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खेती-किसानी करने वालों की किडनी क्यों हो रही खराब? सामने आई वजह

Tamilnadu Health Crisis: तमिलनाडु में किसानों पर लैंसेट की एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. लैंसेट ने बताया है कि तमिलनाडु के 5 प्रतिशत से ज्यादा किसान क्रॉनिक किडनी रोग (CKD) से पीड़ित हैं. डराने वाली बात है कि इनमें ज्यादातर किसानों को पहले ऐसी कोई मेडिकल कंडीशन नहीं थी जिससे उन्हें किडनी डैमेज का रिस्क होता.

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तमिलनाडु के किसानों को हो रही किडनी की बीमारी (Photo: ITG)
तमिलनाडु के किसानों को हो रही किडनी की बीमारी (Photo: ITG)

Tamil nadu Health Crisis: तमिलनाडु से एक बड़ा स्वास्थ्य संकट उभरकर आया है जिसमें समूचे देश की चिंता बढ़ा दी है. ब्रिटेन की मेडिकल पत्रिका 'द लैंसेट' ने खुलासा किया है कि तमिलनाडु में किसानों की एक बड़ी संख्या किडनी की बीमारी से जूझ रही है. 

पत्रिका ने अपने अध्ययन में यह भी बताया कि राज्य के 5.31 प्रतिशत से ज्यादा किसान क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं जिनमें से लगभग आधे मामले CKDU (अज्ञात कारणों से होने वाला क्रॉनिक किडनी रोग) से जुड़े हैं. यानी सामान्य तौर पर डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर की वजह से अक्सर लोगों को किडनी रोग हो जाता है, लेकिन इनमें ऐसा नहीं देखा गया, जो चिंताजनक है. 

क्यों किसानों को हो रही किडनी की बीमारी

'लैंसेट' का कहना है कि ना ही डायबिटीज और ना ही ब्लड प्रेशर इसका कारण हैं. बल्कि तमिलनाडु के किसानों में तेज गर्मी में ज्यादा देर रहने और डिहाइड्रेशन की वजह से गुर्दे की बीमारी का खतरा बढ़ रहा है. 

तेज गर्मी में ज्यादा देर रहने से शरीर पर तनाव पड़ता है और टीम ने इसी तनाव और किडनी डिसीस के बीच के कनेक्शन का जिक्र किया है.

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'लैंसेट रीजनल हेल्थ - साउथ ईस्ट एशिया' में प्रकाशित यह शोध 3,350 लोगों पर किया गया और इसमें राज्य में पड़ने वाली गर्मी के प्रभावों का भी अध्ययन किया गया. 'लैंसेट' का राज्य की स्वास्थ्य समस्याओं पर आधारित यह पहला अध्ययन था.

यह अध्ययन अगस्त और दिसंबर 2023 के बीच किया गया. अज्ञात कारणों से होने वाले क्रोनिक किडनी रोग को समझने के लिए राज्य के सभी पांच कृषि-जलवायु क्षेत्रों उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, पश्चिमी, कावेरी डेल्टा और दक्षिणी क्षेत्रों के किसानों का इस रिसर्च में शामिल किया गया था. सैंपलिंग मेथड के जरिए शोधकर्ताओं ने 125 गांवों के 3,350 किसानों का एनालिसिस किया और उनके कामकाज, स्वास्थ्य और पर्यावरण के जोखिम से जुड़े आंकड़े भी इकट्ठा किए. 

गर्मी और किडनी डैमेज कैसे जुड़ा है?
इस अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं ने मौसम की वजह से किडनी के फंक्शन्स में होने वाला जबरदस्त बदलाव देखा. अगस्त के दौरान जो तमिलनाडु के सबसे गर्म महीनों में से एक था. इसमें शामिल 17.4% लोगों की Estimated glomerular filtration rate (eGFR) 60 मिली/मिनट/1.73 वर्ग मीटर से कम थी. 

Estimated glomerular filtration rate एक ब्लड टेस्ट है जो यह बताता है कि आपकी किडनी आपके खून से  वेस्ट मटीरियल (अपशिष्ट पदार्थ) को कितनी अच्छी तरह छान रही है. 

हैरानी की बात रही कि दिसंबर में जब टेस्ट दोबारा किया गया तो ज्यादातर लोगों में गुर्दे का काम सामान्य हो गया था. यानी गर्मी में उनके गुर्दे सर्दी के मुकाबले बहुत अच्छी तरह काम नहीं कर रहे थे.

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स्टडी में मिले चौंकाने वाले नतीजे 

तमिलनाडु स्थित मद्रास मेडिकल कॉलेज में नेफ्रोलॉजी संस्थान में सीनियर एसिस्टेंट प्रोफेसर और इस स्टडी के को-ऑथर आर. शक्तिराजन कहते हैं, 'ये एक्यूट किडनी डैमेज के बिना लक्षणों और सब क्लीनिकल वाले मामले थे.' 

सब क्लीनिकल का मतलब ऐसी कंडीशन जिसमें किडनी डैमेज को यूरीन या किसी और टेस्ट के जरिए पता लगाया नहीं जा सकता है और इसके लिए खास टेस्ट किए जाते हैं. 

उन्होंने आगे कहा, 'लैंसेट की स्टडी में लोगों के सभी टेस्ट एक ही लैब में किए गए थे इसलिए यह बिना किसी गलती के बजाय शरीर पर पड़ रहे तनाव और किडनी रोग में कनेक्शन को हाईलाइट करती हैं.' 

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