बताया है कि सतीश शाह ने इस साल की शुरुआत में ही किडनी ट्रांसप्लांट करवाया था और वो डायलिसिस पर थे. आइए जानते हैं कि किडनी ट्रांसप्लांट के फायदे और नुकसान क्या होते हैं, साथ ही डायलिसिस कितना सुरक्षित है?
हैदराबाद के एशियन इंस्टीट्यूटऑफ नेफ्रोलॉडी एंड यूरोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सुजीत रेड्डी ने मार्च 2025 में एक इंटरव्यू के दौरान किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस के बारे में बताया था.
डायलिसिस एक ऐसा प्रोसीजर है जिसमें किडनी के ठीक से काम न करने पर खून से जहरीले पदार्थ और अतिरिक्त फ्लूइड को हटाया जाता है. डायलिसिस के दो प्रकार होते हैं.
किडनी ट्रांसप्लांट में खराब किडनी को किसी जिंदा या मृत डोनर की हेल्दी किडनी से बदल दिया जाता है. यह लंबे समय तक बेहतर रिजल्ट देता है.
डॉ. रेड्डी के मुताबिक, किडनी ट्रांसप्लांट के फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं.
बेहतर जिंदगी की गुणवत्ता: बार-बार डायलिसिस की जरूरत नहीं होती है.
लंबी उम्र: ट्रांसप्लांट वाले मरीज आम तौर पर डायलिसिस वाले मरीजों से लंबी जिंदगी जीते हैं.
खानपान पर कम रोक: डायलिसिस की तुलना में खाने पर कम रोक होती है.
हाई एनर्जी और किडनी फेल्योर से जुड़ी अन्य दिक्कतों में कमी.
डायलिसिस शॉर्ट टर्म के लिए सेफ माना जाता है क्योंकि इसमें बड़े ऑपरेशन की जरूरत नहीं होती. लेकिन किडनी ट्रांसप्लांंट लाइफ की क्वालिटी और लंबी उम्र के लिहाज से बेहतर ऑप्शन है.
डॉ. रेड्डी ने अनुसार, जो मरीज योग्य हैं उनके लिए किडनी ट्रांसप्लांट सबसे अच्छा ऑप्शन है, लेकिन जो ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त नहीं हैं, उनके लिए डायलिसिस एक जरूरी और इफेक्टिव ऑप्शन है. हालांकि सही फैसले के लिए नेफ्रोलॉजिस्ट की सलाह जरूरी है.
ये तो रही किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस की बात, चलिए जानते हैं आप कैसे किडनी फेलियर से बच सकते हैं-
शरीर के बाकी अंगों की तरह किडनी का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है. जब किडनी अपने काम यानी ब्लड से टॉक्सिन और एक्सट्रा लिक्विड पदार्थ को फिल्टर करने की शक्ति खो देती है तो उसे किडनी फेलियर कहा जाता है. अगर समय रहते इलाज न हो तो यह समस्या गंभीर हो सकती है और यह धीरे-धीरे क्रॉनिक या एक्यूट में भी बदल सकती है.
किडनी फेलियर के सावधान करने वाले लक्षण
अत्यधिक थकान, कमजोरी या एनर्जी की कमी, टखनों, पैरों या आंखों के आसपास सूजन होना. पेशाब में बदलाव, ज्यादा या कम मात्रा पेशाब आना, झागदार पेशाब, या खून आना. भूख न लगना, मिचली या उल्टी आना. लगातार खुजली या सूखी, पपड़ीदार स्किन, सोते समय या लेटे हुए सांस लेने में परेशानी होना.
किडनी को सेफ रखने के लिए अपनाएं ये तरीके
पर्याप्त पानी पिएं
बैलेंस और हेल्दी डाइट अपनाएं
ब्लड प्रेशर और शुगर कंट्रोल करें
ज्यादा दवाइयों का सेवन न करें
नियमित एक्सरसाइज करें और फिटनेस बनाए रखें
अल्कोहल और धूम्रपान से बचें